क्रोनिक किडनी डिजीज (सी.के.डी) स्टेज 5 (किडनी की 15% से कम कार्यक्षमता)

जब कई वर्षों तक धीरे-धीरे किडनी का कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है, तो उसे क्रोनिक किडनी डिजीज कहा जाता है। इस बीमारी की लास्ट स्टेज स्थायी रूप से किडनी फेल्योर होता है। क्रोनिक किडनी डिजीज होने को क्रोनिक रीन फेल्योर, क्रोनिक रीनल रोग या क्रोनिक किडनी फेल्योर के रूप में भी जाना जाता है। जब किडनी की कार्य क्षमता धीमी होने लगती है और स्थिति बिगड़ने लगती है, तब हमारे शरीर में बनने वाले अपशिष्ट पदार्थों और तरल की मात्रा खतरे के स्तर तक बढ़ जाती है। इसके उपचार का उद्देश्य रोग को रोकना या धीमा करना होता है, यह ज्यादातर इसके मुख्य कारणों को नियंत्रित करके किया जाता है। साथ ही क्रोनिक किडनी डिजीज के लोगों की सोच से कहीं अधिक विस्तृत है। जब तक यह रोग शरीर में अच्छी तरह से फैल नहीं जाता, तब तक इस रोग या इसके लक्षणों के बारे में कुछ भी पता नहीं चलता। जब किडनी अपनी क्षमता से 75 प्रतिशत कम काम करती है, तब लोग यह महसूस कर पाते है कि, उन्हें किडनी की बीमारी है।

 क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) – 5

क्रोनिक किडनी डिजीज के स्टेज 5 की अवस्था बेहद गंभीर होती है। इसमें eGFR अर्थात किडनी की कार्यक्षमता में 15% से कम हो सकती है, इसे किडनी डिजीज की अंतिम अवस्था भी कहते हैं। इस अवस्था में मरीज को डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ती है। रोगी में लक्षण साफ और तीव्र हो जाते हैं और उनके जीवन के लिए खतरा और जटिलताएं बढ़ सकती है।

क्रोनिक किडन डिजीज स्टेज – 5 के लक्षण

क्रोनिक किडनी डिजीज के स्टेज 5 में किडनी फेल्योर की क्षति होती है। इस स्टेज का वर्णन किडनी समारोह के नुकसान के 90-85% द्वारा किया जाता है। इसमें किडनी की कार्यक्षमता में कमी के परिणामस्वरूप विभिन्न लक्षण विकसित होते है।

  • पेशाब मात्रा का कम होना
  • हाथ, पैर और टखनें में सूजन
  • सांस की अस्पष्टीकृत कमी
  • अत्यधिक उनींदापन या थकान
  • मतली और उल्टी होना
  • बेहोशी
  • मांसपेशियों में ऐंठन
  • सिरदर्द

क्रोनिक किडनी डिजीज स्टेज 5 रोगी के लिए आहार परहेज –

  • नमक – हाई ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने और सूजन कम करने के लिए नमक कम खाना चाहिए। ऐसे मरीजों के आहार में हर दिन नमक की मात्रा 3 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए, नहीं इससे किडनी डैमेज होने अधिक संभावना होती है। साथ ही अधिक नमक खाद्य पदार्थ जैसे – पापड़, अचार, अमचूर, वेफर्स से परहेज करना चाहिए।
  • पानी की सही मात्रा लें – यूरिन कम आने से शरीर से सूजन तथा सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। जब शरीर में सूजन हो, तो कम मात्रा में पानी और पेय पदार्थ लेने चाहिए, जिससे सूजन के बढ़ने से रोका जा सके। अधिक सूजन को कम करने के लिए 24 घंटे में होने वाले पेशाब की मात्रा से कम मात्रा में पानी और पेय पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है। किडनी की सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपचार रक्त के दबाव को हमेशा के लिए नियंत्रण में रखना चाहिए है।
  • प्रोटीन – किडनी मरीजों को अधिक प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ न लेने की सलाह दी जाती है। शाकाहारी मरीजों के खान-पान में बड़ा परिवर्तन करने की आवश्यकता नहीं होती है। प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ जैसे दालें कम मात्रा में लाने की सलाह दी जाती है।
  • कैलोरी – हमारे शरीर में कैलोरी की सही मात्रा (35 Kcal / Kg) शरीर के लिए आवश्यक पोषण और प्रोटीन का आवश्यकता व्यय रोकने के लिए जरूरी है।
  • फास्फोरस – फास्फोरस युक्त पदार्थ किडनी डिजीज के मरीजों को कम मात्रा में लेना चाहिए। किडनी डिजीज के रोगियों को खान-पान से संबंधित सभी आवश्यक सूचनाएं कर्मा आयुर्वेदा से मिल सकती है।