किसी भी चीज़ की अधिकता हमारी सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। हमें हर चीज़ को सीमित मात्रा में ही इस्तेमाल करना चाहिए। कुछ लोग नींद, सुस्ती भगाने के लिए और दिमाग को तरोताज़ करने के लिए कॉफ़ी का सेवन करना पसंद है। कॉफ़ी का अधिक मात्र में सेवन करना किडनी पर बुरा प्रभाव डालता है । जिस प्रकार अधिक नमक का सेवन करने से हमारा रक्तचाप बढता है ठीक उसी प्रकार अधिक मात्र में कोफ्फे का सेवन करने से भी हमारा रक्तचाप बढ़ता है। इसी कारण हमें कॉफ़ी का अधिक सेवन करने से बचना चाहिए ।

काम की अधिकता और उसे जल्द निपटाने के चक्कर में लोग रात-रात भर जागते है। रात-रात भर जागने के कारण नींद पूरी नहीं हो पाती। भरपूर नींद ना लेने के कारण इसका बुरा असर आपकी सेहत पर तो पड़ता ही है साथ ही आपकी किडनी पर भी बुरा असर पड़ता है। और कारणस्वरुप आपकी किडनी ख़राब हो जाती है । दरअसल, सोते समय हमारा शरीर डैमेज हुई कोशिकाओं को पुनह ठीक करने का काम करता है। जिससे हमारी किडनी को ताक़त मिलती है जिससे हमारी किडनी अपना काम ठीक से कर पाती है। यदि हम अपनी नींद पूरी नहीं करेंगे तो हमारी डैमेज कोशिकाएं फिर से ठीक नहीं हो पाएंगी और साथ ही किडनी भी। साथ ही यदि आप नींद को रोकने के लिए कॉफ़ी का सेवन करते है तो इससे आपकी किडनी और बीमार हो जायगी ।

किडनी फेल्योर के लक्षण :-

किडनी के ख़राब होने की जानकारी हमें उस समय लगती है जब हमारी किडनी काफी ख़राब हो चुकी होती है। क्योंकि हमारी किडनी बहुत लम्बे समय के साथ धीरे-धीरे ख़राब होती है। और जब तक हमें इस बारे में पता चलता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है । ऐसा नहीं है की हमारी किडनी ख़राब होते समय हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं देती। किडनी ख़राब होते समय हमारे शरीर में इसके कुछ लक्षण देते जा सकते है जसकी मदद से हम यह जान पाते है की क्या हमारी किडनी ख़राब है या नहीं। किडनी ख़राब होने पर हमारे शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते है –

  • थकान और कमजोरी महसूस होना
  • हाथ, पैर और टखनें में सूजन
  • आंखों के चारों और सूजन
  • सांस छोटी होना
  • खराब गंध मूत्र
  • सूस्ती और नींद आना
  • हड्डी और जोड़ो में दर्द
  • अचानक वजन घटना या बढ़ना

रक्त में क्रिएटिनिन और पेशाब की मात्रा की जांच से किडनी की कार्यक्षमता की जानकारी मिलती हैं, क्योंकि किडनी की कार्यक्षमता शरीर का आवश्यकता से अधिक होती हैं, इसलिए अगर किडनी रोग थोड़ा नुकसान हो जाएं, तो भी रक्त के जांच में कई त्रुटि देखने को नहीं मिलती हैं, लेकिन जब रोगों के कारण दोनों किडनी 50% से अधिक खराब हो गई हो तो रक्त में क्रिएटिनिन और पेशाब की मात्रा सामान्य से अधिक पाई जाती हैं।

जिस समय किसी को उसकी किडनी ख़राब होने के की खबर लगती है उस समय तक काफी देर हो चुकी होती है । जिससे आसानी से मुक्त होना संभव नहीं होता । क्योंकि जिस समय हमे इस बारे में जानकारी मिलती है उस समय हमारे सामने इसे ठीक करने के केवल दो ही विकल्प सामने आते है । पहला डायलिसिस और दूसरा किडनी बदलना। दोनों ही उपचार बहुत महंगे होने के साथ-साथ काफी समय तक चलने वाले भी है । एक बार डायलिसिस शुरू होने पर हमें इसे नियमित रूप से करवाते रहना पड़ता है । अंत में चिकित्सक किडनी ट्रांसप्लांट कराने की सलाह देते है । क्योंकि एक समय ऐसा आता है जब डायलिसिस से भी रोगी को कोई आराम मिलता नज़र नहीं आता। उस समय चिकित्सक सिर्फ किडनी बदलवाने की सलाह देते है ।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-

हम आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर का सफल उपचार कर सकते है। आयुर्वेद की मदद से हम बिना डायलिसिस और बिना किडनी ट्रांसप्लांट किये ही ख़राब हुई किडनी को एक बार फिर से ठीक कर सकते है । “कर्मा आयुर्वेदा” में प्राचीन आयुर्वेद की सहायत से किडनी फेल्योर जैसी बीमारी को जड़ से ख़त्म किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा  में पूरा विश्वास रखता है। जिसका परिणाम हम वर्ष 1937 से देखते आ रहे है। कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार दी गयी थी। आपको बता दें कि आयुर्वेद में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना किडनी की इलाज किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी ठीक करने को लेकर चमत्कार के रूप में साबित हुआ हैं।

वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन इसका नेतृत्व कर रहे है। आपको बता दें कि आयुर्वेद में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना किडनी की इलाज किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी ठीक करने को लेकर चमत्कार के रूप में साबित हुआ हैं। भारत के सबसे बड़े राज्य यानि उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार किया जा रहा है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। डॉ. पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।