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क्या होता है किडनी कैंसर?

डॉ. पुनीत धवन

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हम सभी इस बात से वाकिफ है कि किडनी हमारे शरीर के लिए कितना खास अंग है। किडनी हमारे शरीर में बहने वाले खून को साफ़ करने का काम करती है। खून साफ़ करने के दौरान किडनी खून में मौजूद सारे अपशिष्ट उत्पादों को अलग कर उन्हें पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकाल देती है। इसके अलावा, किडनी हमारे शरीर में खून बनाने, तरल उत्पादों का संतुलन बनाने और हड्डियों को मजबूत करने तक का काम भी करती है। बावजूद इसके कई कारणों के चलते किडनी कई समस्याओं से घिर जाती है।

वैसे तो किडनी से जुड़ी हुई कुछ बीमारियाँ हैं, जैसे – किडनी फेल्योर, नेफ्रोटिक सिंड्रोम, पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज, एक्यूट किडनी डिजीज, किडनी स्टोन, किडनी इन्फेक्शन। हालांकि, इन सब में सबसे गंभीर समस्या किडनी फेल्योर को माना गया है, लेकिन इसके अलवा किडनी कैंसर भी किडनी से जुड़ी गंभीर और जानलेवा बीमारियों में से एक है क्योंकि इससे छुटकारा पाना काफी मुश्किल होता है।

किडनी में कैंसर क्या है?

किडनी का कैंसर, एक ऐसा कैंसर है जोकि किडनी में मौजूद कोशिकाओं में शुरू होता है। किडनी का कैंसर एक असामान्य स्थिति होती है। किडनी कैंसर के दौरान किडनी में कोशिकाओं का अनियंत्रित विकास होने लगता है जो शुरुआत में सामान्य दिखाई देता है लेकिन समय के साथ यह नई कोशिकाएं अन्य सामान्य कोशिकाओं को नष्ट करने लग जाता है। अन्य कैंसरों के मुकाबले किडनी में हुआ कैंसर काफी गंभीर माना गया है, क्योंकि इसके हो जाने पर किडनी का सबसे जरुरी काम “रक्त शोधन” रुक जाता है। खून साफ ना होने के कारण रोगी को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे – शरीर के कई हिस्सों में सूजन, पेशाब से जुड़ी समस्या, कमजोरी, उल्टियाँ आना, भूख की कमी आदि, वहीं किडनी बड़ी तेजी से खराब होने लग जाती है।

किडनी कैंसर कितने प्रकार का होता है?

जिस प्रकार किडनी रोग कई प्रकार के होते हैं ठीक उसी प्रकार किडनी कैंसर भी कई प्रकार के होते हैं। आम तौर पर किडनी में दो प्रकार के कैंसर पाए जाते हैं, लेकिन किडनी से जुड़े हुए चार प्रकार के कैंसर होते हैं जोकि निम्नलिखित है :-

ट्रान्सिशनल सेल कार्सिनोमा (TRANSITIONAL CELL CARCINOMA)

यूरोथेलियल कार्सिनोमा (Urothelial carcinoma) किडनी का यह कैंसर पेशाब से जुड़ी समास्याओं का कारण होता है। किडनी से जुड़े इस कैंसर के होने के पीछे का कारण ट्रान्सिशनल सेल कार्सिनोमा को माना गया है, जोकि पांच से दस फीसदी किडनी कैंसर का कारण माना जाता है। किडनी का यह कैंसर पेल्विस से शुरू होता है। पेल्विस किडनी की वो जगह है जहाँ पर पेशाब मुत्रवाही में जाने से पहले ठहरता है।

रीनल सेल कार्सिनोमा (RENAL CELL CARCINOMA)

रीनल सेल कार्सिनोमा (आरसीसी) किडनी में होने वाला एक ट्यूमर है जो किडनी कैंसर का रूप ले लेता है। किडनी में होने वाले कैंसर का यह 90% तक कारण बनता है। यह किडनी के अंदर की छोटी नलिकाओं की लाइनिंग में उत्पन्न होता है। किडनी की यह छोटी नलिकाएं रक्त को साफ करने का काम करती हैं और मूत्र बनाती हैं। आमतौर पर तो यह ट्यूमर केवल एक ही किडनी में होता है लेकिन कभी-कभी यह दोनों किडनियों में भी हो सकता है। इसके अलावा ट्यूमर की संख्या एक से अधिक भी हो सकती है।

विल्म्स ट्यूमर (WILMS TUMOR)

विल्म्स ट्यूमर किडनी में होने वाला एक गंभीर कैंसर है, जोकि यह बड़ों की तुलना में बच्चों में ज्यादा होता है। किडनी के इस कैंसर को नेफ्रोब्लास्टोमास के नाम से भी जाना जाता है।

  1. रीनल सारकोमा (RENAL SARCOMA) :}

किडनी में होने वाला कैंसर रीनल सारकोमा, किडनी का सबसे दुर्लभ कैंसर होता है। यह बाकि किडनी के कैंसर के मामलों में से सिर्फ एक प्रतिशत मामलों का कारण बनता है। रीनल सारकोमा का इलाज अन्य सारकोमा के समान किया जाता है।

किडनी में कैंसर होने के पीछे क्या कारण है?

जिस प्रकार किडनी खराब होने के पीछे कुछ कारण होते हैं ठीक उसी प्रकार किडनी में कैंसर होने के पीछे कुछ कारण होते हैं, जो निम्न वर्णित है :-

  • अधिक धुम्रपान करने से किडनी के नेफ्रोन क्षतिग्रस्त होना शुरू हो जाते हैं। जिसके चलते किडनी खराब होने के साथ किडनी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
  • जब किसी व्यक्ति की किडनी खराब हो जाती है तो रोगी झट से डायलिसिस  की ओर चल पड़ता है। लंबे समय तक डायलिसिस कराने के बाद किडनी तो ठीक नहीं होती उल्टा किडनी कैंसर होने का खतरा और बढ़ जाता है।
  • पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज में किडनी पर बनने वाले सिस्ट का अगर समय पर उपचार ना हो पाए तो किडनी कैंसर का खतरा दोगुना बढ़ जाता है।
  • अनुवांशिक कारणों से भी किडनी का कैंसर हो सकता है। इस स्थिति में दोनों किडनी में ट्यूमर हो सकता है। अनुवांशिक किडनी कैंसर के लक्षण कम उम्र से ही दिखाई देने लगते हैं, जिसके कारण इसे पकड़ना आसान होता है।
  • अगर आप उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको किडनी से जुड़ी समस्या होने की संभावना बढ़ सकती है। उच्च रक्तचाप किडनी खराब होने का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। लंबे समस्या तक उच्च रक्तचाप रहने से किडनी में कैंसर बनने की संभावना अधिक होती है।
  • जिन लोगो का वजन अधिक होता है उनको अन्य कैंसर होने के साथ-साथ किडनी का कैंसर होने की संभावना भी अधिक होती है। वहीं पतले लोगो को किडनी का कैंसर होने की आशंका काफी कम होती है। मोटापे की वजह से किडनी कैंसर का खतरा लगभग 70 प्रतिशत बढ़ जाता है।
  • अधिक मात्रा में एल्कोहल का सेवन करने पर किडनी की सेहत पर विपरीत असर होता है जिससे किडनी कैंसर के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। एल्कोहल ना पीने वाले लोगों में किडनी कैंसर का खतरा कम होता है।

अन्य कैंसर के भांति क्या किडनी कैंसर भी चरणों में होता है?

हाँ, अन्य कैंसर के भांति किडनी का कैंसर भी कई चरणों में होता है। किडनी में हुआ कैंसर चार चरणों में अपना विकास करता है, जो कि निम्नलिखित है :-

पहला चरण - पहले चरण का मतलब है कि ट्यूमर 7 से.मी. (2¾ इंच) से कम माप का है और किडनी तक ही सीमित है। इस चरण में रोगी को आराम से इससे छुटकारा दिलाया जा सकता है।

दूसरा चरण - दूसरे चरण का अर्थ है कि ट्यूमर का माप 7 से.मी. से अधिक है। दुसरे चरण में ट्यूमर का आकार टेनिस बोल के समान होता है। इस चरण में भी ट्यूमर किडनी तक ही सीमित रहता है।

तीसरा चरण - किडनी कैंसर में तीसरा चरण काफी जटिल होता है, क्योंकि इस चरण में ट्यूमर का आकार का अनुमान लगाना काफी जटिल होता है। तीसरे चरण में ट्यूमर किसी भी आकार का हो सकता है, साथ ही यह किडनी से लेकर आसपास के ऊतकों तक फैल जाता है और यह क्षेत्रीय लिम्फ नोड्स में भी फैल सकता है। ट्यूमर प्रमुख नसों या अधिवृक्क ग्रंथि में मौजूद होता है और किडनी व अधिवृक्क ग्रंथि के आस-पास वाले रेशेदार ऊतक के भीतर होता है।

चौथा चरण - किडनी कैंसर का चौथा चरण अंतिम चरण होता है। इस चरण में ट्यूमर अपने विकराल रूप में होता है। वह किडनी और अधिवृक्क ग्रंथि के आस-पास वाले रेशेदार ऊतक के बाहर फैल चुका होता है या यह कई लसीका नोड्स या शरीर के दूसरे हिस्सों जैसे हड्डियों, मस्तिष्क, लीवर या फेफड़ों में फैल जाता है। अंतिम चरण में किडनी एक दम खराब हो जाती है जिसे ठीक करना असंभव होता है।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। वर्तमान में इसकी बागडौर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। कर्मा आयुर्वेद पीड़ित को बिना किडनी डायलिसिस और किडनी ट्रांस्पलेंट के ही पुनः स्वस्थ करता है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज किया है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

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