हमारे शरीर में कई अंग होते हैं और हर अंग की अपने कार्य करने की अलग प्रक्रिया होती है और अपनी विशेषता होती है। हर व्यक्ति को अपने शरीर में खून को सही से रूप से संचार करने के लिए अपने दिल और किडनी की ज़रुरत पड़ती है। दिल हमारे रक्त को पूरे शरीर में प्रसारित करता है और वही हमारी किडनी शरीर में खून से अपशिष्ट उत्पादों को पेशाब के ज़रिए बाहर निकालने में मदद करती है।

किडनी हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक है जो एक मिनट में लगभग 125 मि.ली रक्त का शोधन करती है। अगर किसी भी कारण हमारी किडनी सही से काम नहीं करती तो हमारे शरीर में कई रोग जन्म ले सकते हैं। साथ ही किडनी के सही से काम न कर पाने की वजह से हमारे शरीर में किडनी फेल्योर का खतरा बढ़ जाता है। अगर कभी भी किसी भी कारण के किसी व्यक्ति की किडनी खराब हो जाती है या किडनी फेल्योर हो जाता है तो उस इंसान की जान जाने का खतरा बढ़ जाता है।

किडनी की कई तरह की समस्याएं होती है इसलिए अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कुछ किडनी की समस्या वंशानुगत होती है इसलिए अगर परिवार में कभी भी, किसी भी व्यक्ति को किडनी का रोग रहा हो, तो वह अपने परिवार के सदस्यों की जाँच करवाएं। जिससे सही समय पर किडनी की समस्या का इलाज किया जा सकें।

पी.के.डी रोग क्या है?

किडनी की कई समस्याओं में से एक अहम समस्या पी.के.डी है। पी.के.डी का मतलब पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज होता है। वैसे तो आजकल के समय पर आमतौर रूप से किडनी रोगों में पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज यानि पी. के. डी. की समस्या, सबसे अधिक पाई जाती है और सही समय पर इलाज ना करवा पाने की वजह से आपकी जान भी जा सकती है। यह बीमारी वंशानुगत है जो किसी भी परिवार के सदस्य के कारण उनके भाई-बहन या संतान को हो सकती है। इस बीमारी में सीधा असर किडनी पर ही पड़ता है और वह खराब या काम करना बंद कर देती है। पी.के.डी की समस्या में दोनों किडनियों में बड़ी संख्या में पानी से भरे हुए बुलबुले की रचना बनने लग जाती है जिसे सिस्ट भी कहते हैं।

किडनी की एक समस्या जिसका नाम क्रोनिक किडनी डिजीज है, उसका मुख्य एक कारण पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज भी हो सकता है। अगर पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज की बीमारी का अनुमान लगाया जाए तो यह 1000 में से 1 व्यक्ति को हो सकती है। यदि किसी रोगी को डॉक्टर ने किडनी की समस्या के इलाज के लिए डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट का सुझाव दिया है तो उनमें से लगभग 5 प्रतिशत लोगों को  पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज की समस्या होती है।

पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज किन लोगों को हो सकती है?

वैसे तो पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज की बीमारी वयस्कों में ज्यादा पाई जाती है जो ऑटोजोमल डोमिनेन्ट प्रकार का वंशानुगत रोग होता है। इस बीमारी में रोगी के लगभग 50 प्रतिशत उर्फ़ सभी संतानों में से आधी संतानों को यह रोग होने का खतरा बना रहता है। ऐसा इसलिए माना जाता है क्योंकि यह बीमारी 35 से 55 वर्ष के लोगों को अपना शिकार बनती है और इस उम्र में आने से पहले ही बच्चों का जन्म हो चूका होता है। यही कारण है कि इस बीमारी को बच्चों में होने से रोका नहीं जा पाता है।

पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज के लक्षण क्या है?

  • शरीर के अन्य भाग जैसे दिमाग, लिवर, आंत आदि में भी किडनी की तरह सिस्ट होने की संभावना बढ़ जाती है। इस कारण उन अंगों में भी लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
  • पी.के.डी बढ़ने के साथ ही क्रोनिक किडनी फेल्योर के लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
  • किडनी कैंसर होने की संभावना का बढ़ना।
  • पेट में दर्द महसूस होना,
  • पेट में गाँठ का महसूस होना,
  • पेशाब में खून का आना।
  • पेशाब में संक्रमण का बार-बार होना।
  • किडनी में पथरी का होना।
  • सिरदर्द होना, आदि।

क्या पी.के.डी की समस्या के कारण किडनी फेल्योर हो सकता है?

किडनी की कोई भी समस्या का कारण किडनी फेल्योर का कारण बन सकता है। अगर बात पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज की जाए तो किडनी पर बढ़ते हुए सिस्ट की वजह से किडनी के काम करने वाले भागों पर दबाव ज्यादा पड़ने लग जाता है, जिस कारण उच्च रक्तचाप की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज होने के कारण किडनी की कार्यक्षमता भी धीरे-धीरे कम होने लग जाती है।

पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज की समस्या में कई सालों तक इलाज ना कराने की वजह से, बाद में आपको क्रोनिक किडनी डिजीज होने संभावना बन जाती है। कई बार रोगी अपनी किडनी समस्या के अंतिम चरण की बीमारी की ओर अग्रसर होने लग जाता है। किडनी के वंशानुगत में पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज सबसे ज्यादा पाया जानेवाला रोग है।

पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज के कारण आपको किडनी फेल्योर होने की संभावना बनी रहती है। अगर सही समय पर इसका बीमारी का इलाज ना करवाया गया तो इंसान की जान जाने का जोखिम भी बन जाता है।

पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज का निदान

  • पेशाब और खून की जांच- किडनी की किसी भी समस्या के बारे में जानने के लिए आपको खून या पेशाब की जाँच करवानी पड़ सकती है। अक्सर किडनी की समस्या में मूत्र संक्रमण की दिक्कत आने लग जाती है या फिर काफी लम्बे समय से मूत्र संक्रमण बार-बार हो रहा हो, तो एक बार आप पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज को सुनिश्चित करने के लिए खून या मूत्र की जाँच भी ज़रूर करवाए।
  • किडनी की सोनोग्राफी- अगर किसी भी कारण या आपको बताए हुए लक्षण के कारण किडनी की समस्या की आक्षंका हो रही है, तो तुरंत ही सोनोग्राफी करवा कर, अपनी बीमारी को सुनिश्चित सकते हैं। यह बात ध्यान रखिएगा कि सोनोग्राफी में छोटे-छोटे सिस्ट नहीं दिखाई देते हैं इसलिए यह पता लगा पाना कि आपको पी.के.डी. की समस्या है या नही, यह पता नही लग पाएगा। आप अपनी किडनी की समस्या को सही समय पर पहचान जाए तो सही समय पर इलाज शुरू करने से किडनी की बाकि बीमारियों से बचा सकते हैं।
  • सी.टी. स्कैन- पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज की समस्या को पता लगने के लिए आपके लिए सबसे बेहतरीन विल्कप सी.टी.स्कैन है। सी.टी.स्कैन में किडनी पर छोटे-छोटे सिस्ट होने की जानकारी के को पता लगाया जाता सकता है। 

पी.के.डी की रोकथाम के लिए कुछ सुझाव

  • यदि आप बीमार है या किसी तरह के दर्द से परेशान है तो डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी तरह की दवाई का सेवन न करें। आप अपनी किडनी को स्वस्थ रखने के लिए ऐलोपैथिक दवाओं का सेवन ना ही करें तो अच्छा है या आप इन दवाईयों का सेवन करते हैं तो बिना किसी डॉक्टर की सलाह के मत कीजिए। अपनी मर्जी से दवाई खाने के कारण आपको आने वाले समय में किसी भी गंभीर परिणामों या परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। कई बार तो अपनी मर्जी से दवाई खाने के चक्कर में लोगों को कई तरह के साइड-इफ़ेक्ट हो जाते हैं, जिनकी वजह से आपकी जान जाने का जोखिम भी बन जाता है।
  • हमारे आए दिन बदलते लाइफस्टाइल की वजह से हमारे खान-पान का कोई समय तय नहीं है, जिसकी वजह से किडनी की समस्या के साथ अन्य समस्याए भी हमारे शरीर में अपना घर बना लेती है। किसी भी बीमारी से बचने के लिए अपने लाइफस्टाइल के साथ-साथ आहार में परिवर्तन लाए और भोजन को समय से करने की कोशिश कीजिए।
  • किडनी के रोग से बचने के लिए आपको अपने आहार में प्रोटीन और नमक की मात्रा को कण्ट्रोल करना बहुत ज़रूरी है क्योंकि इनको खून से अलग करने में किडनी पर दबाव पड़ता है। अगर आपको मधुमेह की समस्या के साथ पी.के.डी. की समस्या हो गयी है तो तुरंत ही अपने डॉक्टर से संपर्क कीजिए। आप अपने आहार में तुरंत बदलाव लाए, साथ ही अपने मीठे पर रोक लगाए।

कर्मा आयुर्वेदा में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-

कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। आज के समय में धवन परिवार की पांचवी पीढ़ी के डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा का नेतृत्व कर रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा किडनी की बीमारी के लिए एक योग्य अस्पताल है जो काफी लंबे समय से किडनी की बीमारी से लोगों को मुक्त कर रहा है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से जूझ रहे हजारों मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा कर, उन्हें इस रोग से मुक्त किया है।

सभी जानते हैं कि आयुर्वेद के ज़रिए किसी भी बीमारी का इलाज किया जा सकता है। आयुर्वेद एक प्राकृर्तिक इलाज है जिसमें जड़ी-बूटियों की मदद से उपचार की प्रक्रिया की जाती है। वही एक ओर एलोपैथी दवाईयों में रसायनों का प्रयोग किया जाता है, जिसके लंबे समय के इस्तेमाल से शरीर को नुकसान पहुंचता है। आज के समय में “कर्मा आयुर्वेदा” हमारी प्राचीन भारतीय आयुर्वेद की जानकारी से “किडनी फेल्योर” जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज करता आ रहा है।

आयुर्वेद भले ही असर धीरे-धीरे दिखाए लेकिन यह अंग्रेजी दवाइयों की तरह शरीर पर कोई दुष्प्रभाव प्रभाव नहीं डालता। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं, जिसका इस्तेमाल करने से हमारे शरीर में कोई दुष्प्रभाव नहीं होता हैं क्योंकि आयुर्वेदिक दवाओं में कोई कैमिकल नहीं होता। आप सभी इस बात से वाकिफ तो है ही कि आयुर्वेदिक उपचार से बेहतर कोई भी उपचार नहीं है। डॉ. पुनीत धवन ने अब तक आयुर्वेद की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा किडनी रोगियों को इस गंभीर रोग से मुक्त कर एक नया जीवनदान दिया है।