डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और मोटापे की वजह से किडनी फेल होने का खतरा रहता हैं, ऐसे में किडनी की  बीमारी से बचने के लिए सावधानी सबसे ज्यादा जरूरी हैं, किडनी को दुरूस्त रखने के लिए हेल्थ ऐक्सपर्ट डॉ. पुनीत धवन कुछ चीजों से बचने की सलाह देते हैं जो बेहद उपयोगी साबित हुई हैं। किडनी फेल होने की स्थिति में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की स्थिति न आए इसलिए ये जरूरी है कि किडनी को लेकर शुरू से ही सावधानी बरती जाए और स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए नमक, चीनी, स्ट्रेस, स्मोकिंग और सुस्त लाइफ स्टाइल की वजह से किडनी को काफी नुकसान पंहुचता हैं, इसलिए हो सके तो इन सबसे दूर रहे।

किडनी की बीमारी अंतिम स्टेज में पहुंच जाए यानी वह काम करना बंद कर दे तो डायलिसिस और ट्रांसप्लांट जैसे इलाज बेहद महंगे होते हैं। इसलिए किडनी रोगों से बचे रहना ही सबसे सही रास्ता हैं। बता दें कि देश में हर साल किडनी की बीमारी के चलते लाखों लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं लेकिन सबसे खतरनाक बात तो ये हैं कि बहुत से लोगों को इस बीमारी की जानकारी तब होती हैं जब काफी देर हो चुकी हों। किडनी की बीमारी के लक्षण उस वक्त उभरकर सामने आते हैं जब किडनी 60 से 65 प्रतिशत डैमेज हो चुकी होती हैं इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता हैं।  इसलिए समय रहते इन लक्षणों की पहचान करना बेहद जरूरी हैं।

किडनी की बीमारी के लक्षण:

किडनी की बीमारी भयानक रूप न लें। इसलिए शुरूआत में ही किडनी की बीमारी को पहचानना बहुत जूरूरी होता है क्योंकि ज्यादातर मामलों में ये एक ऐसी बीमारी बन जाती हैं। जिसका इलाज ही संभव नहीं होता हैं। तो चलिए जानते हैं ऐसे लक्षणों के बारे में जिनको पहचान कर आप शुरू में ही अपना इलाज करा सकते हैं।

  • शरीर में किसी प्रकार की अचानक चोट लग जाती हैं और उसके शरीर का हिस्सा सूज जाता हैं, लेकिन आपको बिना चोट लगे आपका कोई भी अंग सूजा हुआ दिखाई दे तो समझ लेना चाहिए कि जल्द ही आपकी किडनी में कोई परेशानी होने वाली हैं।
  • अगर किसी को अचानक हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी होने लगती हैं या किसी का ब्लड प्रेशर कम या ज्यादा हो तो उस दौरान भी आप तुरंत डॉक्टर से बात करें।
  • अगर किसी इंसान का शरीर पीला पड़ने लगे और उसमें दिन-प्रतिदिन रक्त की कमी होने लगे तो समझ जाए कि किडनी खराब हो सकती हैं।
  • पेशाब कम आना जब हमारे शरीर से विषैले पदार्थ पेशाब से बाहर निकलते हैं और जब पेशाब कम निकलता हैं तो इसका मतलब है किडनी सही से काम नहीं कर रही हैं।
  • भूख कम लगना, किडनी का मुख्य काम शरीर से विषैले पदार्थ को बाहर निकालना हैं, जब शरीर से ये पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते हैं तो बहुत से विषैले पदार्थ जमा हो जाते हैं जिससे भूख कम लगती हैं।


परभनी में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

भारत का प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा जो 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था। आज इस अस्पताल को डॉ. पुनीत धवन चला रहे हैं वह धवन परिवार की 5वीं पीढ़ी हैं। डॉ. पुनीत ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग से मुक्त किया हैं। आयुर्वेद में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांत के बिना किडनी का इलाज किया जाता हैं। आयुर्वेद में किडनी समस्याओं को ठीक करने में  सफल रहा हैं। किडनी फेल्योर के लिए परभनी में आयुर्वेदिक डॉक्टर में से एक हैं डॉ. पुनीत धवन। उन्होंने केवल भारत के मरीज ही नहीं बल्कि दुनिया भर में किडनी से पीड़ित मरीजों को ठीक किया हैं।

आयुर्वेदिक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग करके  इलाज करते हैं। आयुर्वेदिक उपचार में प्रयुक्त सबसे आम जड़ी-बूटियों में पुनर्नवा, गोखुर, वरूण और शिरीष हैं। ये किडनी की बीमारी को ठीक करने और रोग के लक्षणों को जड़ से खत्म करने में मदद करती हैं। कर्मा आयुर्वेदा में भी आयुर्वेदिक उपचार से ही किडनी रोगियों का इलाज किया जाता हैं। जिससे मरीज को कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता हैं।