रोगी अचल सिंह जी, जोधपुर से आए हैं। जो किडनी फेल्योर से पीड़ित हैं। उन्हें ठीक से खाने-पीने और काम में परेशानी होती है। शरीर में कमजोरी की वजह से रोगी पर्याप्त रूप से काम करने में समक्ष नहीं हो पा रहे थे। डॉक्टर्स ने भी डायलिसिस की सलाह दे दी थी।

रोगी को बहुत सी परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा था जैसे- भूख महसूस नहीं हो रही है, शरीर में कमजोरी आ गई थी। तब रोगी को कर्मा आयुर्वेद के बारे में पता चला तो उन्होंने कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वैदिक इलाज शुरू कर दिया। रोगी का क्रिएटिनिन स्तर 2.24 था जो इलाज के बाद 1.7 हो गया और रोगी में शारीरिक तौर पर भी सुधार आने लगा। डॉ. पुनीत धवन के सफल प्रयासों की वजह से रोगी पूरी तरह से एलोपैथी उपाचर और डायलिसिस से मुक्त हो गया है।

किड़नी का कार्य

किडनी की बीमारी दुनिया भर में लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं और बहुत से लोगों इस बीमारी की वजह से अपनी जानगवा बैठे हैं। किडनी रोग सिर्फ गलत जीवनशैली और गलत खान-पान की वजह से होता है। किडनी शरीर से रक्त में एकत्रित हुई गंदगी को हटाने और पानी व मिनरल्स के संतुलन को बनाए रखने का काम करती हैं।

साथ ही शरीर के इस काम में अक्षमता ही किडनी फेल्योर कहलाती है जो एक गंभीर बीमारी है। डायबिटीज के दुष्परिणाम के चलते किडनी की खराबी आम बात होती जा रही है। ये लगभग 20 से 30% मधुमेह रोगियों में किडनी की खराबी अर्थात डायबिटीड नैफ्रोपैथी हो जाती है।

कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल, डॉ. पुनीत धवन

कर्मा आयुर्वेदा में किडनी रोगियों को इलाज किया जाता है। ये एकमात्र आयुर्वेदिक किडनी संस्थान है जो सभी किडनी रोगियों को डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण से दूर रखता है। कर्मा आयुर्वेदा 1937 में स्थापित किया गया था और आज इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है। जिसने 30 हजार से ज्यादा किडनी के मरीजों का इलाज किया है।