किडनी फेल होने के कई संकेत हो सकते हैं| लेकिन अधिकतर लोग किडनी फेल होने से पहले दिखने वाले लक्षणों को अनदेखा कर देते है और इसे किसी अन्य रोग की समस्या समझकर भ्रमित हो जाया करते हैं| जो बाद में किडनी फेल होने का प्रमुख कारण बनती है| इसलिए हर व्यक्ति को सतर्क रहना चाहिए और किडनी रोग का कोई भी लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द रक्त और पेशाब की जाँच कारवाना चाहिए जिसको kft जांच कहते हैं| किडनी के रोग के लक्षण दिखाई देने पर नेफ़्रोलोजिस्ट आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए और किसी भी प्रकार के संदेह को स्पष्ट करना चाहिए|

किडनी फेल होने के लक्षण:-

कमजोरी

किडनी की बीमारी का एक सामान्य लक्षण है कि रोगी को शुरुआत में अधिक थकान महसूस होती है| सामान्य दिनों की तुलना में रोगी अधिक थकान महसूस करता है और ज्यादा काम भी नहीं कर पाता| उसको बार बार आराम करने का मन करता है, ऐसा इसलिए होता है| क्योंकि रोगी के खून में विषैले पदार्थ जमा हो जाते हैं| जिससे किडनी के कार्य क्षमता पर प्रभाव पड़ता है और रोगी शारीरक रूप से कमजोरी महसूस करता है| जिसके कारण रोगी को अधिक थकान महसूस होती है|

वजन का बढ़ना

किडनी फेल होने से पहले रोगी के शरीर में बहुत से बदलाव देखने को मिलता हैं, जिसमें वजन का बढ़ाना या घटना प्रमुख हैं| दोनों ही स्थितियों में सावधान हो जाना चाहिए| यह किडनी फेल होने का लक्षण हो सकता हैं| क्योंकि जब आपकी किडनी अपना काम ठीक से नहीं कर पाती तो इससे आपके शरीर में गंदगी जमा हो जाती है जिससे आपके शरीर में इसका बुरा प्रभाव पड़ता है| जो आपके मोटापे का कारण बन सकता है|

पेशाब संबंधी समस्या

किडनी की बीमारी होने पर पेशाब संबंधी समस्याएँ होने लगती हैं| पेशाब में खून आने लगता हैं, पेशाब की मात्रा में कमी होने लगती हैं| रात में जल्दी-जल्दी पेशाब आने लगता है, दिन के समय पेशाब पूरी तरह बंद हो सकती है| पेशाब का रंग गहरा हो जाता है| इसके अलावा पेशाब के रास्ते प्रोटीन निकालने लगता है| ऐसी ही कई सारी दिक्कतें आती हैं, जो आपको किडनी में खराबी दर्शाती हैं|

मांसपेशियों से जुड़ी दिकक्त

किडनी रोग होने पर मांसपेशियों में ऐंठन और झनझनाहट होती है| कई बार ऐसा सामान्य कमजोरी की वजह से भी हो सकता है| लेकिन अगर नियमित रूप से यह समस्या बनी रहती है तो यह किडनी फेल होने का लक्षण भी हो सकता है| क्योंकि जब किडनी में खराबी आती है तो शरीर के कई अंगों में इसका असर होता है जिससे आपकी मांसपेशियों में भी दिक्कत आ सकती है|

किडनी फेल होने के स्टेज

किडनी फेल होने के मुख्यत: पाँच चरण होते हैं:-

पहला चरण:

पहला चरण बहुत हल्का होता है और शुरुआत में इसके खास लक्षण महसूस नहीं होते| पहले स्टेज को हेल्दी लाइफस्टाइल, संतुलित आहार, नियमित योग व प्राणायाम और वजन को नियंत्रित रखकर किडनी को फेल होने से बचाया जा सकता है| साथ ही आपको डायबिटीज़ है तो आपको ब्लड शुगर को नियंत्रित करने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है क्योंकि ब्लड शुगर के बढ़ने से किडनी फेल होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है|

दूसरा चरण:

दूसरे चरण में भी किडनी की बीमारी के कोई खास लक्षण देखने को नहीं मिलते| इस स्टेज में पेशाब से प्रोटीन निकलने जाने के कारण शरीर में काफी कमजोरी नजर आ सकती है| और लापरवाही करने पर इस चरण में हार्ट से जुड़ी परेशानी, संक्रमण और ब्लड डिसऑर्डर भी हो सकता है| इस चरण में आप हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर किडनी को फेल होने से बचा सकते है|

तीसरा चरण:

तीसरे चरण में किडनी की बीमारी के लक्षण साफ दिखाई देने लगते हैं| इस चरण में हाथ-पैरों में सूजन, पीठ में दर्द और पेशाब के रंग में बदलाव आना और कभी-कभी पेशाब में खून निकलने जैसी परेशानी हो सकती है| जिससे साफ स्पष्ट हो जाता हैं कि किडनी ठीक से काम नहीं कर रही जिसके लिए आपको किडनी खराब होने के कारणों को जानने के लिए ब्लड टेस्ट और डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए| जिससे किडनी को संक्रमित और फेल होने से बचाया जा सके|

चौथा चरण:

चौथे चरण में किडनी की बीमारी थोड़ी गंभीर हो जाती है, यह समस्या इसलिए गंभीर हो जाती है क्योंकि रोगी इसके शुरुआती चरणों में आने वाले बदलावों और लक्षण पर गौर नहीं करता| चोथे चरण में किडनी पूरी तरह फेल तो नहीं होती लेकिन हाँ किडनी काम करना जरुर बंद कर देती है| इस स्थिति में रोगी में एनीमिया यानी कि खून की कमी, हाई ब्लड प्रेशर और हड्डी रोग जैसी समस्याएँ दिखाई देने लगती है| इस चरण में रोगी को आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लेकर सही उपचार लेने की जरूरत होती है| जिसके लिए आप आयुर्वेदिक उपचार ले सकते हैं ताकि आपकी किडनी की परेशानी पांचवी स्टेज तक न जाये|

पांचवा चरण

पांचवें चरण में किडनी पूरी तरह फेल हो जाती है| इसमें रोगी को उल्टी, सांस लेने में परेशानी, त्वचा में तेज खुजली और बहुत थकान महसूस होने साथ ही और भी बहुत से लक्षण देखाई देने लगते हैं| जिससे किडनी फंक्शन करना पूरी तरह बंद कर देती है और किडनी के नुकसान और अधिक दिखाई देने लगते है| इस स्थिति में एलोपैथी उपचार में नियमित रूप से डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है| लेकिन आयुर्वेद उपचार में आयुर्वेदिक औषधियों से फेल किडनी को ठीक किया जा सकता है|

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार: –

कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करता आ रहा है। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत कर्मा आयुर्वेदा को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। डॉ. पुनीत ने 1 लाख 50 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है। कर्मा आयुर्वेदा डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है!