किडनी शरीर का अभिन्न अंग है इस बात से सभी अवगत है। इसका कार्य बहुत ही जटिल होता है जिसकी तुलना हम किसी बड़ी मशीन या कंप्यूटर से कर सकते है। जिस तरह किडनी कई कार्य करती है ठीक उसी प्रकार किडनी खराब भी कई चरणों में होती है। किडनी अंदरूनी रूप से कभी भी अचानक से खराब नहीं होती। हाँ किसी दुर्घटना के चलते किडनी एक दम जरूर खराब हो सकती है। खैर, किडनी खराब होने में एक लम्बा समय लेती है। किडनी फेल्योर में दोनों किडनियां काफी खराब हो चुकी होती है, जिसकी जानकारी रोगी को बहुत लम्बे समय बाद ही लगती है।

कर्मा आयुर्वेदा प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्र :-

आयुर्वेद द्वारा हर प्रकार की जानलेवा बीमारी से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। भारत की पवित्र भूमि पर लगभग पाँच हज़ार वर्ष पूर्व आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति विज्ञान की शुरुआत की गयी थी। आयुर्वेद में औषधि और दर्शन शास्त्र दोनों को शामिल कर व्यक्ति को नव जीवन प्रदान किया जाता है। “कर्मा आयुर्वेदा” पारम्परिक आयुर्वेद की सहयता से किडनी फेल्योर के तमाम रोगों का उपचार कर रोगी को नया स्वस्थ जीवन प्रदान करता है।

कर्मा आयुर्वेदा में हर प्रकार के किडनी रोग को जड़ से खत्म किया जाता है, वो भी बिना डायलिसिस और बिना किडनी ट्रांसप्लांट किये। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक दवाओं से ही इलाज किया जाता है।  कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना सन 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। जिसके बाद से लेकर अब धवन परिवार की पांचवी पीढ़ी इस क्षेत्र में काम कर रही है।  वर्तमान में कर्मा आयुर्वेदा को डॉ।  पुनीत धवन संभाल रहे है। डॉ। पुनीत धवन आयुर्वेदिक दुनिया में एक जानेमाने चिकित्सक है। इन्होने आयुर्वेद की मदद से किडनी जैसे हानिकारक रोग को जड़ से खत्म अपना लोहा मनवाया है।

आयुर्वेद बीमारी को जड़ से ख़त्म करता है। आयुर्वेद भले ही अपना असर धीरे – धीरे दिखाए लेकिन यह अंग्रेजी दवाइयों की तरह शरीर पर कोई अन्य प्रभाव नहीं छोड़ता। क्यूंकि आयुर्वेदिक दवाओं में कोई कैमिकल नहीं होता, जिसके चलते यह हमारे शरीरपर कोई दुष्प्रभाव नहीं छोड़ता। डॉ।  पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं।

किडनी फेल्योर के लिए आयुर्वेदिक उपचार :-

आयुर्वेद द्वारा विफल हुई किडनी को स्वस्थ किया जा सकता है। एलोपैथी उपचार के मुकाबले आयुर्वेदिक उपचार से किसी भी प्रकार के रोग को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है, बशर्ते कि रोगी औषधियों के साथ-साथ परहेज का सही से पालन करें। आयुर्वेदिक औषधियों भले ही रोग को खत्म करने में समय लगाए लेकिन वह रोग को जड़ से खत्म करता है, साथ ही उसके भविष्य में होने की संभावनाओं को भी नष्ट करता है। आयुर्वेदिक उपचार द्वारा विफल हुई किडनी को स्वस्थ करते समय डायलिसिस जैसे जटिल उपचार का सहारा नहीं लिया जाता। आयुर्वेद में केवल प्राकृतिक जड़ी बूटियों का प्रयोग कर रोगी की किडनी को पुनः स्वस्थ किया जाता है। इस चिकित्सा पद्धति में डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण जैसे जटिल उपचार का सहारा नहीं लिया जाता। आयुर्वेदिक उपचार में गोखरू, कासनी, शिरीष, पलाश और पुनर्नवा जैसी जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है।

  • गोखरू किडनी को स्वस्थ रखने के लिए सबसे उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है। यह औषधि ना केवल किडनी के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह और भी कई बीमारियों में लाभकारी है। गोखरू की तासीर बहुत गर्म होती है, इसलिए इसका प्रयोग सर्दियों में करने की सलाह दी जाती है। गोखरू के पत्ते, फल और इसका तना तीनों रूपो में उपयोग किया जाता है, इसके फल पर कांटे लगे होते हैं। किडनी के लिए गोखरू किसी वरदान से कम नहीं है।
  • किडनी रोगी के लिए वरुण वृक्ष काफी लाभकारी होता है। इसके सेवन से हमें किडनी से जुड़ी कई बीमारी से छुटकारा तो मिलता ही है, साथ ही भविष्य में किडनी संबंधित रोग होने के संभावना एक दम खत्म हो जाती है। यह पथरी, मधुमेह, और रक्त विकार जैसी बीमारियों से बचा कर रखता है।
  • पुनर्नवा का वैज्ञानिक नाम बोरहैविया डिफ्यूजा है। यह औषधि रक्त शुद्ध करने में सहायता करती है। किडनी खराब होने के दौरान, वह रक्त शुद्ध करने में समर्थ नहीं होती।
  • किसी व्यक्ति को अगर किडनी संक्रमण हो जाता है, तो उसे बार-बार पेशाब आने लगता है। साथ ही रोगी को पेशाब मे जलन, गंधदार पेशाब आने लगता है और पेशाब मे रक्त आने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इस समस्या से निजात पाने के लिए गोरखमुंडी काफी असरदार साबित हुई है।


किडनी रोगी इन बातों का रखें ध्यान :-

किडनी खराब होने के पीछे उच्च रक्तचाप सबसे बड़ा कारण माना जाता है। रक्त में सोडियम की मात्रा अधिक हो जाने पर व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की समस्या उत्पन्न होने लगती है। उच्च रक्तचाप के कारण शरीर में रक्त प्रवाह में समस्या होती है। रक्त में सोडियम की अधिक मात्रा होने के कारण किडनी को रक्त शुद्ध करने के दौरान फिल्टर्स पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है और किडनी खराब हो जाती है। बता दें उच्च रक्तचाप के कारण व्यक्ति को दिल से जुडी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।

अगर आप किडनी रोगी होने के साथ-साथ मधुमेह की समस्या से भी जूझ रहे हैं, तो आपको रक्त शर्करा को नियंत्रण में रखना चाहिए। रक्त शर्करा को नियंत्रण में रखने के लिए आपको जामुन, नींबू, आंवला, टमाटर, पपीता, खरबूजा, कच्चा अमरूद, संतरा, मौसमी, जायफल, नाशपाती जैसे फलों का सेवन करना चाहिए। साथ ही ऐसे किडनी रोगियों को अपने आहार में करेला, मेथी, सहजन, पालक, तुरई, शलजम, बैंगन, परवल, लौकी, मूली, फूलगोभी, ब्रौकोली, टमाटर, पत्तागोभी और दूसरी अन्य पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना चाहिए।

अगर आप चाय या कॉफी के अधिक शोकिन है तो आपको इसका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। आप इसके विकल्प में ग्रीन टी का सेवन कर सकते हैं। कैफीन का सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए, यह चाय या कॉफी में उपलब्ध है जो आपकी किडनी को तनाव दे सकती है। ग्रीन टी किडनी को डिटॉक्स करती है, इसलिए वे शरीर से कचरे को छानने और बाहर निकालने के लिए अच्छी तरह से काम कर सकती हैं। ग्रीन टी पचान तन्त्र को सुधारने में भी मदद करती है।

उच्च प्रोटीन युक्त आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। उच्च प्रोटीन किडनी की विफलता का कारण बन सकता है। इसी कारण आपको उच्च प्रोटीन वाले आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। दूध, पनीर, दही, मीट में अधिक प्रोटीन होता है। प्रोटीन बार का सेवन नहीं करना चाहिए। सामान्यतः 0.8 से 1.0 ग्राम/ किलोग्राम प्रतिदिन शरीर के वजन के बराबर प्रोटीन लेने की सलाह दी जाती है।

किडनी खराब होने के लक्षण :-

हमारी किडनी धीरे-धीरे और एक लंबे समय के बाद खराब होती है। इस बारे में जब तक पता चलता उस समय तक काफी देर हो चुकी होती है। जब रोगी को अपनी खराब किडनी की खबर मिलती है, उस समय पीड़ित की किडनी 60-65% तक खराब हो चुकी होती है। किडनी खराब होने की स्थिति में रोगी के शरीर में इसके कई लक्षण दिखाई देते हैं। जिसकी पहचान कर हम इस जानलेवा बीमारी से मुक्ति पा सकते हैं। लेकिन जागरूकता कम होने के कारण हमें इस बारे में पता ही नहीं चल पता। किडनी खराब होने के समय हमारे शरीर में निम्न लिखित बदलाव या लक्षण दिखाई देते है –

  • सांस लेने में तकलीफ
  • बार-बार उल्टी आना
  • पेशाब करने में दिक्कत होना
  • शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन
  • आंखों के नीचे सूजन
  • कंपकंपी के साथ बुखार होना
  • पेट में दर्द
  • पेशाब में रक्त और प्रोटीन का आना
  • बेहोश हो जाना
  • पेशाब में प्रोटीन आना
  • गंधदार पेशाब आना
  • पेशाब में खून आना
  • अचानक कमजोरी आना
  • पेट में दाई या बाई ओर असहनीय दर्द होना
  • नींद आना
  • कमर दर्द होना

उपरोक्त लिखे लक्षणों की पहचान कर आप किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं। लेकिन जब किसी व्यक्ति को इस बीमारी के बारे में जानकारी मिलती है कि उसकी किडनी खराब हो चुकी है, उस समय उसका सबसे पहला ध्यान डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की तरफ जाता है।