आजकल के वक़्त में हर इंसान इतना व्यस्त हो चूका है उसके पास अपनी सेहत का ख्याल रखने का समय ही नहीं होता है कि वो योग या एक्सरसाइज करके स्वस्थ रह सकें। बदलते लाइफस्टाइल और बेवक़्त खाने की आदत की वजह से कोई ना कोई बीमारी हमारे शरीर को घेर लेती है। कई बीमारियां तो इतनी गंभीर होती है जिस वजह से किसी भी इंसान की जान भी जा सकती है।

उन्हीं कई बीमारियों में से एक बीमारी है किडनी की समस्या, जिसके चलते आजकल ना जाने कितने लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं। लोगों को किडनी की समस्या की सही जानकरी और इलाज का ना पता होने के कारण कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और तो और कुछ लोगों को अपनी जान से हाथ धो बैठना पड़ता है।

आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में बदलते लाइफस्टाइल, खान-पान के बदलाव और नींद में गड़बड़ी की वजह से युवाओं में किडनी की समस्या ज्यादा पैमाने में दिखाई देती है।

पहले के समय में लोगों को सर्दी-बुखार भी न के बराबर ही हुआ करता था लेकिन आज के समय में आप देख सकते हैं छोटे हो या बड़ा इंसान वह किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त है। पहले के समय में बुढ़ापे में किसी को गंभीर बीमारी हुआ करती थी लेकिन अब बच्चे भी कई गंभीर बीमारी के शिकार हो रहे हैं।

किडनी की समस्या आज के समय में किसी भी इंसान को कभी भी किसी भी वक़्त हो सकती है, जिस वजह से किडनी फेल होने की समस्या आम होगी है। वैसे तो आमतौर पर किडनी की बीमारी का पता लगा पाना आसान नहीं है क्योंकि किडनी की समस्या में शुरूआत में किसी भी तरह का कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है। किडनी की बीमारी जैसे-जैसे गंभीर होने लगती है या किडनी शरीर में बढ़ रहे ज़हरीले उत्पादों को साफ करना बंद या कम करने लगती है तब कुछ लक्षण साफ दिखाई देते हैं।

किडनी समस्या क्या है?

किडनी की समस्या का इलाज जितनी देर से होगा, समस्या उतनी जटिल होती चली जाएगी। दुनिया भर में माना जाता है कि किडनी की बीमारी एक स्लिएंत किलर है यानि यह बीमारी अचानक से ना होकर धीरे-धीरे व्यक्ति को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती है। इसका अर्थ यह हुआ कि किडनी अचानक से कभी भी खराब नहीं हो सकती और न ही इसके शुरुआत में आपको खराब होने के कोई लक्षण नज़र आएंगे।

हमारी किडनी धीरे-धीरे खराब होती है और जब तक हमें इस बारे में पता चलता है तब तक किडनी लगभग 60 से 65% तक खराब हो चुकी होती है। किडनी खराब होने पर एलोपैथी उपचार में डॉक्टर डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट का ही विकल्प देते हैं।

किडनी की समस्याओं के लक्षण-

व्यक्ति को अपनी किडनी की अवस्था या किडनी की बीमारी के बारे में पता चल पाना थोडा कठिन है लेकिन जब किडनी लगभग 60-65% तक खराब हो चुकी होती है तब शरीर में कुछ लक्षण नज़र आने लग जाते हैं। वैसे किडनी के खराब होने पर शुरुआत में कभी भी किसी भी तरह का कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है, लेकिन यूरिन टेस्ट के दौरान पेशाब में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा पाई या देखने को मिल सकती है।

समय के साथ किडनी की समस्या गंभीर होने लग जाती है और कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं। अगर हम इन लक्षणों की पहचान सही समय पर करे लें तो किडनी से जुड़ी कई जानलेवा बीमारियों से हम खुद को बचा सकते हैं। आज के समय में मगर पढ़े-लिखे होने के बाद भी लोगों के अंदर जागरूकता नहीं है जिसकी वजह से किडनी की समस्या का सही इलाज समय पर नहीं हो रहा है। जिस वजह से लोगों को अपनी जान से हाथ धो बैठना पड़ रहा है, तो आइए जानते हैं कि किडनी खराब होने के क्या लक्षण होते हैं- 

  • किडनी की समस्या होने पर आपको कभी भी अचानक से सांस लेने में दिक्कत होने लग सकती है।
  • आपकी किडनी जब धीरे-धीरे खराब होने लग जाती है तो आपको बार-बार उल्टी होना या आपका जी मचलना जैसा महसूस हो सकता है। कभी-कभी आपको चक्कर भी आ सकते हैं। ऐसा लगातार आपके साथ हो रहा है तो आप किसी डॉक्टर से संपर्क करें
  • कई बार डायबिटीज की वजह से आपको किडनी की कोई भी समस्या हो सकती है। किडनी की समस्या होने पर आपको पेशाब से जुड़ी कई समस्या देखने को मिल सकती है। किडनी की समस्या होने पर आपको अपने पेशाब को पास करने में दिक्कत आ सकती है या फिर पेशाब में खून या प्रोटीन दिखाई दे सकता है और पेशाब में से बदबू भी आ सकती है।
  • किडनी की समस्या होने पर शरीर के कुछ अंगों में आपको सूजन दिखाई दे सकती हैं और कई बार आपको यह सूजन आती-जाती लग सकती है, इसलिए आप ज़रा अपनी सूजन से जुड़ी समस्या पर ध्यान दे। आपको सूजन अपने हाथ-पैरों और चेहरे या आँखों के नीचे दिखाई दे सकती है।
  • अगर आप जल्दी-जल्दी बीमार पड़ रहे हैं और उस वजह से आपको बुखार और कंपकंपी महसूस होती है, तो आपको शायद किडनी की बीमारी हो सकती है। लगातार बीमार रहने के कारण आपका शरीर कमजोर हो सकता है जिससे आप अचानक बेहोश भी हो सकते हैं।
  • किडनी की समस्या में आपको शरीर में कमजोरी और थकान महसूस हो सकती है। आप थोड़ा-सा भी काम करके, थका हुआ महसूस कर सकते हैं या हर वक़्त एक अलासपन का एहसास हो सकता है।
  • किडनी की समस्या के लक्षणों में आपको पेट या कमर दर्द हो सकता है। आपको हर समय हल्का-हल्का पेट दर्द या कमर दर्द महसूस हो सकता है, लेकिन आप इस बात का ध्यान रखें कि दर्द में किसी डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवाई ना खाएं।
  • बदलते लाइफस्टाइल की वजह से सोने का कोई समय नहीं है जिसकी वजह से कई बार नींद नही आती या कम सोने लग जाते हैं। मगर आप समय से खाने के बाद सोने जाते हैं और तब आपको यह एहसास होता है कि कुछ वक़्त से सही से सो नही पा रहे हैं या फिर आपको नींद ही नहीं आ रही है, तो आपको नींद की कोई समस्या हो सकती है। यह नींद की समस्या एक किडनी की बीमारी का लक्षण माना जाता है और सही से नींद पूरी नहीं होने की वजह से किडनी पर दबाव पड़ता है जिससे वह खराब भी हो सकती है। 

किडनी की बीमारी के कितने चरण हैं ?

किडनी की बीमारी का पता एक टेस्ट के ज़रिए किया जाता है जिसे जीएफआर टेस्ट के नाम से जाना जाता है। इस टेस्ट में जीएफआर स्तर का पता लगा करा आपकी किडनी की समस्या के बारे में जान सकते हैं। अगर आपका जीएफआर स्तर सामान्य है तो सब ठीक है लेकिन उसमें गिरावट आ रही, आपको किडनी की समस्या हो चुकी है।

एक आम व्यक्ति का जीएफआर यानि ग्लोमेरूलर फिल्टरेशन रेट 90 या इससे ज्यादा ही होना ज़रूरी है। आप कुछ महीने अपना यह टेस्ट करवाए और फिर आप 3 या 6 महीने के टेस्ट की रिपोर्ट को मिलाकर देखें कि आपका जीएफआर 90 से कम तो नहीं है। यदि ऐसा है तो आपको किडनी की समस्या होना शुरू हो गयी है। आप तुरंत ही किसी किडनी के डॉक्टर से मिलकर आपना इलाज शुरू करवाए। अगर जाँच के दौरान जीएफआर 15 से कम आता है तो आप किडनी के इलाज की प्रक्रिया शुरू कर दें। किडनी खराब होने के पांच चरण होते हैं-

  • पहला चरण

आमतौर पर एक वयस्क का क्रिएटिनिन स्तर, पुरुष में 0.6-1.2 मिलीग्राम और महिला में 0.5-1.1 मिलीग्राम होता है। ईजीएफआर यानि एस्टिमेटेड ग्लोमेरूलर फिल्टरेशन रेट की बात

करें तो यह सामान्य 90 या उससे ज्यादा होता है। ईजीएफआर से पता चलता है कि आपकी किडनी कितने प्रतिशत तक काम कर सकती है। लकिन इस स्टेज में किडनी की समस्या में यूरिन में प्रोटीन की मात्रा अधिक पाई जाती है।

  • दूसरा चरण

किडनी की समस्या के इस चरण में ईजीएफआर घटकर 90 से कम होते हुए 60 तक पहुँच सकता है, लेकिन क्रिएटिनिन स्तर सामान्य भी नज़र आता है। इस चरण में टेस्ट के दौरान आपके यूरिन में प्रोटीन ज्यादा हो सकता है।

  • तीसरा चरण

किडनी की समस्या के तीसरे चरण तक किडनी को गंभीर रूप से खराब माना जाता है, इसमें ईजीएफआर 60 से 30 के बीच में होता है और क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ रहा होता है। तीसरे चरण में किडनी की बीमारी के कुछ लक्षण आपके सामने नज़र आने लगते हैं। कई बार आपको इस चरण में एनीमिया की शिकायत हो सकती है इसलिए ब्लड टेस्ट में यूरिया ज्यादा आता है।

  • चौथा चरण

इस चौथे चरण में ईजीएफआर 30 से 15 के बीच तक गिर जाता है और क्रिएटिनिन का स्तर लगातार बढ़ता रहता है जो 2 से 4 के बीच तक पहुंच जाता है। यह वह चरण है जहाँ आपकी जरा-सी भी लापहरवाही मरीज को डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की स्टेज तक पहुंचा देती है।

  • पांचवा चरण

किडनी की समस्या का यह आखिरी चरण होता है और यह तक आते-आते ईजीएफआर 15 से कम हो जाता है और क्रिएटिनिन का स्तर लगातार बढ़ते रहनेके कारण 4 से 5 या उससे भी ज्यादा पहुंच जाता है। फिर एलोपैथिक डॉक्टर मरीज को सिर्फ डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट का ही विकल्प देते हैं। 

आयुर्वेदिक उपचार केंद्र

भारत जहाँ आयुर्वेद का जन्म हुआ और पूरे विश्व में आयुर्वेद से हुए कई उपचार को चमत्कार भी माना गया है। उसी आयुर्वेद में किडनी के खराब होने की समस्या का इलाज भी मौजूद है। जिसमें डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट जैसे दर्दनाक उपचार से मरीज को नहीं गुजरना पड़ता है।

वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया कर्मा आयुर्वेदा किडनी से जुड़ी हर समस्या का इलाज करता है। आज के समय में, कर्मा आयुर्वेदा का संचालन धवन परिवार की पाचंवी पीढ़ी के डॉ. पुनीत धवन द्वारा किया जा रहा है।

डॉ. पुनीत धवन हर साल हजारों किडनी रोगियों का इलाज कर, उन्हें एक नया जीवनदान देते हैं। किडनी ख़राब होने पर डॉक्टर ज्यादातर डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट जैसे इलाज का सुझाव देते हैं। लेकिन आयुर्वेद एक मात्र ऐसा उपचार है जो किडनी की समस्या का इलाज बिना किसी दर्दनाक प्रक्रिया को अंजाम दिए, ठीक कर सकता है।

कर्मा आयुर्वेदा सिर्फ और सिर्फ आयुर्वेदिक औषधि पर ही विश्वास करता है। अब तक, कर्मा आयुर्वेदा ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें किडनी के रोग से मुक्त किया हैं, वो भी डायलिसिस या ट्रांसप्लांट के बिना। यहां किडनी रोगियों को आयुर्वेदिक दवाओं के साथ एक उचित आहार के लिए सलाह डी जाती है। सबसे बेहतरीन बात यह कि आयुर्वेदिक दवाओं से किसी भी तरह का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।

यदि आप या आपके किसी भी जानने वाले को डायलिसिस जैसे दर्दनाक उपचार से गुज़रना पड़ रहा है तो आप उन्हें कर्मा आयुर्वेदा से उचित सलाह लेकर एक रोगमुक्त जीवन व्यतीत करवा सकते हैं।