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क्या करेला खाने से किडनी स्वस्थ रहती है?

डॉ. पुनीत धवन

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कड़वा करेला एक ऐसी सब्जी है जिसे अगर गुणों को खान कहा जाए तो गलत नहीं होगा, यह सब्जी भले ही स्वाद में कड़वी होती है लेकिन यह हमें सवस्थ रखने में काफी मददगार होती है।आपको जानकर हैरानी होगी कि करेला कई बीमारियों के प्रभाव व उनके लक्षणों को कम करने की क्षमता रखता है। अगर आप नियमित रूप से करेलो को अपने आहार में शामिल करते हैं तो आप किडनी फेल्योर जैसे गंभीर रोग से भी दूर रह सकते हैं।यह हरी सब्जी स्क्वैश परिवार से संबंध रखती और इसका का वैज्ञानिक नाम मोमोर्डिका चरैन्टिया (MomordicaCharantia) है। इसे अंग्रेजी में बिटर मेलन और बिटर गॉर्ड के नाम से भी जाना जाता है।इसके अलावा, इसे बंगाली में कॉरोला, कन्नड़ में हगालाकायी और हिंदी में करेला कहा जाता है।

करेले में क्या-क्या पौष्टिक तत्व होते हैं?

करेले को ऐसे ही नहीं गुणों की खान कहा जाता है, इसके अंदर बहुत से पौषक तत्व मौजूद होते हैं जो इसे बाकी सब्जिओं से खास बनाते हैं। करेले के अंदर आपको पानी, प्रोटीन, लिपिड (फैट), कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस,पोटेशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, मैंगनीज,  सेलेनियम, विटामिन सी,  थियामिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, पैंटोथैनिक, एसिड, विटामिन बी-6, फोलेट, विटामिन ए जैसे पौषक तत्व मिलते हैं।

किडनी कैसे स्वस्थ रखता है करेला?

किडनी हमारे शरीर का सबसे खास अंग है जो कि शरीर में बहने वाले खून को साफ करने में मदद करती है। किडनी खून में मौजूद सारे अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकाल कर उन्हें पेशाब के ज़रिये शरीर से बाहर निकाल देती है। लेकिन जब किडनी खराब हो जाती है तो वः अपने इस काम को कारने में असमर्थ हो जाती है। जिसके कारण व्यक्ति को कई साड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन अगर आप करेले जैसी सब्जी को अपने आहार में शामिल करते हैं तो आपकी किडनी हमेशा स्वस्थ बनी रहेगी। क्योंकि करेला आपको कई ऐसी समस्याओं से बचा कर रखता है जिनके होने के कारण किडनी खराब होने की आशंका काफी बढ़ जाती है, तो चलिए जानते हैं आखिर कैसे किडनी को स्वस्थ रखता है कडवा करेला।

  • मधुमेह को काबू करे – रोजाना करेले का जूस पीने से मधुमेह जैसी गंभीर समस्या काबू में आने लगती है, इस बात से सभी लोग भली भांति परिचित है। करेला रक्त शर्करा के स्तर को काबू करने में मदद करता है, इसके लिए करेले में मौजूद चरन्तीं (charantin), विसीने (vicine) and पॉलीपेप्टाइड-पी (polypeptide-p) नामक तीन सक्रिय यौगिक मदद करते हैं। यह तीनो मिलकर यह पैंक्रियास के इन्सुलिन उत्पादन को बढ़ाते है और इन्सुलिन प्रतिरोध से भी बचाव करते हैं। इसकी यह खूबी इसे टाइप-1 एवं टाइप-2 दोनों ही प्रकार के मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद बनाती है। आपको बता दें कि मधुमेह किडनी खराब होने का विशेष कारण होता है।
  • रक्त साफ़ करे करेला – जिस प्रकार किडनी हमारे शरीर में रक्त साफ करने का कार्य करती है ठीक उसी प्रकार करेला भी रक्त साफ करने में मदद करता है।करेला रक्त को साफ़ एवं डेटोक्सीफाय करता है और रक्त विकारों के उपचार में मदद करता है।अशुद्ध रक्त लगातार सिर दर्द, एलर्जी, थकान और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता जैसे लक्षण पैदा कर सकता है।
  • सूजन से राहत दिलाए करेला - शरीर के किसी भी हिस्से में अचानक सूजन आना काफी गंभीर होता है, ऐसे में करेले की मदद से इससे छुटकारा पाया जा सकता हैं। करेले में एंटी-इन्फ्लामेटरी गुण भी मौजूद होते हैं। ऐसे में इसका सेवन सूजन के जोखिम से बचाव करने में मददगार साबित हो सकता है। किडनी खराब हो जाने पर अक्सर रोगी को सूजन का सामना करना पड़ता है, जो काफी दर्द भरी होती है। लेकिन ध्यान रहे किडनी रोगी को बहुत कम मात्रा में करेला खाने कि इजाजत होती है।
  • लीवर को रखे स्वस्थ – अगर किसी व्यक्ति का लीवर खराब हो जाए तो उसे निकट भविष्य में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन करेले में मौजूद हिपेटिक गुण लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।यह लिवर में से विषाक्त प्रदार्थों को बहार निकालने में भी सक्षम है। लिवर के सुचारू रूप से कार्य करने पर मोटापा, हृदय रोग, क्रोनिक थकान, सिर दर्द, पाचन समस्याओं, पीलिया एवं अन्य रोगों के होने का खतरा कम हो जाता है।लिवर को स्वस्थ रखने के लिए दिन में कम से कम एक कप करेले का जूस अवश्य पियें। आपको बता दें कि खराब लीवर का किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे एक्यूट किडनी फेल्योर का खतरा बढ़ जाता है।

क्या करेले खाने से नुकसान भी हो सकता है?

करेला खाने के दौरान हमें कुछ सावधानियों का जरुर ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि करेला हमें स्वस्थ करने के साथ साथ बीमार भी कर सकता है। जिससे हमारी किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसा सिर्फ कुछ खास परिस्थियों में होता है जो निम्नलिखित है:-

  • लीवर समस्या में – अगर आपको लीवर से जुडी कोई है तो आपको करेले का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसके सेवन से पेट में एंजाइम्स बढ़ जाते है। जिससे पेट में संक्रमण हो जाता है। इसके अवाला अगर आपको पाचन से जुडी कोई समस्या है उस दौरान भी करेले का सेवन ना करे। करेला तासीर में गर्म होता है जो पाचन को और ख़राब कर सकता है। जिसका सीधा असर किडनी पर पड़ता है।
  • लो शुगर के दौरान –  अगर आपका शुगर लो है तो आपको करेले के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि करेला शुगर को कम करने के काम आता है। अगर आप लो शुगर में करेले का सेवन करते है तो आप अचानक बेहोश होने के साथ साथ किडनी पर बुरा असर भी पड़ सकता है। इसके अलावा आपके शरीर में कमजोरी और यादाश पर भी असर पड़ता है।
  • पाईल्स की समस्या में –  जिन लोगो को पाईल्स यानि बवासीर की समस्या है उन लोगो को भी करेले का सेवन नही करना चाहिए। क्योंकि यह तासीर में गर्म होता है, जिससे रोगी की परेशानी बढ़ और ज्यादा बढ़ सकती है।
  • हाल में हुई सर्जरी के दौरान –  अगर आपकी हाल ही में सर्जरी हुई है तो आपको करेले का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे रक्त शर्करा पर बुरा असर पड़ सकता है। जिससे घाव भरने में समय लग सकता है। साथ ही सर्जरी की जगह से रक्त प्रवाह बढ़ सकता है।
  • मासिक धर्म (पीरियड्स) की समस्या में –  अगर आपके पीरियड्स चल रहे है तो आपको करेले का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे पीरियड्स लम्बे समय तक चल सकता है और बिलिडिंग भी बढ़ सकती है। जिन लड़कियों को पीरियड्स से जुडी कोई समस्या है तो उन्हें भी करेले का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाऐं ना खाएं –  गर्भवती महिलों को करेले का सेवन नही करना चाहिए। क्योंकि इसमेंमोमोकैरिन पाया जाता है जो प्रेगनेंसी में नुकसान दे सकता है। अगर महिला इसका अधिक सेवन करती है तो गर्भपात का भी खतरा रहता है।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। वर्तमान में इसकी बागडौर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। आपको बता दें कि कर्मा आयुर्वेदा में किडनी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना किडनी रोगियों का इलाज किया जाता है। कर्मा आयुर्वेद पीड़ित को बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांस्पलेंट के ही पुनः स्वस्थ करता है। कर्मा आयुर्वेद बीते कई वर्षो से इस क्षेत्र में किडनी पीड़ितों की मदद कर रहा है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

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