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खराब किडनी किस प्रकार आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाती है?

डॉ. पुनीत धवन

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जिस प्रकार किडनी आपकी सेहत को सुधारने के लिए कई कार्यों को अंजाम देती है, ठीक उसी प्रकार यह खराब होने के बाद आपकी सेहत को कई प्रकार से नुकसान भी पहुंचाती है। किडनी खराब होने के कारण सेहत में पहुँचने वाले नुकसानों से छुटकारा पाना काफी मुश्किल होता है, जिसके चलते किडनी की बीमारी  और अधिक गंभीर बन जाती है। आज के इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे कि आखिर एक खराब हुई किडनी कैसे आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है |

खराब हुई किडनी इस प्रकार सेहत को पहुंचाती है नुकसान

हम सभी इस बात को जानते हैं कि किडनी हमारे शरीर में मौजूद सभी पौष्टिक तत्वों, अपशिष्ट उत्पादों और तमाम रसायनों के बीच संतुलन बना कर रखती है। किडनी के इस कार्य से हमारा शरीर स्वस्थ बना रहता है, लेकिन जब किडनी खराब हो जाती है तो वह अपने इस कार्य को ठीक से नहीं कर पाती। जिसकी वजह से हमारी सेहत को कई नुकसान पहुँचने लगते हैं, जो कि निम्न वर्णित है :-

पेशाब से जुड़ी समस्या

एक स्वस्थ किडनी हमारे रक्त को शुद्ध कर उसमें मौजूद सारे अपशिष्ट उत्पादों को अलग कर पेशाब का निर्माण करती है, लेकिन खराब किडनी अपने इस कार्य को नहीं कर पाती। जिसके कारण रोगी को अक्सर पेशाब से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे – कम पेशाब आना, पेशाब करते समय जलन होना, पेशाब के रंग में परिवर्तन और बदबूदार पेशाब आना आदि।

शरीर में सूजन आना

किडनी हमारे शरीर में मौजूद अतिरिक्त तरल और यूरिक एसिड को पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकाल देती है, पर जब किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती तो वह अपने इस कार्य करने में असमर्थ होती है। इस दौरान शरीर में तरल उत्पादों और यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है, जिसके कारण किडनी रोगी के शरीर में सूजन आने लगती है, वैज्ञानिक भाषा में इसे एडिमा के नाम से जाना जाता है। किडनी रोगी को अक्सर पैरों में और चेहरे पर सूजन का सामना करना पड़ता है।

त्वचा संबंधित समस्या

क्रिएटिनिन एक अपशिष्ट उत्पाद है, जिसका निर्माण हमारे शरीर में होता है। एक स्वस्थ किडनी इसे पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकाल देती है, लेकिन जब किडनी खराब हो तो इसकी मात्रा शरीर में बढ़ने लगती है। क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ने से रोगी को खुजली और शुष्क त्वचा का सामना करना पड़ता है। किडनी रोगी कुछ सौन्दर्य उत्पादों की मदद से शुष्क त्वचा से तो छुटकारा पा लेता है, लेकिन खुजली से छुटकारा पाना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि यह खुजली त्वचा के ऊपर ना होकर त्वचा के अंदर होती है।

पाचन संबंधित समस्या

किडनी खराब होने के कारण शरीर में बहुत-से अपशिष्ट उत्पाद जमा होने लगते हैं, जिसका पाचन तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है। ऐसे में किडनी रोगी को अपच, मतली या उल्टी आना, भूख ना लगना, गैस और कब्ज जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन सभी समस्याओं के कारण किडनी रोगी काफी कमजोर हो जाता है।

दिल संबंधित समस्या

दिल हमारे पुरे शरीर में साफ़ रक्त पहुंचाने का कार्य करता है, जो कि किडनी उस तक पहुंचाती है। लेकिन किडनी खराब होने पर वह रक्त को पूरी तरह साफ़ नहीं कर पाती, जिसके कारण रक्त में बहुत-से अपशिष्ट उत्पाद जमा होने लगते हैं। इस दौरान किडनी दिल तक अपशिष्ट उत्पादों से भरा रक्त पहुंचाती है, जिससे दिल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है। इसके अलावा किडनी रोगी को उच्च रक्तचाप और खराब कोलेस्ट्रॉल के बढ़ते स्तर का भी सामना करना पड़ता है, जिसके चलते दिल तक पूरी मात्रा में रक्त नहीं पहुँच पाता, जो कि दिल के दौरे के खतरे को बढ़ा देता है।

कमजोर हड्डियाँ

रक्त साफ़ करने के अलावा किडनी विटामिन डी का निर्माण कर हमारी हड्डियों को मजबूत बनाने का कार्य भी करती है। लेकिन जब किडनी खराब हो जाती है तो वह उचित मात्रा में विटामिन डी का निर्माण नहीं कर पाती, लिहाजा शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है और हड्डियाँ कमजोर हो जाती है। इसके अलावा किडनी खराब होने के दौरान शरीर में पैरा थायराइड हार्मोंस बढ़ने लगते हैं, जिससे हड्डियों से कैल्शियम निकलने लगता है और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इन हालात में रोगी को काफी दिक्कत होती है। यहीं नहीं, किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भी रोगी की हड्डी कमजोर रहती है। इसके लिए रोगी को हमेशा विटामिन डी की दवा खानी पड़ती है।

श्वास लेने में समस्या

जब किसी व्यक्ति की किडनी खराब होती है तो उस दौरान फेफड़ों में पानी और अन्य तरल उत्पादों की मात्रा बढ़ने लग जाती है, इसके कारण किडनी रोगी को श्वास लेने में समस्या होने लगती है। ऐसे में किडनी रोगी को रूक-रूक कर श्वास आने लगता है और उसे श्वास लेने में ज्यादा जोर लगाना पड़ता है।

आयुर्वेदिक उपचार से किडनी फेल्योर का उपचार है संभव

आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। आपको बता दें कि आयुर्वेदिक किडनी उपचार लेने से किडनी रोगी को किडनी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की जरुरत नहीं होती क्योंकि किडनी रोग का आयुर्वेदिक इलाज से ठीक हो जाते हैं।

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