आपने अपने आसपास बहुत से किडनी के गंभीर रोगियों को देखा होगा और उनकी परेशानी को देखकर आपको लगता होगा कि आखिर इनके साथ ऐसे कैसे हो गया यह तो बहुत अच्छे इंसान है|आपको यह पता होना चाहिए कि बीमारी कभी किसी को देखकर या किसी से पूछकर नहीं आती किसी का बीमार होने के पीछे कई कारण हो सकते है, जैसे नियमित रूप से खाना समय पर न खाना, संतुलित भोजन ना करना, पानी पर्याप्त मात्रा में नापीना इत्यादि बहुत से कारणों से आपको बीमारियों का सामान करना पड़ता है| जिनमें से किडनी रोग एक है आज 10 में से 1 व्यक्ति किडनी की बीमारी से संक्रमित है|

किडनी कोई सामान्य बीमारी नहीं हैं, क्योंकि अन्य बीमारी की तरह इसके शुरुआती चरण में सामान्य लक्षण दिखाई नहीं देते इसलिए किडनी रोग को साइलेंट किलर कहा जाता है| किडनी रोग एक गंभीर रोग हैं, इस बीमारी का पता रोगी को अंतिम चरण में चलता है जब स्थिति बहुत गंभीर हो जाती है और तब तक इस बीमार से खुद को संभाल पाना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है| लेकिन यदि किडनी में संक्रमण का पता लगते ही इसका नियमित आयुर्वेद उपचार से आसानी से ठीक होना संभव है आज आयुर्वेद में ऐसी कोई बीमारी नहीं जिसका इलाज न किया जाता हैं| आयुर्वेद में सभी बीमारियों को आयुर्वेदिक औषधियों के उपचार से आसानी से ठीक किया जा सकता है|

किडनी संक्रामण कैसे होता है:

पेशाब को बाहर निकालने वाली नली से अधिकतर बैक्टीरिया प्रवेश करते है, जो किडनी को सबसे ज्यादा प्रभावित करते है जिसके कारण किडनी संक्रिमित होती है| ज़्यादातर क्या होता कि अनजाने में दूषित खाना खाने से और दूषित पानी पी लेने से हानिकारक बैक्टीरिया आपके शरीर में पनप चुके होते हैं और आपको पता भी नहीं चलता,जिसके कारण आपकी तबीयत बिगड़ने लगती है और आप यह जाने बिना दवाई का सेवन करते है, कि आखिर किन कारणों से आपको परेशानी हो रही हैं| आप दर्द को कम करने के लिए कई दवाइयों का सेवन करते है, जिससे किडनी में इंफेक्शन अधिक बढ़ जाता है|

किडनी रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता बिल्कुल कमजोर पड़ जाती है, जिसके कारण किडनी रोग काफी लंबा चलता है| यदि कोई रोगी एलोपैथी उपचार करा रह होता है, तो ज्यादार डॉक्टर द्वारा डालयसीस या किडनी प्रत्यारोपण की सलाह दी जाती हैं| लेकिन आयुर्वेदिक उपचार में सबसे पहले रोगी की रोग प्रीतिरोधक क्षमता को बढ़ने के पर विचार किया जाता है, क्योकि किडनी रोग या किसी भी रोग में दवाई व औषधीय तभी काम करती है जब रोगी की रोगप्रतिरोधक क्षमता थोड़ी ठीक हो| इसलिए आयुर्वेद में सबसे पहले किडनी रोगी की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक औषिधियों से उपचार किया जाता है|

किडनी का मुख्य कार्य शरीर में खून का शुद्धिकरण करके विषैले पदार्थों को पेशाब के रास्ते बाहर निकालना होता है, लेकिन आप में से बहुत कम लोग यह नहीं जानते होंगे कि किडनी का काम केवल खून का शुद्धिकरण करना ही नहीं बल्कि शरीर में खून बनाना भी है और साथ ही साथ भोजन से मिलने वाले पोषक तत्वों को शरीर के अन्य अंगों तक पहुंचाना भी होता हैं| अधिकतर क्या होता है कि जब आप कुछ गलत खान पान को लंबे समय से ले रहे होते हैं, जिसे लीवर ठीक से पचा नहीं पता और इसका सीधा असर आपकी किडनी पर पड़ता हैं और किडनी ठीक से खून का शुद्धिकरण नहीं कर पाती और विषैले पदार्थ क्रिएटिनिन के रूप में जमा होने लगते है जिससे धीर-धीर किडनी संक्रिमित होने लगती है|

किडनी स्टोन एक व्यापक स्तर की बीमारी बन चुकी हैं| किडनी से संबंधित बीमारियों में सबसे ज्यादा किडनी स्टोन की बीमारी से ग्रसित लोग देखने को मिलते है, जिसकी मुख्य वजह है रोगी का नियमित रूप से पानी न पीना | पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना और साथ ही स्वच्छ पानी न पीना भी किडनी स्टोन होने का मुख्य करण है|

किडनी संक्रामण से खुद को बचाने के लिए निम्नलिखित उपायों को अपनाकर स्वस्थ रह सकते है|

1. ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना: –

ऐसे व्यक्ति जिन्हें बहुत लंबे समय से डायबिटीज़ है, उनमें किडनी संक्रमण अधिक देखने को मिलता हैं जिसकी मुख्य वजह है कि रोगी नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच नहीं करवाते और खान पीने में किसी भी प्रकार का कोई परहेज नहीं रखते जिससे ब्लड प्रेशर अनियंत्रित रूप से बढ़ता रहता है, जो किडनी की कार्य प्रणाली को प्रभावित करता है इसलिए आपको नियमित रूप से समय समय पर ब्लड शुगर की जांच करते रहना चाहिए जिससे किडनी को संक्रिमित होने बचाया जा सके|

2. संतुलित आहार खाना व नमक सीमित मात्र में लेना:

किडनी संक्रमण ऐसे लोगो में भी देखने को मिलता है, जो अपने खानापान पर ध्यान नहीं देते| इसलिए किडनी संक्रामण से बचने के लिए संतुलित आहार खाना चाहिए और अपने खाने में नमक की मात्रा सीमित रखनी चाहिए क्योंकि ज्यादा नमक खाने से किडनी में संक्रमणबढ़ने का खतरा अधिक होता है|

3. वजन को नियंत्रित रखे:

जिन लोगो का वजन अधिक होता है, ऐसे लोगो को बीमार होने का खतरा ज्यादा रहता है| आप जितनी अधिक शारीरिक गतिविधि करेंगे उतना ही आप खुद को स्वस्थ रख पाएंगे इसलिए आप कोशिश करे कि अपना वजन ज्यादा न बढ़ने दे इसके लिए आप नियमित रूप से योग व प्राणायाम करके भी बीमारियों से दूर व तनाव मुक्त जीवन जी सकते है| योग क्रियाओं से आप शरीर रूप से स्वस्थ व मानसिक रूप से शांत रह सकते है|