रोगी का नाम पूर्ण नारायण हैं जो काठमांडू, नेपाल के रहने वाले हैं। वह किडनी फेल्योर की समस्या से पीड़ित थे उन्हें उस समस्या में काफी परेशानियों और दर्द का सामना करना पड़ रहा था। इस समस्या से उनकी गंभीर हालत हो गई थी।

इलाज से पहले

  • खाना खाने का मन न करना
  • उच्च क्रिएटनिन लेवल – 5.5
  • उच्च यूरिया – 147

आयुर्वेदिक इलाज के बाद

कर्मा आयुर्वेदा से इलाज के बाद रोगी पहले से बेहतर महसूस कर रहा हैं। रोगी को 3 से 4 महीने में ही सुधार दिखना शुरू हो गया और क्रिएटिनिन लेवल भी पहले से कम हो गया। रोगी पूर्ण नारायण जी अब शारीरिक तौर पर फिट हैं

  • भूख अच्छे से लगती हैं
  • क्रिएटिनिन लेवल – 4.5
  • यूरिया – 131

विश्लेषण:

डॉ. पुनीत धवन ने हजारों रोगियों का इलाज कर चुके हैं। सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार और आहार चार्ट की मदद से। इसका सबुत भी हैं रोगियों की रिपोर्ट। कर्मा आयुर्वेदा में डायलिसिस या ट्रांसप्लांट के बिना किडनी का इलाज किया जाता हैं।


किडनी का कार्य और किडनी की बीमारी

किडनी शरीर का एक जरूरी अंग हैं जो शरीर से सारे हानिकारक और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करती हैं। किडनी रक्त को साफ करके सारे विषाक्त पदार्थों को पेशाब के रूप शरीर से बाहर निकाल देती हैं और हर मनुष्य के शरीर में दो किडनी होती हैं। साथ ही किसी भी वजह से अगर एक किडनी काम करना बंद कर दे, तो दूसरी किडनी पर मानव जीवित रह सकता हैं, लेकिन एक किडनी के सहारे जिंदगी गुजरना बहुत मुश्किल हो जाता हैं।

आजकल की बदलती लाइफस्टाइल की वजह से इंसान की जीवनशैली खराब होती जा रही हैं। वक्त पर खाना नहीं खाना, दवाइयों का ज्यादा इस्तेमाल और पानी की सही मात्रा नहीं लेने से भी किडनी पर प्रभाव पड़ता हैं। ऐसे में इस पर भार बढ़ता हैं और ये काम करना बंद कर देती हैं। किडनी फेल्योर एक खतरनाक बीमारी इसलिए हैं, क्योंकि इसकी प्रथम अवस्था में पता नहीं चलता हैं। ये धीरे-धीरे खराब हो रही हैं। फिर भी शरीर कई ऐसे संकेत देता हैं जिससे अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि किडनी सही से काम कर रही हैं या नहीं।

कर्मा आयुर्वेदा नई दिल्ली के प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्रो में से एक हैं। जिसमें देश-विदेश से आए किडनी मरीजों का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता हैं। साथ ही कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था जिस आज डॉ. पुनीत धवन चला रहे हैं। आयुर्वेदिक दवा किडनी की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं वो भी बिना किसी डायलिसिस या ट्रांसप्लांट के।