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काबुली चने किडनी को कैसे रखते हैं स्वस्थ?

डॉ. पुनीत धवन

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किडनी हमारे शरीर के लिए कितना आवयश्क अंग है इस बारे में सब सभी भली-भांति वाकिफ है। यह हमारे शरीर में रक्तशोधन का सबसे जरुरी काम करती है, अपने इस काम के दौरान किडनी शरीर में जमा सभी अपशिष्ट उत्पादों जैसे – पोटेशियम, यूरिया, क्षार, अम्ल, अतिरिक्त शर्करा, कैल्शियम आदि को पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकाल देती है। किडनी के इस कार्य से ना केवल शरीर में रासायनिक संतुलन बना रहता है बल्कि व्यक्ति का शारीरिक विकास बिना किसी रूकावट के होता रहता है। लेकिन ऐसा तभी होता है जब किडनी स्वस्थ हो। अगर किडनी किसी समस्या से जूझ रही हो तो वह अपने कार्यों को नहीं कर पाती और व्यक्ति को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसलिए हमें हमेशा अपनी किडनी को स्वस्थ रखने के प्रयास करते रहना चाहिए, क्योंकि एक बार किडनी खराब हो जाए तो उसे फिर से ठीक कर पाना काफी मुश्किल होता है।

बहुत से लोगो को यह जान कर हैरानी होगी कि हम काबुली चने यानि छोलो की मदद से भी अपनी किडनी को खराब होने से बचा सकते हैं। उत्तर भारत में छोले बड़े चाव से खाए जाते हैं खास कर भटूरों और नान के साथ। लेकिन बहुत ही कम लोग इस बारे में जानते हैं कि यह ना केवल खाने में स्वादिष्ट होता है बल्कि यह किडनी को स्वस्थ रखने में भी मदद करते हैं। काबुली चनो में ऐसे बहुत से पौषक तत्व पाए जाते हैं जो कि हमें कई ऐसी समस्याओं से बचा कर रखते हैं जिनके कारण हमारी किडनी खराब हो सकती है। काबुली चनो में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम और जिंक जैसे मिनिरल्स होते हैं। वहीं विटामिन की बात करें तो छोलो में विटामिन सी। थियामिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन बी – 6, फोलेट, विटामिन बी -12, विटामिन ए, विटामिन ए विटामिन ई (अल्फा-टोकोफेरॉल), विटामिन डी (डी2 + डी3), और विटामिन K1 (फाइलोक्विनोन) भी प्रचुर मात्रा में मिलता है।

काबुली चने ऐसे रखते हैं किडनी को स्वस्थ

आपने ऊपर जाना की काबुली चने अपने अंदर कितने सारे पौषक तत्व समेटे हुए हैं, यह सभी तत्व हमे निम्न वर्णित बीमारियों से दूर रखने में मदद करते हैं जो कि किडनी खराब होने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं :-

मधुमेह के खतरे को दूर करे

चना खाने से रक्त शर्करा का स्तर काबू में रहता है, जिससे मधुमेह होने की आशंका बहुत कम हो जाती है। इसमें ग्‍लाइसेमिक इंडेक्‍स 28 होता है जो बहुत ही कम मात्रा में होता है, जो कि मधुमेह को काबू करने के लिए काफी लाभदायक है। वहीं इसमें फाइबर भी अच्‍छी मात्रा में होता है जो रक्‍त शर्करा के अवशोषण को धीमा कर देता है, जिससे टाइप 2 प्रकार के डायिबिटीज की संभावना कम हो जाती है। यही कारण है कि छोले चना आपके खून में शुगर स्‍तर को नहीं बढ़ने देता है। मधुमेह का एक कारण अत्यधिक भूख लगना भी है और चना भूख को कम करने का काम करता है। आपको बता दें कि मधुमेह किडनी खराब होने का सबसे बढ़ा कारण माना जाता है।

रक्तचाप को रखे काबू

काबू चने में पोटेशियम उचित मात्रा में मिलता है जो कि रक्त में सोडियम की मात्रा को काबू करने के लिए काफी आवयश्क होता है। पोटेशियम रक्त वाहिकाओं को शांत कर उन्हें फैलने में मदद करता है, जिससे रक्त प्रवाह बिना किसी रूकावट के होने लगता है और रक्तचाप काबू में आने लगता है। अगर रक्तचाप को काबू में ना किया जाए तो यह किडनी खराब होने का कारक बन सकता है।

पाचन करे मजबूत

अगर आप खराब पाचन तन्त्र की समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको काबुली चने को अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए लेकिन सिमित मात्र में। इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है, इसलिए चना पेट संबंधी समस्याओं जैसे गैस, कब्ज, डायरिया व सख्त मल आदि को ठीक कर स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देता है।

वजन कम करने में सहायक

बढ़ा हुआ वजन कई सारी बीमारियों को न्योता देता है, इसलिए वजन को हमेशा काबू में ही रखना चाहिए। अगर आप अपने बढ़े वजन को कम करना चाहते हैं तो आप अपने आहार में काबुली चने को शामिल कर सकते हैं। चने में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जो अत्यधिक भूख को निंयत्रित कर वजन घटाने में सहायता कर सकता है। वहीं, इसमें मौजूद फाइबर कैलोरी के सेवन को कम कर अतिरिक्त मोटापे को नियंत्रित करता है। इसके अलावा यह 'घ्रालिन' (भूख हार्मोन) को रिलीज़ होने से रोकता है।

सूजन कम करने में सहायक

काबुली चना खाने से शरीर में सूजन नहीं आती और पहले से आई हुई सूजन से भी राहत मिलती है। छोले के अन्‍य पोषक तत्‍व जैसे कि विटामिन ए, विटामिन सी, और बी 6, फाइबर, प्रोटीन मैग्‍नीशियम सेलेनियम और लौह ये सभी सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसलिए छोले को अपने आहार में शामिल किया जा सकता है यह आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद हो सकता है। आपको बता दें कि शरीर में बिना किसी कारण सूजन आना किडनी खराब होने की ओर इशारा करता है।

हड्डियों को करे मजबूत

काबुली चना खाने से हमारी हड्डियाँ मजबूत बनी रहती है। इसमें लोहा, फास्फोरस, मैग्नीशियम, तांबा और जस्ता प्रचुर मात्रा में होते हैं जो कि हड्डियों को मजबूत करने में मदद करते हैं। आपको बता दें कि किडनी खून साफ करने के साथ-साथ हमारी हड्डियाँ मजबूत करने का काम भी करती है।

ध्यान दें, यह लेख किडनी को स्वस्थ रखने की दृष्टि से लिखा गया है ना कि किडनी रोगी के लिए। किडनी रोगी को अपने आहार में काबुली चने शामिल नहीं करने चाहिए।

आयुर्वेदिक उपचार से होगा किडनी फेल्योर का उपचार

कर्मा आयुर्वेदा में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। आपको बता दें कि आयुर्वेदिक किडनी उपचार लेने से किडनी रोगियों का इलाज को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की जरुरत नहीं होती क्योंकि किडनी रोगी इन दोनों के बिना ही ठीक हो जाते हैं।

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