रोगी का नाम सोमन दत्ता (30 उम्र) है, जो कि त्रिपुरा से आए है। वह किडनी फेल्योर की गंभीर समस्या से जूझ रहे थे। रोगी के बढ़ते क्रिएटिनिन की वजह से उन्हें डायलिसिस के लिए बोल दिया गया था। साथ ही इस बीमारी के कारण उन्हें अन्य जटिलताओं का भी सामना करना पड़ रहा था जैसे –

  • पैरों में सूजन
  • सांस फूलना
  • चलने में दिक्कत
  • कुछ भी खाने में दिक्कत होना
  • हाई क्रिएटिनिन लेवल – 9.53mg/dl
  • हाई यूरिया लेवल – 202mg/dl

आयुर्वेदिक इलाज के बाद

रोगी ने कुछ ही महीने पहले कर्मा आयुर्वेदा से इलाज शुरू किया था और अब आयुर्वेदिक उपचार प्राप्त करने के बाद वह बिल्कुल स्वस्थ महसूस कर रहे हैं। साथ ही डायलिसिस की दर्दभरी प्रक्रिया पर भी जाने से बच गए है और स्वास्थय समस्याओं से भी मुक्ति मिल गई हई।

  • पैरों की सूजन खत्म हुई
  • सांस न फूलना
  • अच्छे से चलना-फिरना
  • खाना अच्छे से खाना
  • क्रिएटिनिन लेवल – 5.52mg/dl
  • यूरिया लेवल – 77mg/dl

विश्लेषण:

यह वैज्ञानिको द्वारा साबित हो चुका है कि, आयुर्वेद की मदद से क्रिएटिनिन को कम किया जा सकता है। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

किडनी की बीमारी का आयुर्वेदिक उपचार

आजकल की खराब जीवनशैली और गलत खानपान की वजह से किडनी के मरीजों की संख्या में हर साल वद्धि होती जा रही है। अगर आप शारीरिक रूप से मोटे होते जा रहे हैं, धूम्रपान करते हैं, डायबिटीज अथवा हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं, तो आपको किडनी के स्वास्थ्य की जांच एक बार जरूरी करवानी चाहिए। आज मानव के स्वास्थ्य में उच्च रक्तचाप, ह्रदय संबंधी रोग, मधुमेह और किडनी की बीमारियों से अधिक खतरा होता है। लगभग 10 में से 1 व्यक्ति किडनी की किसी न किसी की बीमारी से जूझ रहा है।

भारत का प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा, जहां किडनी की बीमारियों का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है। यह सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसका नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार पर भरोसा किया जाता है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने सफलतापूर्वक आयुर्वेदिक उपचार की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया है, वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। आयुर्वेदिक उपचार में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे पुनर्नवा, शिरीष, पलाश, कासनी, लाइसोरिस रूट और गोखरू आदि। यह जड़ी-बूटियां रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती हैं।