रोगी का नाम शाहिदुल्लाह कैसर है, जो कि बांग्लादेश के रहने वाले हैं। वह किडनी फेल्योर के शुरूआती स्टेजों से जूझ रहे थे। रोगी का क्रिएटिनिन लेवल लगातार बढ़ता जा रहा था और उनका eGFR लेवल भी बिल्कुल घट चुका था। साथ ही रोगी शाहिदुल्लाह जी को किडनी की बीमारी के अन्य लक्षणों से भी जूझना पड़ रहा था जैसे- नींद न आना, पैरों में सूजन, सांस लेने में दिक्कत, हाई क्रिएटिनिन लेवल और लो जीएफआर लेवल आदि।

आयुर्वेदिक इलाज के बाद

रोगी ने कुछ ही महीने पहले कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक इलाज शुरू किया था। तब रोगी क्रिएटिनिन लेवल – 2.55mg/dl था, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार का अच्छे से पालन करने के बाद उनका क्रिएटिनिन लेवल घटकर – 1.97mg/dl पर पंहुच गया है। रोगी शाहिदुल्लाह जी का eGFR भी बढ़ने लगा है, पहले उनकी eGFR लेवल – 29ml/min था, लेकिन अब बढ़कर 40ml/min पर पहुंच गया है। साथ ही स्वस्थ समस्याओं से भी छुटकारा मिल गया है जैसे – भरपूर नींद लेना, पैरों की सूजन खत्म हुई, सांस लेने में कोई दिक्कत न होना, क्रिएटिनिन लेवल और जीएफआर लेवन सामान्य पर आ गया है।

जीएफआर का आयुर्वेदिक उपचार

जीएफआर को स्वास्थ्य और बीमारी में किडनी समारोह का एक अच्छा उपलब्ध सूचक माना जाता है। इसे रोडियल ग्लोमेरूलर केशिलरों से बॉयमैन के कैप्सूल प्रति यूनिट टाइम के फिल्टर्ड द्रव की मात्रा कहा जाता है। ग्लोमेरूलर रेट इनपुट के बनासोकॉनस्ट्रक्शन के द्वारा निर्मित ब्लड प्रेशर के अंतर पर निर्भर करता है। जीएफआर को क्रिएटिनिन, यूरिया या एक्सोजेनियस निस्पंदन मार्करों दोनों का इस्तेमाल करके निकासी तकनीक द्वारा मापा जा सकता है। जीएफआर, सीरम क्रिएटिनिन लेवल के आधार पर मापा जाता है।

कर्मा आयुर्वेदा दिल्ली के बेस्ट किडनी फेल्योर आयुर्वेदिक उपचार केंद्रो में से एक है, जो सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा दिल्ली में स्थापित किया गया था और आज इस अस्पताल का नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन ने आयुर्वेद की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग से मुक्त किया है, वो भी बिना किसी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के। साथ ही यहां आयुर्वेदिक दवाओं के साथ आहार चार्ट और योग का पालन करने सलाह भी दी जाती है। कर्मा आयुर्वेदा का नाम भारत के साथ-साथ एशिया के बेहतरीन आयुर्वेदिक उपचार केंद्रो में शामिल है।