दिल्ली एनसीआर, नॉएडा की निवासी पिंकी देवी जी, किडनी की समस्या से जूझ रही थी। किडनी में आई समस्या के चलते पिंकी जी को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। पिंकी जी को बार-बार उल्टियाँ आ रही थी, उन्हें भूख भी नहीं लगती थी जिसके चलते उनका शरीर काफी कमजोर होता जा रहा था। थोडा सा भी चलने पर उनकी सांसे फूलने लगती थी।

किडनी में आई खराबी के कारण उनका  क्रिएटिनिन स्तर भी लगातार बढ़ता जा रहा था। उन्होंने किडनी की समस्या को दूर करने के लिए एलोपैथी उपचार लेना शुरू कर दिया। जिससे उन्हें कोई लाभ नहीं मिला, साथ ही एलोपैथी चिकित्सकों ने उन्हें डायलिसिस कराने की सलाह तक दे दी थी।

आयुर्वेदिक उपचार से पहले :-

  • बार-बार उल्टियाँ आना
  • सांस लेने में दिक्कत
  • भूख की कमी
  • सर दर्द
  • कमजोरी
  • उच्च क्रिएटिनिन स्तर – 7.40mg/dl

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा आयुर्वेदिक उपचार के बाद :-

पिंकी जी को जब एलोपैथी उपचार से कोई राहत मिलती नज़र नहीं आई तो उन्होंने आयुर्वेदिक उपचार लेने की ठानी। उन्होंने बिना किसी देरी के कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक उपचार लेना शुरू कर दिया। आयुर्वेदिक उपचार लेने के मात्र दो महीनो बाद ही पिंकी जी को अपने शरीर में काफी सुधार होता हुआ नज़र आने लगा। दो महीनों के उपचार से सोहिल को किडनी बीमार होने के चलते आने वाली शारीरिक समस्याओं से छुटकारा मिला है, साथ ही उनका क्रिएटिनिन स्तर भी निम्न स्तर पर आ गया है।

  • निम्न क्रिएटिनिन स्तर – 4.16 mg/dl
  • शरीर में अब कमजोरी नहीं है
  • उल्टियाँ नहीं आती
  • अब भूख लगने लगी है
  • सर दर्द से भी छुटकारा मिला
  • सांस लेने में कोई समस्या नहीं है।

विश्लेषण :-

पिंकी जी ने आयुर्वेदिक ऊपर लेने के बाद खुद में काफी परिवर्तन देखा। जहाँ एलोपैथी डॉक्टर ने उन्हें डायलिसिस कराने की सलाह दे दी थी अब उन्हें इस जटिल उपचार की कोई जरूरत नहीं है। कर्मा आयुर्वेदा ने एक बार फिर यह साबित किया है कि बिना डायलिसिस के भी किडनी ठीक की जा सकती है।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-

आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। आयुर्वेद में इस रोग को हमेशा के लिए खत्म करने की ताक़त मौजूद है। जबकि अंग्रेजी दवाओं में बीमारी से कुछ समय के लिए राहत भर ही मिलती है। लेकिन आयुर्वेद में बीमारी को खत्म किया जाता है। आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी से निदान पाया जा सकता है। आज के समय में “कर्मा आयुर्वेदा” प्राचीन आयुर्वेद के जरिए “किडनी फेल्योर” जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज कर रहा है। कर्मा आयुर्वेद पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है।


वैसे तो आपके आस-पास भी काफी आयुर्वेदिक उपचार केंद्र होने लेकिन कर्मा आयुर्वेदा ऐसा क्या खास है? आपको बता दें की कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेद की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। साथ ही आपको बता दें की डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।