हर साल लाखों लोग किडनी फेल्योर के चलते अपनी जान गंवा बैठते है, लेकिन सबसे खतरनाक बात ये है कि ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी तब होती है जब बहुत देर हो चुकी हो। किडनी फेल्योर के लक्षण उस वक्त उभरकर सामने आते हैं, जब किडनी 60 से 65% डैमेज हो चुकी होती है। तब इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है।

इसलिए समय रहते इसके लक्षणों की पहचान किया जाना बहुत जरूरी होता है। साथ ही हमारे शरीर में किडनी एक अहम हिस्सा है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को छानकर पेशाब द्वारा शरीर से बाहर निकालती है, लेकिन डायबिटीज की बीमारियों, खराब जीवनशैली और कुछ दवाओं के कारण किडनी के ऊपर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

इतना ही नहीं, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर किडनी फेल होने का  सबसे बड़ा कारण है। जी हां, डायबिटीज के 30 से 40% मरीजों की किडनी खराब होती है। इनमें से 50% मरीज ऐसे होते हैं, जो काफी देर से इस बीमारी का पता चलता है और फिर उन्हें डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ता है।

किडनी फेल्योर होने के लक्षण

  • हाथ, पैर और आंखों के नीचे सूजन
  • कमजोरी और थकान महसूस होना
  • शरीर में खुजली
  • बार-बार पेशाब का आना
  • उल्टी व उबकाई आना
  • पैरों की पिंडलियों में खिंचाव
  • भूख कम लगना
  • अचानक वजन का कम होना

किडनी फेल्योर से बचाव के उपाय

किडनी फेल्योर से बचने  का सबसे सही उपाय ये है कि

  • ब्लड प्रेशर और शुगर पर कंट्रोल करना
  • हर 3 से 6 महीने में यूरिन टेस्ट करवाए

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