आज की दौड़ती भागती दुनिया में जहां पर शायद लोगों के पास थकने का भी समय नहीं है| वहाँ पर किसी भी रोग के लिए लोग जल्दी ठीक होने के लिए एलोपैथी इलाज़ लेते हैं| क्योंकि एलोपैथी इलाज़ आपकी बीमारी को जल्दी ठीक करता है| दुनिया में सबसे अधिक मान्यता बेशक एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति को मिली हुई हो लेकिन इसके उपचारों को वैकल्पिक ही कहा जा सकता है| क्योंकि एलोपैथी इलाज़ में आपको किसी भी रोग से पूरी तरह छुटकारा नहीं मिलता| आप किसी रोग के लिए एलोपैथी इलाज़ लेते हैं तो वह कुछ समय के लिए आपके उस रोग को ठीक करता है और वापस से आपको वही समस्या होने लगती है| इसके विपरीत अगर हम आयुर्वेदिक इलाज़ के बारे में बात करें तो आयुर्वेदिक इलाज़ पूरी तरह सफल और शुद्ध है| इसका आपके शरीर में कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता| आयुर्वेदिक इलाज़ बेशक धीरे धीरे असर करता है लेकिन आयुर्वेदिक इलाज़ रोग को जड़ से खतम कर देता है|

आयुर्वेदिक उपचार एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जो पूरी तरह स्वस्थ और सफल है| इसका मानव शरीर में किसी प्रकार का कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता| आयुर्वेदिक का शब्दिक अर्थ है जीवन का विज्ञान, और यह मनुष्य के समग्रतावादी ज्ञान पर आधारित होता है| आयुर्वेदिक इलाज़ के रूप में कई औषधीय गुण रखने वाली वनस्पतियों और जड़ी – बूटियों के द्वारा किसी भी रोग का इलाज़ होता है| आयुर्वेदिक इलाज़ के बारे और सरल भाषा में जानने के लिए यह भी कहा जा सकता है कि आयुर्वेद प्राचीन समय से चला आ रहा एक ऐसा जीवन विज्ञान है, जिसने वर्तमान समय में भी मनुष्य और प्रकर्ति दोनों के बीच एक बराबर संतुलन बनाए रखा है| व्यस्त जीवन में भी अगर लोग थोड़ा बहुत भी प्रकर्ति से जुड़े हुए हैं तो इस बात का श्रेय आयुर्वेद को जाता है| वर्तमान समय में भी आयुर्वेद लोगों के जीवन में किसी न किसी तरह शामिल है और यह अपना काम पूरी ईमानदारी से कर रहा है|

किडनी का काम क्या होता है:

किडनी मानव शरीर का एक जरुरी अंग है| लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि आखिर क्यों किडनी मानव शरीर में इतनी महत्वपूर्ण होती है? किडनी मानव शरीर का इतना महत्वपूर्ण अंग इसलिए है, क्योंकि किडनी का काम आपके शरीर में एक फ़िल्टर मशीन की तरह होता है| जिसका काम आपके रक्त को साफ़ करना होता है| आपके द्वारा लिए गए आहार से जो भी वेस्ट प्रोडक्ट शरीर में बनता है उसको यूरिन के माध्यम से बाहर निकालने का काम आपकी किडनी का होता है| किडनी आपके रक्त में से वेस्ट प्रोडक्ट को साफ कर के साफ़ रक्त को शरीर के अन्दर ही रहने देती है और उसकी गंदगी को बाहर कर देती है| जिससे आप शरीर में होने वाली कई सारी बीमारियों से दूर रहते हैं| इसके विपरीत अगर आपकी किडनी अपना काम सही तरह से नहीं कर पाती तो इससे आपके शरीर में वेस्ट प्रोडक्ट की मात्रा बढ़ती जाती है और आप कई सारी बीमारियों के शिकार हो सकते हैं|

जब आपकी किडनी में खराबी आ जाती है तो आप इसके लिए जल्दी से जल्दी ठीक होने वाला इलाज़ चाहते हैं| जिसके लिए आप एलोपैथी इलाज़ के रूप में डायलिसिस के दर्द को झेलते हैं और साथ ही कई लोग किडनी ट्रांसप्लांट के खर्चे को भी झेलते हैं| किडनी ट्रांसप्लांट वही लोग करवाते हैं जो ट्रांसप्लांट के खर्चे को अफोर्ड कर सकते हैं| क्योंकि यह काफी महंगा होता है और यह इलाज सफल होगा भी या नहीं इसका कोई पता नहीं होता| इसलिए लोग हमेशा के लिए डायलिसिस करवाने लगते हैं| डायलिसिस भी कोई सफल इलाज़ नहीं है| यह सिर्फ एक विकल्प है,जो किडनी के मरीज़ तब तक करते हैं, जब तक वह जिंदा रहना चाहते हैं| अगर डायलिसिस बंद हो जाता है तो समझ लीजिये की सांसें भी बंद हो जाती हैं| डायलिसिस करवाने में जो शाररिक समस्याएं होती हैं वो अलग हैं| जिनको आपको झेलना पड़ता है|

एलोपैथी इलाज़:

एलोपैथी इलाज़ का सिर्फ एक ही फायदा है कि यह असर जल्दी करता है| लेकिन इसका एक नुकसान यह है कि इसका असर शरीर में खतम भी जल्दी होता है| यानी कि जितनी जल्दी आपकी तकलीफ खतम होगी उतनी ही जल्दी आपको फिर से वही समस्या होने के चांस अधिक होंगे| इतना ही नहीं एलोपैथी दवाइयों सेआपके शरीर के अंगों को जो नुकसान हुआ वो अलग ही है| जब आपके शरीर में कोई दर्द होता है तो आप इसके लिए बिना डॉक्टर की सलाह के दर्द की दवा खा लेते हैं| जिससे आपका दर्द तो उस समय के लिए ठीक हो जाता है लेकिन इससे आपकी किडनी आपके लीवर और आपके हार्ट पर कितना बूरा असर पड़ता होगा| इस बात का आपको अंदाज़ा भी नहीं है| एक दर्द को दूर करने के लिए आपने अपने और अंगों को नुक्सान पंहुचा दिया| यह कितनी गलत बात है, अगर आपको शरीर में कहीं भी दर्द होता है तो आपको इसके लिए डॉक्टर की सलाह से दवाइयां लेनी चाहिए| ताकि डॉक्टर आपकी परेशानी को समझ कर आपको दवा दे जिसका आपको कोई नुक्सान न हो|

किडनी के लिए एलोपैथी इलाज़ क्यों सही नहीं:

किडनी के लिए एलोपैथी इलाज़ को पूरी तरह सफल कहना सही नहीं होगा| जब किडनी पूरी तरह काम करना बंद कर देती है, तो शरीर में वेस्ट प्रोडक्ट की मात्रा बढ़ने लगती है| लेकिन किडनी उसको सही से बाहर नहीं कर पाती| जिसके कारण आपको शरीर में कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है| जिसमें एक समस्या हार्ट से जुड़ी भी होती है| आपका हार्ट ब्लड को पंप करता है जिससे आपके शरीर के बाकी अंग अपना काम कर पाते हैं| लेकिन जब आपकी किडनी अपना काम ठीक से नहीं कर पाती तो इससे आपके रक्त में वेस्ट प्रोडक्ट की संख्या बढ़ जाती है| जिससे आपका रक्त गाढ़ा हो जाता है| नसों के माध्यम से जब ऐसा रक्त शरीर में जाता है तो इससे आपको त्वचा से जुड़ी परेशानी हो सकती है| साथ ही ऐसा रक्त आपके हार्ट तक पंहुचता है| लेकिन खून गाढ़ा होने की वजह से आपका हार्ट इसको पंप नहीं कर पाता और इससे हार्ट अटैक या हार्ट ब्लाक होने की संभावना बढ़ जाती है|

इसलिए शरीर में बाकी समस्या न हो तो इसके लिए किडनी का काम करने के लिए डायलिसिस का सहारा लेना पड़ता है| डायलिसिस एक आर्टिफीसियल प्रोसेस है जिसमें रक्त को मशीन द्वारा साफ़ किया जाता है| जो काम किडनी का होता है वही काम डायलिसिस करता है| लेकिन इसमें फर्क सिर्फ इतना है कि आपकी किडनी प्राक्रतिक रूप से रक्त को साफ करती है और डायलिसिस में वही काम मशीनों द्वारा होता है| डायलिसिस में आपके शरीर से सारा रक्त बाहर किया जाता है, फिर इसको मशीनों द्वारा छानकर वापस से ब्लड को शरीर में डाला जाता है| इस प्रोसेस में काफी दर्द होता है और किसी किसी को इस प्रक्रिया से कोई आराम भी नहीं होता| डायलिसिस आपकी किडनी के काम में कोई सुधार नहीं करता| बल्कि यह एक विकल्प होता है जिससे आप कुछ समय के लिए ठीक रहते हैं| परन्तु जैसे ही इसका असर खत्म होने लगता है आपको फिर से शरीर में कई सारी दिक्कतें आने लगती है|

इसका मतलब यह है कि अगर आप डायलिसिस करवाना बंद कर देंगे तो आपके रक्त में गंदगी जमा होने लगेगी| जिसके लिए आपको हमेशा ही डायलिसिस करवाने की जरूरत होगी| इसका साफ़ अर्थ यह है कि डायलिसिस कोई इलाज़ नहीं बल्कि यह एक ऐसा विकल्प है, जिसे आपको अपने जीवन में तब तक शामिल करना होगा जब तक आप जीना चाहते हैं| जहाँ आपने डायलिसिस बंद करवाया वहीँ आपका जीवन समाप्त| इसके बाद एलोपैथी में आता है किडनी ट्रांसप्लांट, किडनी ट्रांसप्लांट हर कोई अफोर्ड नहीं कर सकता| क्योंकि किडनी ट्रांसप्लांट बहुत ही महंगी प्रोसेस है और यह सफल होगी भी या नहीं यह पता नहीं होता| अगर हम आयुर्वेदिक इलाज़ के बारे में बात करें तो यह एक ऐसा इलाज़ है, जो कोई विकल्प नहीं है बल्कि किडनी की समस्या का सफल उपचार है| आयुर्वेद का जन्म हमारे भारत में ही हुआ और वर्तमान समय में आयुर्वेद के इस्तेमाल से कई गंभीर बीमारियों का इलाज सफलतापूर्वक किया जा रहा है|

आयुर्वेद :

आयुर्वेद मनुष्य के सिर्फ शरीर को ही नहीं बल्कि मन और आत्मा को स्वस्थ रखने का एक प्राचीन अभ्यास है| आयुर्वेद कहता है, कि मानव शरीर में होने वाली बीमारी कहीं बाहर से नहीं बल्की सर्व प्रथम शरीर के प्रमुख तीन दोष से उत्पन्न होती है|पीटा, वात और कफ..आयुर्वेद आपके इन्ही दोषों को प्राकर्तिक तरीकों से दूर करता है| आयुर्वेद में किडनी की बीमारी के लिए प्रयोग की जाने वाली जड़ी बूटियों में पुनर्नवा, गोखुर, वरुण, कासनी और शिरीष जैसी आयुर्वेदिक चीज़ों का प्रयोग किया जाता हैं|यह सभी जड़ी-बूटियों में किडनी उपचार के बेहतरीन गुण पाए जाते हैं, जो कि किडनी की बीमारी को कम करते हैं| यह पूरी तरह प्राकर्तिक है जो कि सिर्फ आपको लाभ ही देती है, इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता|

योग :

अगर आप अपने जीवन में योग को शामिल करते हैं, तो किडनी जैसी समस्या से आप दूर हो सकते हैं| इसके लिए आपको कुछ योग आसन करने होंगे और साथ ही सुबह शाम टहलना होगा| आप योग आसन में भुजंग आसन,मत्स्यासन,सेतु बंधासन, नौकासन और पश्चिमोत्तानासन को शामिल कर सकते हैं| आप बेशक सभी आसन 10 -10 मिनिट के लिए करें परन्तु जरुर करें| यह किडनी के मरीजों के लिए तो लाभदायक होता है साथ ही यह आपकी किडनी को स्वस्थ भी रखता है| जिससे आपको किडनी से सम्बंधित कोई परेशानी नहीं हो सकती|

आहार :

किडनी की समस्या को अपने जीवन से दूर करने के लिए आप अपने आहार में बदलाव जरुर करें| आप उन सभी आहार का सेवन बंद कर दें जिसमें प्रोटीन और पोटियम की मात्रा बहुत अधिक हो और साथ ही अपने खाने में अधिक मसाले का प्रयोग भी न करें| अधिक प्रोटीन और सेवन आपके शरीर में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ा सकता है जो कि आपकी किडनी के लिए हानिकारक हो सकता है|

ध्यान दें:

किडनी के मरीज़ इस बात का ध्यान दें कि आहार में कोई भी चीज़ शामिल करने से पहले और कोई भी योग को शामिल करने से पहले एक बार डॉक्टर से जरुर सलाह लें…