अगर हमें अपनी किडनी की कार्यप्रणाली की तुलना किसी अन्य चीज़ से करनी हो तो हम उसकी तुलना कंप्यूटर से आराम से कर सकते है। क्योंकि, जिस प्रकार कम्पूटर कंप्यूटर के कार्य को समझना बहुत अटपटा और जटिल होता है ठीक उसी प्रकार किडनी का कार्य भी बहुत अटपटा और जटिल होता है। हमारी किडनी शरीर में बहुत से महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम देती है. वैसे किडनी के कुछ महत्वपूर्ण कार्य है जिन्हें किडनी न करे तो हमारी किडनी ख़राब हो सकती है।

किडनी के प्रमुख कार्य :-

हमारी किडनी शरीर में कई कार्यों को अंजाम देती है जिनमे से कुछ निम्नलिखित है –

  • शरीर से अपशिष्ट उत्पातों को बहार निकलना
  • रक्त को साफ़ करना
  • सभी अंगों के बीच संतुलन बनाएं रखना
  • हड्डियों को मजबूत रखना
  • पेशाब के जरिये शरीर से अतिरिक नमक और अल्म बहार निकलना
  • शरीर में अम्ल और क्षार का संतुलन बनाएं रखना
  • नए रक्त कणों का निर्माण करना
  • पाचन क्रिया को सुचारू रखना

आहार के कारण किडनी फेल्योर :-

हम क्या आहार ग्रहण कर रहे है इसी से हमारी किडनी का स्वास्थ्य तय होता है। हम जो भी खाते है उसमे हर भोजन की तासीर, पोषक तत्व आदि सभी एक दुसरे से विभिन्न होते है। ऐसे में शरीर के अंदर पानी की मात्र, एसिड की मात्र और नमक की मात्र में परिवर्तन हों अलाज़मी है। हमारे द्वारा खाएं गये भोजन को पचाने के और शरीर में पैदा होने वाले अपशिष्ट उत्पादों को बहार निकालने के लिए हमारी किडनी निरंतर काम करती रहती है ।

यदि हम खाने संतुलित आहार की जगह लगातार असंतुलित आहार लेते है तो इसका बुरा असर हमारी किडनी पर पड़ता है। जैसे, तेज़ मसलों वाला खाना, ज्यादा तला हुआ, रेड मीट, अल्कोहल, गन्दा पानी पीना आदि। इन सभी को पचाने के लिए हमारी किडनी को अधिक कार्य करना पड़ता है। क्षमता से अधिक कार्य करने के कारण हमारी ख़राब हो जाती है।

कभी-कभी ऐसा भोजन ग्रहण करने से हमारे शरीर को इतनी दिकत्तों का सामना नहीं करना पड़ता। लेकिन हम रोजाना गलत भोजन ग्रहण करते है तो धीरे-धीरे हमारी किडनी पर इसका बुरा असर पड़ने लगता है। और समय के साथ हमारी किडनी ख़राब हो जाती है. आपको बता दें की एक समय पर हमारी एक ही किडनी ख़राब होती है। लेकिन ठीक समय पर पता ना चलने के कारण हमारी दोनों किडनी ख़राब हो जाती है।

जब किसी व्यक्ति को यह पता चलता है की उसकी क्द्नी ख़राब हो चुकी है उसके सामने किडनी के उपचार के दो ही विकल्प आते है। पहला है डायलिसिस और दूसरा है किडनी ट्रांसप्लांट। दोनों ही उपचार बहुत महंगे और लम्बे समय तक चलने वाले होते है। वही डायलिसिस द्वारा किडनी ठीक होने की संभावना ना के बराबर ही होती है। लेकिन आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर शत प्रतिशत उपचार कर सकते है।

कर्मा आयुर्वेद द्वारा किडनी फेल्योअर का आयुर्वेदिक उपचार :-

आयुर्वेद द्वारा हम ख़राब हुई किडनी को पूरी तरह पुनः ठीक कर सकते है. लेकिन अंग्रेजी दवाओं की मदद से किडनी को ठीक करना सम्भव नहीं है. क्योंकि अंग्रेजी दवाओं की मदद से हम सिर्फ रोग से राहत पा सकते है ना की पूरी निदान पा सकते है. ऐसा देखा गया है की अंग्रेजी दवाएं किसी रोग को ठीक करते हुए हमें और किसी अन्य बीमारी की गिरफ्त में कर जाती है.

आज कर्मा आयुर्वेदा प्राचीन भारतीय आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर का उपचार कर रहा है. सन 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेद की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद को संभाल रहे है। आपको बता दें की डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं।

डॉ. पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। अब दिल्ली से सटे गाजियाबाद में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार किया जा रहा है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। कर्मा आयुर्वेद में किडनी को पुनः स्वस्थ किया जाता है वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।