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किडनी रक्त को कैसे शुद्ध करती है?

डॉ. पुनीत धवन

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अपने आकार के बिलकुल विपरीत किडनी हमारे शरीर में कई मुख्य कार्य करती है| इन कार्यों में सबसे महत्वपूर्ण कार्य रक्त को शुद्ध करना होता है| इसके अलावा किडनी लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण भी करती है और हड्डियों को मजबूत भी रखती है। किडनी शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कुछ जरूरी हार्मोन बनाने में मदद करती है। हर मिनट, किडनी लगभग आधा कप रक्त साफ़ करती है, जिसमें मूत्र बनाने के लिए अपशिष्ट उत्पाद और अतिरिक्त पानी को अलग किया जाता है।

हमारी किडनी शरीर की कोशिकाओं द्वारा निर्मित अम्ल के निष्काशन का कार्य भी करती है। साथ ही किडनी रक्त से पानी, क्षार, और खनिजों- जैसे सोडियम, कैल्शियम, फास्फोरस और पोटेशियम के बीच संतुलन को बनाए रखती है। किडनी के इस कार्य से शरीर में रासायनिक संतुलन बना रहता है, जिसके बिना आपके शरीर में तंत्रिकाएं, मांसपेशियां और अन्य ऊतक सामान्य रूप से काम नहीं कर पाते जोकि कई समस्याओं को बुलावा दे सकता है। बहुत से लोगो को इस बारे में जानकारी तो है कि किडनी हमारे शरीर में बहने वाले रक्त को साफ करने का कार्य करती है, लेकिन इस विषय में बहुत कम जानकारी है कि किडनी आखिर रक्त साफ़ करती कैसे है? आज के इस लेख में हम आपको इसी विषय में पूरी जानकारी देंगे कि आखिर किडनी रक्त साफ करती कैसे है?

किडनी इस क्रिया द्वारा करती है रक्त शुद्ध

शरीर में मौजूद दोनों किडनी लगभग एक लाख फ़िल्टरिंग यूनिट से बनी होती हैं जिसे विज्ञान की भाषा में  नेफ्रॉन कहा जाता है। किडनी के यह फ़िल्टरिंग यूनिट एक छन्नी की तरह कार्य करते हैं। एक स्वस्थ व्यस्क व्यक्ति की दोनों किडनीयों में प्रति मिनट 1200 मिली लिटर रक्त स्वच्छ होने के लिए आता है, जो हृदय द्वारा शरीर में पहुँचने वाले पूरे खून के बीस प्रतिशत के बराबर होता है। प्रत्येक किडनी में दस लाख नेफ्रोन होते हैं, अगर इन सभी नेफ्रॉन को निकाल कर एक पंक्ति में रख दिया जाए तो यह करीब आठ मील तक लंबी हो सकती है। नेफ्रॉन दो चरण प्रक्रिया के माध्यम से काम करते हैं: ग्लोमेरुलस जोकि आपके रक्त को फिल्टर करता है और ट्यूब्यूल आपके रक्त में आवश्यक पदार्थों को वापस करता है और कचरे को निकालता है।

ग्लोमेरुलस एक प्रकार की छन्नी होती है। इसमें अनगिनत छोटे छेद होते हैं, जिनसे जल और छोटे आकर के पदार्थ आसानी से छन जाते हैं। लेकिन बड़े आकार की लाल रक्त कोशिकाएँ, सफेद रक्त कोशिकाएँ, प्लेटलेट्स, प्रोटीन आदि इन छिद्रों से पारित नहीं हो पाते। इसलिए इन सभी कोशिकाओं को स्वस्थ लोगों की पेशाब जांच में सामान्यतः नहीं देखा जा सकता है।

जब रक्त प्रत्येक नेफ्रॉन में प्रवाहित होता है उसी दौरान यह छोटी रक्त वाहिकाओं के एक समूह में प्रवेश करता है जिसके बाद यह ग्लोमेरुलस में जमा हो जाता है। ग्लोमेरुलस की पतली नलियों से छोटे अणु, अपशिष्ट उत्पाद और तरल पदार्थ पारित हो जाते हैं। प्रोटीन और रक्त कोशिकाओं जैसे बड़े अणु, रक्त वाहिका में रहते हैं। नलिका आपके रक्त में आवश्यक पदार्थों को वापस करती है और कचरे को हटा देती है।

ग्लोमेरुलस में बनने वाला 800 to 2,000 ml  (दिनभर में) पेशाब ट्यूब्यूल्स में आता है, जहाँ उसमें से 99 प्रतिशत द्रव का अवशोषण हो जाता है। ट्यूब्यूल्स में होने वाले अवशोषण को बुद्धिपूर्वक कहा जाता है क्योंकि इतनी बड़ी मात्रा में बने पेशाब में से जरूरी पदार्थ एवं पानी पुनः शरीर में वापिस चला जाता है। सिर्फ़ 1 से 2 लिटर पेशाब में पूरा कचरा एवं अनावश्यक क्षार बाहर निकल जाता है। इस तरह किडनी में बहुत ही जटिल विधि द्वारा की गई सफाई की प्रक्रिया के बाद बना पेशाब मूत्रवाहिनी द्वारा मूत्राशय में जाता है और मूत्रनलिका द्वारा पेशाब शरीर से बाहर निकलता है, इसी के साथ किडनी के रक्त शुद्ध करने की क्रिया पूरी हो जाती है।

किडनी से रक्त कैसे बहता है?

किडनी की धमनी के माध्यम से रक्त आपकी किडनी में बहता है। रक्त धमनियां, बड़ी रक्त वाहिका और छोटी रक्त वाहिकाओं में शाखाएं बनाती है जब तक कि रक्त नेफ्रॉन तक नहीं पहुंच जाता। नेफ्रॉन में, आपके रक्त को ग्लोमेरुली की छोटी रक्त वाहिकाओं द्वारा फ़िल्टर किया जाता है और फिर किडनी की शिरा के माध्यम से रक्त किडनी से बाहर निकल जाता है। आपका रक्त दिन में कई बार आपकी किडनी से शरीर में प्रवाहित होता है। एक ही दिन में, आपकी किडनी लगभग 150 क्वार्टर रक्त को फ़िल्टर करती है। अधिकांश पानी और अन्य पदार्थ जो आपके ग्लोमेरुली से फ़िल्टर होते हैं,  नलिकाओं द्वारा आपके रक्त में वापस आ जाते हैं। इस प्रक्रिया में केवल 1 से 2 क्वार्ट्स मूत्र बनता हैं।

आयुर्वेदिक औषधियों से होगा किडनी फेल्योर का उपचार

कर्मा आयुर्वेदा में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हमारे शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। आपको बता दें कि आयुर्वेदिक किडनी उपचार लेने से किडनी रोगी को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की जरुरत नहीं होती क्योंकि आयुर्वेदिक किडनी औषधियों द्वारा रोगी ठीक हो जाते हैं।

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