पेशेंट का नाम मुस्तफा जगलूल वाहिद है, जो बांग्लादेश के रहने वाले हैं। वह किडनी फेल्योर की समस्या से जूझ रहे थे। मुस्तफा जी का क्रिएटिनिन बढ़ने की वजह से उन्हें कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा था। रोगी की स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि बांग्लादेश के एलोपैथी डॉक्टरों ने उन्हें डायलिसिस की सलाह दे दी थी।

आयुर्वेदिक इलाज के बाद

रोगी की पत्नी को बांग्लादेश में प्राकृतिक किडनी उपचार केंद्र की खोज करते समय कर्मा आयुर्वेदा के बारे में पता चला और तब उन्होंने बिना किसी देरी के तुंरत इलाज शुरू कर दिया। कर्मा आयुर्वेदा में आने से पहले रोगी का क्रिएटिनिन स्तर – 4.6mg/dl था और आयुर्वेदिक उपचार के बाद उनका क्रिएटिनिन स्तर घटकर – 2.89mg/dl पर पंहुच गया। साथ ही रोगी का जीएफआर स्तर  सामान्य पर आना शुरू हो गया और अब वह डायलिसिस की प्रक्रिया से भी बाहर हैं। रोगी की रिपोर्ट देखकर बांग्लादेश के एलोपैथी डॉक्टर भी हैरान हो गए थे।

किडनी की बीमारी का आयुर्वेदिक इलाज

किडनी संबंधी कई प्रकार के रोगों के समूह को किडनी की बीमारी कहा जाता है। जब किडनी को किसी बीमारी की वजह से नुकसान पहुंचता है, तब किडनी अपना काम करना बंद कर देती है या ठीक तरीके से काम नहीं कर पाती, तो इस स्थिति को किडनी की बीमारी कहा जाता है। जब किडनी रोग होता है तब किडनी प्रभावी रूप से अपशिष्ट द्रव को शरीर से बाहर नहीं निकाल पाती। जिससे शरीर में तरल पदार्थों का संतुलन भी खराब हो जाता है। शरीर में अपशिष्ट द्रव जमा होने से शरीर का संतुलन खराब होने लगता है, जिससे आपको शरीर में कई समस्याएं महसूस होने लगती हैं।

कर्मा आयुर्वेदा दिल्ली के बेस्ट किडनी फेल्योर आयुर्वेदिक उपचार केंद्रो में से एक है, जो सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा दिल्ली में स्थापित किया गया था और आज इस अस्पताल का नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन ने आयुर्वेद की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग से मुक्त किया है, वो भी बिना किसी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के। साथ ही यहां आयुर्वेदिक दवाओं के साथ आहार चार्ट और योग का पालन करने सलाह दी जाती है। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल भारत के साथ-साथ एशिया के भी बेहतरीन आयुर्वेदिक उपचार केंद्रो में आता है।