जब किडनी काम करना बंद कर देती हैं, तब शरीर में कई लक्षण उत्पन्न होते हैं, लेकिन कुथ लक्षणों में से कई लक्षण बहुत अस्पष्ट होते हैं। ये लक्षण इतनी धीमी गति से बढ़ते हैं कि रोगी अक्सर इनकी तरफ ध्यान नहीं दे पाते हैं और सही समय पर समुचित इलाज नहीं हो पाता।

शरीर में किडनी का मुख्य कार्य शुद्धिकरण का होता हैं, लेकिन शरीर में किसी रोग की वजह से जब दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य करने में अक्षम हो जाती हैं तो इस स्थिति को हम किडनी फेल्योर कहते हैं।

किडनी खराब होने के लक्षण

  • हाथों और पैरों में सूजन उत्पन्न हो जाती हैं
  • उच्च रकतचाप (ब्लड प्रेशर का बढ़ना)
  • कमजोरी और थकान महसूस होना
  • जी मिचलाना व उल्टी होना
  • रोग का बढ़ जाने से सांस लेने में दिक्कत
  • नींद न आना
  • बार-बार पेशाब आना
  • पेशाब करने में दिक्कत होना
  • पेशाब में रक्त या प्रोटीन आना
  • शरीर में खून की कमी

किडनी फेल्योर से ऐसे करें रोकथाम

रोग का इलाज होने से बेहतर हैं कि इसे होने ही न दिया जाए। कुछ सुझावों पर अमल करके आप किडनी संबंधी बीमारियों से बच सकते हैं।

किडनी फेल्योर मोटापा

डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2025 तक भारत समेत विश्व में 18 फीसदी पुरूष और 21 फीसदी महिलाएं मोटापे की चपेट में होगी। अध्ययन में सामने आया है कि उन्हें तब सबसे ज्यादा खतरा किडनी रोगों का होगा, इसलिए जीवनशैली में सुधार कगर लोगों को इन खतरों से बचना होगा। किडनी की बीमारियों से बचाव के लिए डब्ल्यूएचओ ने भी वैकल्पिक उपचार और खराब हो चुके किडनी रोगियों को बचाने के लिए किडनी दान को बढ़ावा देने की पैरवी की होती हैं।

भारत में किडनी के आयुर्वेदिक उपचार केंद्र 

आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग करके दवाएं बनाई जाती हैं जो रोग को पूरी तरह से ठीक करने के लिए बेहतरीन माना गया हैं। भारत में प्रसिद्ध आयुर्वेदिक केंद्र में से एक हैं। कर्मा आयुर्वेदा। ये 1937 के बाद दुनिया भर के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इसके नेतृत्व में एक अनुभवी आयुर्वेदा चिकित्सक डॉ. पुनीत धवन हैं। वह एलोपैथी उपचार के अभ्यास पर विश्वास नहीं करते हैं। वह मरीजों को जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक तकनीकों को इलाज पर विश्वास रखते हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन भी किडनी रोग के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा के साथ एक उचित डाइट चार्ट की सलाह भी देते हैं।

आयुर्वेदिक उपचार किडनी की क्षति को खत्म करने में बहुत प्रभावी रहा हैं, लेकिन ये अकेले काम नहीं कर सकती हैं रोगी को सर्वोत्तम परिणामों के लिए दवाओं के साथ किडनी आहार का पालन करना होता हैं। सोडियम और प्रोटीन आहार में सीमित होना चाहिए और भोजन को ताजा पका हुआ खाना चाहिए। उपचार के दौरान शराब और धुम्रपान नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करके किडनी रोग से मुक्त किया जाता हैं।