क्रिएटिनिन रक्त में पाए जाने वाला रासायनिक अपशिष्ट पदार्थ है जो मांसपेशियों का इस्तेमाल करने या ऊतकों के टूटने की वजह से उत्पन्न होते हैं। इसमें अधिक प्रोटीन का सेवन करने से कम मात्रा में उत्पन्न होता है। यह मांसपेशियों द्वारा क्रिएटिनिन की ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करने के समय अपशिष्ट के रूप में प्राप्त होता है। यह खून के माध्यम से पूरे शरीर में गति करता है और किडनी के द्वारा मूत्रमार्ग से बाहर निकाल देता है। किडनी रक्त में उपस्थित क्रिएटिनिन को फिल्टर कर अवशेष के रूप में अलग कर देती है। यह यूरिमिया नामक समस्या का कारण भी बनता है जो जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा हो सकता है।

शरीर में क्रिएटिनिन लेवल को समझें –

क्रिएटिनिन के लेवल की नॉर्मल रेंज पूरी तरह से उस बात पर निर्भर करती है। जब आप एक एडल्ट मेल, एडल्ड फीमेल या टीनेजर्स हो। इसके बाद भी वैल्यूज आपकी उम्र और आपके शरीर के आकार के ऊपर भी निर्भर करता है। लेकिन फिर भी इसकी कुछ ऐसी जनरल रेंज मौजूद है, जिन्हें आप देख सकते हैं।

नॉर्मल ब्लड क्रिएटिनिन लेवल्स इस प्रकार हैं –

  • पुरुष – 6 से 1.2mg/dL ; 53 से 107mcmol/L
  • महिला – 5 से 1.1mg/dL ; 44 से 97mcmol/L
  • टीनेजर्स – 5 से 1.0mg/dL
  • बच्चे – 3 से 0.7mg/dL

नॉर्मल यूरिन क्रिएटिनिन लेवल्स इस प्रकार है –

  • पुरुष – 107 से 139mL/min ;8 से 2.3 mL/sec
  • महिला – 87 से 107mL/min ; 5 से 1.8mL/sec

40 वर्ष से ऊपर के किसी भी व्यक्ति के लिए हर बार 10 वर्ष की उम्र और बढ़ने के बाद इसके लेवल्स को 6.5mL/min के दर से घटना चाहिए।

हाई क्रिएटिनिन के कारण –

किडनी की बीमारी हमारी रोज की दिनचर्या पर निर्भर करती है। दिनचर्या अगर नियमित नहीं है तो किडनी की बीमारी आपके शरीर में ओर बढ़ जाती है, जानिए इसके प्रमुख कारण –

  • पेशाब रोकना
  • कम पानी पीना
  • अधिक नमक खाना
  • उच्च रक्तचाप व शुगर के इलाज में लापरवाही
  • अधिक मात्रा में दर्द निवारक दवाओं का सेवन करना
  • सॉफ्ट ड्रिंक्स, सोडा और शराब लेना
  • विटामिन-डी की कमी होना
  • प्रोटीन, पोटेशियम, सोडियम, फास्फोरस वाले खाद्य पदार्थों को अधिक लेना
  • अनियमित जीवनशैली

हाई क्रिएटिनिन से किडनी की बीमारी के लक्षण –

  • बार-बार उल्टी होना
  • भूख न लगना
  • थकान व कमजोरी महसूस होना
  • सांस लेने में दिक्कत
  • रात में अधिक यूरिन आना
  • अधिक प्रोटीन पास होना


क्रिएटिनिन लेवल को तेजी से कम करने के लिए आहार –

क्रियेटिन एक मेटाबॉलिक पदार्थ है, जो आहार को एनर्जी में बदलने के लिए सहायता करते समय टूटकर क्रिएटिनिन (अपशिष्ट पदार्थ) में बदल जाता है। किडनी क्रिएटिनिन को छानकर रक्त से बाहर निकाल देती है। उसके बाद यह वेस्ट पदार्थ यूरिन के साथ शरीर से बाहर निकल जाते हैं। लेकिन कुछ स्वास्थ्य संबंधित किडनी के इस कार्य में बाधा पहुंचाती है। जिसकी वजह से क्रिएटिनिन बाहर नहीं निकल पाता है और ब्लड में इसका स्तर बढ़ने लगता है। क्रिएटिनिन का बड़ा हुआ स्तर किडनी संबंधित बीमारी या समस्याओं की ओर इशारा करता है। लेकिन आहार में परिवर्तन करके, जीवनशैली में कुछ बदलाव, आयुर्वेदिक उपचार के सेवन आदि से क्रिएटिनिन लेवल को कम किया जा सकता है जैसे –

  • प्रोटीन की अधिक मात्रा न लें शरीर में पर्याप्त एनर्जी का स्तर बनाए रखने के लिए और शारीरिक क्रियाओं के लिए आहार में प्रोटीन का होना अत्यंत आवश्यक है। आहार में से प्रोटीन को एकदम से खत्म न करें। इनसे प्राप्त मात्रा हानिकारक नहीं होता है, लेकिन यह उन लोगों के लिए समस्या बन सकता है जिनका क्रिएटिनिन लेवल पहले से बढ़ा हुआ हो। इसलिए हो सके तो उन खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें जिसमें प्रोटीन की अधिक मात्रा में हो।
  • सोडियम नियंत्रित मात्रा में लें अधिक सोडियम लेने से शरीर में फ्लूड और स्वास्थ्य को हानि पंहुचाने वाले स्तर एकत्रित होने लगता हैं, जिससे उच्च रक्तचाप की समस्या होती है। इन दोनों की वजह से क्रिएटिनिन लेवल बढ़ सकता है, इसलिए कम सोडियम वाला आहार लें।
  • रक्तचाप की अधिक दवा लेना डायबिटीज के अलावा उच्च रक्तचाप भी किडनी को नुकसान पंहुचने वाला अन्य कारण है। ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने से किडनी को कोई नुकसान नहीं होता है और इस तरह क्रिएटिनिन के लेवल को कम करने में भी मदद करता है।
  • हर्बल टी और नेटल लीफ हर्बल टी ब्लड में उपस्थित क्रिएटिनिन की मात्रा को कम करती है। हर्बल टी किडनी को अधिक पेशाब उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करती है और ज्यादा मात्रा में क्रिएटिनिन शरीर से बाहर निकल जाता है, इसलिए बढ़े हुए क्रिएटिनिन के स्तर को कम करने के लिए नियमित रूप से हर्बल टी लें। साथ ही नेटल लीफ में भी पेशाब निष्कासन को बढ़ाकर अतिरिक्त क्रिएटिनिन को बाहर निकालने में मदद करता है। नेटल में हिस्टामिन तथा फिल्ट्रेशन बढ़ जाता है। नेटल लीफ को आप सप्लीमेंट्स के रूप में या चाय बनाकर पी सकते हैं।

क्रिएटिनिन लेवल में जल्दी सुधार के लिए परहेज –

  • आहार संबंधी परिवर्तन – कैल्शियम और फास्फोरस युक्त खाद्य पदार्थों से बचना आवश्यक हो सकता है। यह उन व्यक्तियों पर लागू होता है, जिन्हें किडनी की बीमारी का खतरा होता है जो एक रोगी को नियोजित आहार बनाते समय लेने की आवश्यकता होती है
  • अल्कोहल न लें – शराब, बीयर, एनर्जी ड्रिंक्स या हाई शुगर वाले पेय पदार्थ का सेवन न करें, यह दोनों लिवर को खराब करती है और किडनी की समस्या को बढ़ा सकती है।
  • संतुलित आहार लें – किडनी डिजीज के लिए संतुलित आहार अपनाएं जिसमें ताजी सब्जियां, साबुत अनाज, दुबला मांस और सही मात्रा में पानी भी शामिल करें। विटामिन से भरपूर साग और फल आदि। यह चयापचय और अंगों के कामकाज में सुधार करता है।
  • सब्जियों और फलों का सेवन करें – अपनी प्रतिरक्षा और कोशिका चयापचय को बढावा देने के लिए सब्जियों और फलों को जितनी बार हो सके उतनी बार खाएं और किडनी के आहार योजना में शामिल करें।
  • वजन को कम रखें – मोटापा या असामान्य वजन कम करने के लिए सक्रिय और स्वस्थ जीवन को अपनाएं, इससे हमारी किडनी स्वस्थ रहती है।
  • रोज व्यायाम करें – व्यायाम किडनी को रक्त परिसंचरण सुनिश्चित करती है और फिल्टरिंग जैसे गतिविधियों को बढावा देती है।
  • अधिक पानी पिएं – विशेष रूप से किडनी स्टोन को रोकने या किडनी की समस्यओं का समाना कर रहें हैं, तो आपको तरल पदार्थों को छाने और पेशाब को शरीर से बाहर निकलने में परेशानी होती होगी। एक बार में अधिक तरल पदार्थ लेने से इस तरह की सूजन, उच्च रक्तचाप और सांस की तकलीफ हो सकती है। इसलिए अपने तरल पदार्थ यानि पानी का सेवन सावधानी और सीमित मात्रा में करें। आप दिन में 3 से 4 लीटर पानी पी सकते हैं।

आयुर्वेद से क्रिएटिनिन लेवल को तेजी से कम करें – 

किडनी रोग की समस्या अधिक बढ़ती जा रही है और एलोपैथी में इस बीमारी का कोई सफल इलाज मौजूद नहीं है। एलोपैथी उपचार में कहा जाता है कि क्रिएटिनिन कभी कम नहीं होगा, बल्कि बढ़ता ही रहेगा। फिर डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ेगा। लेकिन ऐसी नहीं है कर्मा आयुर्वेदा में हजारो बार सिद्ध किया है कि आयुर्वेदिक की मदद से और बिना डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के क्रिएटिनिन को कम किया जा सकता है।

कर्मा आयुर्वेदा भारत का प्रसिद्ध आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र है जो रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करता है। यह अस्पताल सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा दिल्ली में स्थापित किया गया था और आज इसका संचालन डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार पर भरोसा किया जाता है और सभी मरीजों को आयुर्वेदिक दवाओं के साथ आहार चार्ट और योग करने की सलाह दी जाती है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने आयुर्वेद की मदद से सफलतापूर्वक 35,000 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें इस गंभीर रोग से मुक्त किया है।

आयुर्वेद के अनुसार, कोई भी रोग केवल शारीरिक अथवा मानसिक नहीं हो सकता है। शारीरिक रोगों का प्रभाव शरीर पर पड़ता है और मानसिक रोगों का प्रभाव मन पर पड़ता है। इसलिए सभी रोगों को मनो – दैहिक मानते हुए चिकित्सा की जाती है। इसमें किसी भी प्रकार के रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसलिए इन औषधियों से हमारे शरीर पर किसी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। आयुर्वेद में रोग प्रतिरोध क्षमता विकसित करने पर बल दिया जाता हैं, क्योंकि इससे किसी भी प्रकार का रोग न हो। आयुर्वेद और योग से असाध्य रोगों का सफल उपचार किया जाता है। वह रोग भी ठीक हो सकता है जिनका अन्य चिकित्सा पद्धतियों में कोई उपचार संभव नहीं है।