डायलिसिस क्या हैं?

जब दोनों किडनी काम नहीं कर रही हो, उस समय किडनी का कार्य कृत्रिम विधि से करने की पध्दति को डायलिसिस कहते हैं। डायलिसिस एक प्रक्रिया है जो किडनी की खराबी के कारण शरीर में एकत्रित अपशिष्ट उत्पादों और अतिरिक्त पानी को कृत्रिम रूप से बाहर निकालता हैं। जैसे किडनी फेल्योर या एण्ड स्टेज किडनी डिजीज या एक्यूट किडनी इंज्यूरी के मरीजों के लिए डायलिसिस एक जीवन रक्षक तकनीक है। “डायलिसिस पे एक व्यक्ति कितने समय तक जीवित रह सकता है?”

डायलिसिस के कार्य:

  • खून में अनावश्यक उत्सर्जी पदार्थ जैसे की क्रिएटिनिन, यूरिया को दूर करके खून का शुद्धीकरण करना।
  • शरीर में जमा हुए ज्यादा पानी को निकालकर द्रवों को शरीर में योग्य मात्रा में बनाये रखना हैं।
  • शरीर के क्षारों जैसे सोडियम, पोटैशियम इत्यादि को उचित मात्रा में प्रस्थापित करना।
  • शरीर में जमा हुई एसिड (अम्ल) की अधिक मात्रा को कम करते हुए उचित मात्रा बनाए रखना।
  • डायलिसिस एक सामान्य किडनी के सभी कार्यों की जगह नहीं ले सकता हैं। जैसे एरिथ्रोपाइटिन होर्मोन का उत्पादन जो हीमोग्लोबीन के स्तर को बनाए रखने में आवश्यक होता हैं। डायलिसिस पे एक व्यक्ति कितने समय तक जीवित रह सकता है?”

डायलिसिस की बाद देखभाल

आहार

डायलिसिस उपचार का प्रयोग कर रहे रोगियों को आहार और तरल पदार्थ प्रतिबंधों का पालन करना चाहिए। आपके द्वारा सेवन किए जा रहे तरल पदार्थों की मात्रा पर प्रतिबंध होता है, क्योंकि डायलिसिस मशीन दो से तीन दिनों के अतिरिक्त द्रव की मात्रा को निकालने में सक्षम नहीं हैं। रक्त, फेफड़े और अन्य ऊतकों में अतिरिक्त द्रव का निर्माण गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकता हैं। रोगियों के आकार और वजन के आधार पर डॉक्टर द्वारा द्रव का सेवन तय किया जाता हैं। अधिकांश रोगियों को प्रति दिन 1000-1500ML द्रव की अनुमति दी जाती है। रोगियों के आहार की भी सावधानीपूर्वक योजना बनाने की आवश्यकता हैं, क्योंकि खनिजों की खपत से शरीर में खनिज संचय के जोखिम को बढ़ा सकता हैं। डायलिसिस प्रक्रिया से गुजरते समय बेहतर आहार योजना के लिए मरीजों को डायटीशियन से संपर्क करने के लिए कहा जाता हैं। डाइट रोगियों के आधार पर भिन्न होती है। इन रोगिंयों को पोटेशियम और फ़स्पोरस युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन न करने के लिए कहा जाता हैं। जटिलताओं से बचने के लिए नमक सेवन को कम करने की सलाह दी जाती है। डायलिसिस सामान्य रूप से सप्ताह में तीन बार किया जाना चाहिए। “डायलिसिस पे एक व्यक्ति कितने समय तक जीवित रह सकता है?”

प्रक्रिया के कारण होने वाली तकलीफ

डायलिसिस की प्रक्रिया के कारण कुछ रोगियों को तकलीफ का अनुभव होता हैं। डायलिसिस की प्रक्रिया दर्द रहित है, फिर भी कुछ मामलों में सुई की वजह से तकलीफ हो सकती है। साथ ही रोगियों को इन तकलीफों का भी सामना करना पड़ता है। किडनी ब्लड टेस्ट रिजल्ट बोर्ड लाइन

  • रक्तचाप कम होना
  • पेट खराब होना
  • सिरदर्द
  • मांसपेशियों में ऐंठन
  • उल्टी का अनुभव हो सकता है

उपचार के लगातार सत्र के बाद ये लक्षण गायब हो जाते हैं और रिकवरी भी जल्दी होने लगती है। “डायलिसिस पे एक व्यक्ति कितने समय तक जीवित रह सकता है?”

सफलता दर

डायलिसिस की सफलता दर रोगियों की किडनी क्षति और स्वास्थ्य स्थिति पर आधारित हैं। जब तक कि मरीजों को किडनी प्रत्यारोपण करवाने की सलाह नहीं दी जाती, तब तक उन्हें किडनी फेल्योर उपचार के लिए डायलिसिस प्रक्रिया की जरूरत होती है। रोगियों द्वारा प्राप्त चिकित्सा और उपचार के अनुसार जीवन प्रत्याशा का निर्धारण किया जाता है। साथ ही डायलिसिस के समय औसत रोगी 5 से 10 वर्षों तक जीवित रह सकते हैं। ऐसे रोगियों के कई उदाहरण हैं जो 20 से अधिक वर्षों तक जीवित रहे हों। डायलिसिस के दौरान मरीजों को स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना चाहिए। यह उन्हें जीवन की गणवत्ता बढ़ाने में मदद करता हैं। “डायलिसिस पे एक व्यक्ति कितने समय तक जीवित रह सकता है?”

आयुर्वेदिक उपचार:

कर्मा आयुर्वेदा आयुर्वेद उद्योग में एक प्रमुख नाम है जो सभी प्रकार की किडनी रोगों के लिए पूरी तरह से प्राकृतिक सहायता प्रदान करता है। केंद्र का स्वामित्व एक अत्यधिक कुशल किडनी विशेषज्ञ डॉ. पुनीत धवन है। उनके उपचार उपायों 100% सुरक्षित और कोई साइट इफेक्ट्स नहीं होता हैं। कर्मा आयुर्वेदा उपचार डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण के लिए सबसे अच्छा विकल्प साबित हुआ है। “डायलिसिस पे एक व्यक्ति कितने समय तक जीवित रह सकता है?”