किडनी रोग बेहद गंभीर और खतरनाक होते हैं और अगर इसका समय पर इलाज नहीं किया जाए, तो उपचार करने का भी कोई फायदा नहीं होता हैं। वैसे किडनी रोग को शांत रोग के नाम से भी जाना जाता हैं, क्योंकि इसके होने के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। जानकारी न होने के कारण ये बीमारी समय के साथ और भी बिगड़ती चली जाती हैं।

किडनी शरीर का एक ऐसा अंग हैं जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को छानकर पेशाब के रूप में निकालने में मदद करती हैं। ह्रदय के द्वारा पम्प किए गए रक्त का 20% किडनी में जाता हैं, जहां खून साफ होकर वापस शरीर में चला जाता हैं। इस तरह से किडनी हमारे रक्त को साफ कर देती हैं और सारे टॉक्सिन्स पेशाब के जरिए शरीर से बाहर कर देती हैं।

रक्त को साफ करने का काम करने वाली किडनी ज्यादातर हमारी लापरवाही का शिकार होती हैं। जिससे हमें बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। ये हमारे स्वास्थ्य पर खान-पान का अच्छा और बुरा दोनों तरह का असर होता हैं, कुछ हमे स्वस्थ बनाते हैं, तो कुछ बीमारी करती हैं। इसमें किडनी भी आती हैं और आहार का सीधा असर इस पर पड़ता हैं, इसलिए हमें अपने खान-पान के साथ-साथ किडनी का भी अच्छे से ध्यान रखना चाहिए।

किडनी की बीमारी के लक्षण

  • पेट में दर्द होना
  • हाथों-पैरों और टखने में सूजन
  • यूरिन में रक्त आना
  • यूरिन को कंट्रोल करने में दिक्कत
  • यूरिन पास करते वक्त जलन या दर्द होना
  • कमजोरी और थकान महसूस होना

किडनी एक ऐसी बीमारी हैं जिसमें लोगों की जान भी जा सकती हैं, क्योंकि इसका कोई इलाज नहीं हैं। किडनी की बीमारी का एकमात्र इलाज हैं डायलिसिस या ट्रांसप्लांट के बिना। इसके खर्च में लाखों रूप लग जाते हैं और जो इतना खर्च नहीं उठा पाते, उन्हें अपनी जान गवानी पड़ जाती हैं, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार अभी तक का सबसे सफल उपचार साबित हुआ हैं। तो चलिए जानते हैं आपको किडनी की बीमारी में कितनी खर्च आता हैं।

किडनी डायलिसिस का खर्च

किडनी की बीमारी इलाज काफी महंगा होता हैं, इसलिए इससे बचने का सबसे बेहतर उपाय सावधानी बरतना ही हैं। यह कितना खर्चीला हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि अगर किसी ब्रेन डेड शख्स की किडनी ली जाती हैं जो सरकारी अस्पताल में इसका खर्च तकरीबन दो लाख रुपये तक आ जाता हैं। अगर निजी अस्पताल में गए तो ये खर्च सात से आठ लाख रुपये तक पंहुच जाते हैं। इस पर अगर किडनी देने वाले और लेने वाले का ब्लड ग्रुप मैच नहीं करता तो ये खर्च बहुत ज्यादा बढ़ जाता हैं, लेकिन अगर इसके अस्थायी इलाज डायलिसिस की बात करें तो एक बार के डायलिसिस पर लगभग 2000 से 3000 रुपये खर्च आता हैं। महीने में लगभग 8-10 बार डायलिसिस करवाना पड़ता हैं यानी हर महीने में 20 से 30 हजार रुपये का खर्च आता हैं।

किडनी ट्रांसप्लांट का खर्च

किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत केवल उन्हें होती हैं जिनकी दोनों किडनी मात्र 10-15 फीसदी काम करती हैं। ऐसे मरीजों को तुरंत किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत हैं। वहीं जिनकी किडनी 15 फीसदी से अधिक काम कर रही हैं उनका इलाज दवाईयों से किया जाता हैं। आपको बता दें कि, किडनी ट्रांसप्लांट में 3-4 लाख रूपये का खर्च आता हैं। एबीओ तकनीक से ट्रांसप्लांट होने पर खर्च 25-30 फीसदी तक बढ़ जाता हैं।

आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र

किडनी रोग के लिए आयुर्वेदिक इलाज काफी फायदेमंद साबित हुआ हैं। आयुर्वेद प्राकृतिक की जड़ी-बूटियों और तकनीकों के उपयोग के साथ सभी प्रकार की शारीरिक बीमारियों के इलाज के लिए एक प्राचीन प्रथा माना जाता हैं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां किडनी को मजबूत बनाती हैं। आयुर्वेदिक इलाज में उपयोग किए जाने वाली सबसे सामान्य जड़ी-बूटियों में मिल्क थिस्टल, एस्ट्रगुलस, लाइसोरिस रूट, पुनर्नवा, गोकशुर आदि शामिल हैं जो रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती हैं।

किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा एक आयुर्वेदिक किडनी फेल्योर उपचार केंद्रो के क्षेत्र में प्रसिद्ध नाम हैं। ये सभी प्रकार के किडनी रोगियों का इलाज करती हैं। किडनी को ठीक करने के लिए यहां मरीजों के लिए एक उचित डाइट चार्ट भी दिया जाता हैं और डायलिसिस को भी दूर कर देती हैं। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल 1937 में स्थापित किया गया था। इस अस्पताल के नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। वह 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया हैं।