मरीज़ शैलेंद्र सिंह जो 53 साल के हैं। वह किडनी बीमारी के लास्ट स्टेज पर थे और हर दिन डायलिसिस लिया करते थे। रोगी ने अपनी जिंदगी जीने की उम्मीद खो दी थी। इस वीडियो में रोगी का बेटा बताता है कि जब वह नियमित रूप से डायलिसिस लिया करता थे तब भी उनका क्रिएटिनिन स्तर तेजी से बढ़ रहा था। फिर उन्होंने कर्मा आयुर्वेदा से इलाज शुरू किया।

कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक इलाज के बाद रोगी में केवल किडनी की बीमारी में ही नहीं बल्कि डायलिसिस से भी रोगी को आराम मिला है। बता दें कि, आयुर्वेदिक उपचार के बाद रोगी का क्रिएटिनिन 3.54 हो गया। आयुर्वेदिक उपचार किडनी डिजीज में प्राकृतिक तरीके और स्वाभविक रूप से किडनी का इलाज करती है। जो हम सभी के लिए प्रकृति का उपहार है।

किडनी फेल्योर

ज्यादातर किडनी फेल होने के जो मामले सामने आए है उनमें व्यक्ति की जीवनशैली में जुड़ी गलत आदतें इसकी जिम्मेदार होती है। आजकल की वयस्त जीवनशैली में आप जाने-अनजाने में कई ऐसी गलत आदतें पाल लेते हैं जिनका आपको एहसास भी नहीं होता है, लेकिन जीवन में कुछ छोटी-छोटी गलत आदतें मौत के करीब ले जाती है। शरीर में किडनी का अहम कार्य शुद्धिकरण का होता है, लेकिन   शरीर में किसी रोग की वजह से जब दोनों किडनी अपना कार्य करने में अक्षम हो जाती है तो तब इसे किडनी फेल्योर कहा जाता है।

कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल, डॉ. पुनीत धवन

कर्मा आयुर्वेद उन सभी लोगों के लिए एक आशा की किरण के रूप में काम करता है जो डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण के दर्द का सामना कर रहे हो। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल 1937 से सफलतापूर्वक किडनी रोगियों को इलाज करते हैं। ये 5 पीढ़ियों से चला आ रहा है और आज इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है। डॉ. पुनीत ने 30 हजार से ज्यादा किडनी रोगियों का इलाज किया है। इस अस्पताल में सिर्फ ओर सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार से किडनी के मरीजों का इलाज किया जाता है। साथ ही डॉ. पुनीत रोगी को उचित डाइट चार्ट की सलाह भी देते हैं।