अदरक मूल से रूप से एक मसाला है, जो हमारे घरो में बड़े आराम में मिल जाती है। अदरक में पाए जाने वाले अति वशिष्ट गुणों के चलते इसे आयुर्वेद में एक औषधि का दर्जा दिया गया है। भारत में अदरक का इस्तेमाल काफी लम्बे समय से किया जा रहा है। देश भर में अदरक से बनी हुई चाय खसा पसंद की जाती है। भारत में अदरक के इतिहास को आप इस बात से समझ सकते हैं कि इसका वर्णन आयुर्वेद के साथ साथ कई पुस्तकों में मिलता है। ऐतिहासिक अभिलेखों से भी पहले भारत के साथ-साथ चीन में भी अदरक का प्रयोग मसाले और औषधि के रूप में किया जाता था। भारत और चीन दोनों देशों के चिकित्सा से जुड़े ग्रंथों में अदरक के उपयोग का वर्णन हैं। दोनों देशों में सूखे और ताजे अदरक का मसाले और दवा के रूप में प्रयोग का वर्णन हैं। 100 से ज्यादा बीमारियों में इस चमत्कारी मसाले के औषधीय लाभों पर अनगिनत अध्ययन किए गए हैं।

अदरक में क्या-क्या पोषक तत्व मौजूद है?

अदरक एक रामबाण आयुर्वेदिक औषधि है। यह कई बीमारियों को ना केवल खत्म करने में मदद करती है, बल्कि बीमारीओं को होने से भी रोकती है। अदरक में बहुत से खनिज पदार्थ और यौगिक गुण होते है जो हमारे स्वास्थ और उपचार में मदद करते हैं। अदरक में कई ऐसे पोषक तत्व होते हैं जिसकी मदद से आप अपनी किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं। नीचे बताए गये अदरक के तमाम गुण प्रति 100 ग्राम के आधार पर बताए गये हैं :-

  • एनर्जी 333 kJ (80 kcal)
  • कार्बोहाइड्रेट्स 77 g
  • शुगर 7 g
  • डाइटरी फाइबर 2 g
  • फैट 75 g
  • प्रोटीन 82 g
  • कैल्शियम 16 mg
  • आयरन 6 mg
  • मैग्नीशियम 43 mg
  • पोटैशियम 415 mg
  • सोडियम 13 mg

अदरक ऐसे रखती है आपकी किडनी को स्वस्थ :-

किडनी मनुष्य शरीर के बाकि सभी अंगों के मुकाबले सबसे खास अंग है। किडनी के बिना मानव शरीर काम नहीं कर सकता। किडनी हमें स्वस्थ रखने के लिए कई कार्यों को अंजाम देती है। हमारे शरीर में दोनों किडनियां हमारी पसलियों के नीचे पीठ की तरफ होती है। किडनी का आकर राजमा की तरह होता है, यह भले ही आकार में छोटी होती है लेकिन इसके बहुत से काम है। यह हमारे शरीर में मौजूद अपशिष्ट उत्पाद, क्षार और अम्ल जैसे विषाक्त तत्वों को पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकालने का काम करती है। किडनी खून साफ़ करने का विशेष कार्य करती है, जिससे पुरे शरीर में शुद्ध रक्त प्रवाह होता रहता है, इसके अलावा किडनी हड्डियों को मजबूत करने का भी कार्य करती है। किडनी की विफलता एक गंभीर समस्या है। किडनी खराब हो जाने के कारण रोगी को इसके दुष्प्रभावों से जूझना पड़ता है, जिसका नकारात्मक प्रभाव शारीरक और मानसिक तौर पर रोगी और उसके परिवार पर पड़ता है।

वैसे तो अदरक हमे कई रोगो से बचाती है लेकिन यह किडनी रोगियों के लिए भी काफी असरदार है। जिन लोगो की किडनी ख़राब हो जाती है उन्हें चिकित्सक की सलाह के साथ अदरक का सेवन जरूर करना चाहिए। अदरक हमें उन रोगो से बचाती है जिनसे भविष्य में हमारी किडनी ख़राब हो सकती है। जिन रोगो से किडनी हमें बचाती है वो निम्नलिखत है :-

मोटापा – 

मोटापा कई बीमारियों की जड़ है। एक बार मोटापा हो जाएं तो इसे कम करना बहुत मुश्किल हो जाता है। अदरक आपके मोटापे को कम करने में मदद करती है। अदरक आपके चयापचय (metabolism) को बढ़ता है जिससे मोटापा कम होने लगता है। इसके नियमित सेवन से शरीर में जमा अतिरिक्त वसा (FAT) कम होने लगती है। अदरक में काफी मात्रा में फाइबर पाया जाता है। जिसके कारण वसा कम होती है। ध्यान दे अदरक का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए।

मधुमेह

मधुमेह होने के कारण रोगी को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मधुमेह होने पर किडनी ख़राब होने की संभावना बढ़ जाती है। कई अध्यनों के बाद यह सामने निकल कर आया है की अदरक टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए काफी फायदेमंद है। टाइप 2 मधुमेह के रोगी द्वारा अदरक के नियमित सेवन से रक्त में शर्करा की मात्रा पर काबू रहता है। ऑस्ट्रेलिया में सिडनी यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में अदरक को टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए असरदार पाया गया। अदरक के तत्व इंसुलिन के प्रयोग के बिना ग्लूकोज को स्नायु कोशिकाओं तक पहुंचाने की प्रक्रिया बढ़ा सकते हैं। इस तरह इससे उच्च रक्त शर्करा स्तर (हाई सुगर लेवल) को काबू में करने में मदद मिल सकती है।

हृदय – 

अदरक के इस्तेमाल से आप अपने शरीर में जमा हो रहे खराब कोलेस्ट्रॉल को खत्म कर अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकते हैं। यदि शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाए तो यह दिल के लिए काफी हानिकारक साबित हो सकता है। जिसका सीधा असर हमारी किडनी पर पड़ता है। अदरक के प्रयोग से हम अपने रक्त को ना केवल गाढ़ा होने बल्कि थक्का जमने जैसी समस्याओं से बचा सकते हैं। यह हाई ब्लड प्रेशर को कम कर आपके हृदय को स्वस्थ और सुरक्षित रखने में मदद करता है। आधुनिक अध्ययन दर्शाते हैं कि इस जड़ी-बूटी के तत्व कोलेस्ट्रॉल को कम करने, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने, रक्त प्रवाह में सुधार लाने और अवरुद्ध आर्टरियों तथा रक्त के थक्कों से बचाव करने का काम करते हैं। ये सारी चीजें हृदयाघात (हार्ट अटैक) और स्ट्रोक के जोखिम को कम करती है।

पेट और पाचन – 

अदरक एक तरफ जहां हमारे खाने के स्वाद को बढ़ाती है वहीं यह हमारे पेट को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है। अदरक हमारे पाचन तंत्र को मजबूत करने में अत्यंत लाभकारी है। अदरक में फेनोलिक (phenolic) यौगिक होते है जो जलन को दूर करने में मदद करते हैं। अदरक हमारे लिए लार और पित्त (Saliva and bile) के उत्पादन में वृद्धि करता है और पेट पर पड़ने वाले दवाब को कम करते है। एंजाइम ट्राप्सिन (Enzyme trypsin) और अग्नाशयी लाईपेज पर अदरक का लाभकारी प्रभाव पड़ता है। यह पाचन प्रक्रिया को तेज करता है। अदरक का नियमित सेवन करने से कोलन कैंसर और कब्ज को दूर करने में मदद मिलती है। भोजन से पहले नमक छिड़क कर अदरक के टुकड़े खाने से लार बढ़ता है, जो पाचन में मदद करता है और पेट की समस्याओं से बचाव करता है। भारी भोजन के बाद अदरक की चाय पीने से भी पेट फूलने और उदर वायु को कम करने में मदद मिलती है। अगर आपको पेट की समस्याएं ज्यादा परेशान कर रही हैं, तो आप फूड प्वायजनिंग के लक्षणों को दूर करने के लिए भी अदरक का सेवन कर सकते हैं।

क्या अदरक के सेवन से कोई नुकसान भी हो सकते हैं?

हाँ, अदरक का सेवन करने से ना केवल फायदा होता है बल्कि इसके सेवन से कुछ नकारात्मक प्रभाव भी देखे जा सकते हैं, जोकि निम्नलिखित हैं :-

  • यदि अदरक की खुराक बड़ी मात्रा में ली जाए तो गंभीर जठरांत्र संबंधी लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे कि दस्त, पेट की विभिन्न समस्या, मुंह में जलन और गंभीर डकार या उबकाई आदि।
  • यह ब्लड-क्लॉटिंग को धीमा कर सकता है और खून के पतलेपन को प्रेरित कर सकता है। अदरक का यह दुष्प्रभाव उन रोगियों के लिए खतरनाक हो सकता है जो ब्लड क्लॉटिंग के लिए दवाई पर निर्भर रहते हैं।
  • कुछ मामलों में पाया गया है कि अदरक गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाओं, जैसे कि श्वास में कठिनाई, गले बंद होना, होंठ व जीभ में सूजन, खुजली व रैशिस आदि का कारक है। ऐसे मामलों में, अदरक की खपत को तुरंत बंद कर देना चाहिए और अच्छे डॉ। से परामर्श करना चाहिए।
  • जो लोग हृदय या उच्च रक्तचाप की दवा लेते हैं, उन्हें स्वास्थ्य विशेषज्ञ की देखरेख में ही अदरक का सेवन करना चाहिए।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-

आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। आयुर्वेद में इस रोग को हमेशा के लिए खत्म करने की ताक़त मौजूद है। जबकि एलोपैथी दवाओं में बीमारी से कुछ समय के लिए राहत भर ही मिलती है। लेकिन आयुर्वेद में बीमारी को खत्म किया जाता है। आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी से निदान पाया जा सकता है। आज के समय में कर्मा आयुर्वेदा प्राचीन आयुर्वेद के जरिए किडनी फेल्योर जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज कर रहा है।

कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करता आ रहा है। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है। कर्मा आयुर्वेदा डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है।