क्या है क्रिएटिनिन?

हमारे खून और पेशाब में पाया जाने वाला एक तत्व है क्रिएटिनिन। इसकी उत्पति हमारे शरीर में मौजूद एक पदार्थ मेटाबॉलिक से होती है। मेटाबॉलिक खाए गए आहार को एनर्जी में बदलते समय टूट कर क्रिएटिनिन में परिवर्तन हो जाता है। उसके बाद किडनी इस क्रिएटिनिन को छानकर खून से बाहर कर देती है और ये पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाता है। क्रिएटिनिन की जाँच कराने पर ही पता चल पाता है की हमारी किडनी अच्छी तरह से काम कर रही है या नहीं। एक सेहतमंद इंसान के शरीर में इसकी नार्मल रेंज 0.6 से 1.2 mg/dL होती है। महिला और पुरुष के बीच और उम्र के हिसाब से इसकी रेंज अलग-अलग होती है| क्रिएटिनिन का स्तर नार्मल रेंज से बढ़ जाना हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। ये अवश्य ही किडनी की गंभीर बीमारी का खतरा है, जिसको अनदेखा करना हमारे स्वास्थ को खराब कर सकता है और हमें किडनी की गंभीर बीमारी का शिकार बना सकता है|

क्रिएटिनिन रेंज का अधिक बढ़ जाने का सीधा सा मतलब यह है कि शरीर में भोजन को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया दौरान जितना क्रिएटिनिन उत्पन्न हो रहा है उसको आपकी किडनी खून से फिल्टर नहीं कर पा रही है। आमतौर पर क्रिएटिनिन आपके शरीर को गंभीर रूप से कोई हानि नहीं पहुँचाता है। परन्तु किडनी की कार्यप्रणाली जानने के लिए क्रिएटिनिन बहुत महत्वपूर्ण है। क्रिएटिनिन की जाँच करवाने के बाद अगर इसका लेवल समान्य से अधिक बढ़ा हुआ पाया जाता है तो पता चल जाता है कि हमारी किडनी ठीक से काम नहीं कर पा रही है। अगर क्रिएटिनिन का लेवल समान्य रेंज से कहीं ज्यादा बड़ा हुआ है तो इससे यह जाहिर होता है कि हम क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) से ग्रस्त हो चुके हैं।

CKD गुर्दे की ख़तरनाक बीमारी है जो अक्सर तब होती है जब आप अपनी जीवनशैली में कुछ अनावश्यक बदलाव करते हैं| शरीर के ऐसे बदलाव जिनकी आपके शरीर को कोई जरूरत नहीं और अगर यह बदलाव किये जाएं तो इससे शरीर में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है|

कैसे लायें क्रिएटिनिन को नार्मल रेंज पर?

बढ़ी हुई क्रिएटिनिन की मात्रा को कम करने के लिए अधिक प्रोटीन वाले आहार जैसे मटर, डेयरी उत्पाद, रेड मीट व अन्य हाई प्रोटीन युक्त आहार को नहीं लेना चाहिए। प्रोटीन हमारे लिए महत्वपूर्ण होता है लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन आपकी किडनी को नुकसान पंहुचा सकता है| अक्सर जिम जाने वाले लोग अपने मसल्ज को तेजी से बढ़ाने के लिए हेल्थ सप्लीमेंटस लेंने शुरू कर देते हैं| इसके लिए वह अपनी डाइट में प्रोटीन की उच्च मात्रा लेने लगते हैं| सामान्य से अधिक मात्रा में प्रोटीन लेने से आपका शरीर प्रोटीन को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया में शरीर में अधिक मात्रा में क्रिएटिनिन उत्पन्न करने लगता है| अगर इन सब का सेवन सिमित मात्रा में किया जाए तो इससे क्रिएटिनिन के स्तर को कम किया जा सकता है|

कितनी मात्रा में लें तरल पदार्थ:

शरीर में तरल पदार्थों के संतुलन से क्रिएटिनिन के स्तर को समान्य रखा जा सकता है। डिहाईड्रेशन की वजह से भी किडनी रोगियों के शरीर में क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ सकती है। पानी के मदद से क्रिएटिनिन हमारे शरीर से युरिन के साथ बाहर निकल जाता है। इसलिए उचित मात्रा में साफ पानी पीना अनिवार्य है। मगर किडनी रोगियों को दिन भर में कब और कितना पानी पीना है ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना पानी और अन्य तरल पदार्थों का सेवन न करें| क्योंकि किडनी मरीजों को अधिक मात्रा में पानी पीना उनकी डैमेज किडनी के काम को प्रभावित करता है|

फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का करें इस्तेमाल:

फाइबर हमारी पाचन क्रिया को सरल बनाने में मददगार होता है। अच्छी पाचन शक्ति होने की वजह से हमारे शरीर में हानिकारक तत्वों की उत्पत्ति कम होती है। इसलिए फाइबर युक्त आहार लेने से हमारा बढ़ा हुआ क्रिएटिनिन भी समान्य हो सकता है। सलाद, साबुत अनाज, हरी सब्जियों एवं फलों में भरपूर फाइबर पाया जाता है। इसलिए इनको अपने आहार में शामिल करना चाहिए। इससे आपका पाचन तंत्र भी ठीक रहता है जो आपकी किडनी के काम में उसकी मदद भी करता है|

आयुर्वेद उपचार दिला सकता है आपको क्रिएटिनिन की समस्या से निजात:

आप जितना हो सके अंग्रेजी दवाईयों के इस्तेमाल से बचें क्योंकि उपचार के साथ-साथ इनका बुरा प्रभाव भी हमारे शरीर पर पड़ता है। किडनी को आयुर्वेद इलाज़ की सहायता से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। किडनी रोगों के सफल उपचार के लिए कर्मा आयुर्वेदा उपचार केंद्र से जरुर संपर्क करें| वर्तमान में कर्मा आयुर्वेदा के किडनी विशेषज्ञ डॉ. पुनीत जी हैं जो इसका संचालन कर रहे हैं| उन्होंने CKD के ऐसे कितने रोगियों को अपने अनुभव व प्राचीन भारतीय जड़ी बूटियो के प्रयोग से सफल इलाज दिया है| डॉ. पुनीत जी के इलाज द्वारा ठीक हो चुके किडनी रोगियों का आंकड़ा 1,20,000 की संख्या को पार कर चुका है। कर्मा आयुर्वेदा दी शुरुआत 1937 में धवन परिवार द्वारा की गई थी और आज भी किडनी रोगियों को सफल इलाज़ दे रहे हैं|