पेशेंट का नाम प्रदीप कुमार शर्मा, जो हापुड़, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। वह किडनी की समस्या से जूझ रहे थे और इस समस्या से उन्हें काफी दर्द का सामना करना पड़ रहा था। साथ ही एलोपैथी डॉक्टरों ने डायलिसिय और किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के लिए बोल दिया था।

इलाज से पहले

  • पैरों में सूजन
  • उल्टी होना
  • यूरिन में झाग आना
  • उच्च क्रिएटिनिन लेवल – 6.18
  • उच्च यूरिया – 97.5

आयुर्वेदिक इलाज के बाद

कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक इलाज के बाद प्रदीप जी पहले बेहतर महसूस कर रहे हैं। रोगी डायलिसिस और ट्रांसप्लांट करवाने से बच गए हैं। रोगी अब शारीरिक तौर से फिट हैं। रोगी ने खुद बताया कि, एलोपैथी डॉक्टर भी रिपोर्ट को देखकर हैरान हो गए थे।

  • सूजन खत्म हो गई
  • उल्टी न होना
  • यूरिन भी सही से आता हैं
  • क्रिएटिनिन लेवल – 3.89
  • यूरिया स्तर – 69

विश्लेषण:

कर्मा आयुर्वेदा के आयुर्वेदिक उपचार के साथ डॉ. पुनीत धवन ने किडनी रोगियों को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट पर जाने से बचाया हैं। ऐसा इसलिए संभव हो पाया, क्योंकि डॉ. पुनीत अपने मरीजों को आयुर्वेदिक उपचार के साथ आहार चार्ट पालन करने की सलाह देते हैं। जिससे रोगी का क्रिएटिनिन लेवल कम हो जाता हैं और रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करता हैं।


क्रिएटिनिन का आयुर्वेदिक उपचार   

क्रिएटिनिन का बड़ा हुआ लेवल किडनी संबंधी बीमारी या समस्याओं की ओर इशारा करता हैं, क्रिएटिनिन हर व्यक्ति के रक्त में पाए जाने वाला एक वेस्ट पदार्थ होता हैं। सामान्य स्थिति में आपकी किडनी को छानकर आपके शरीर में बाहर निकालता हैं, लेकिन कुछ स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं में किडनी के कार्य में बाधा पंहुचाता हैं जिसकी वजह से क्रिएटिनिन बाहर नहीं निकल पाता हैं और रक्त में इसका स्तर बढ़ने लगता हैं, इसलिए आप आहार में परिवर्तन, जीवनशैली में कुछ बदलाव और कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक उपचार करवाएं, जिससे बढ़े हुए क्रिएटिनिन लेवल सामान्य हो जाएगा हैं।

किडनी के प्रसिद्ध उपचार केंद्र में से एक हैं कर्म आयुर्वेदा। जो 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल भारत का एकमात्र किडनी उपचार केंद्र हैं। यहां आयुर्वेदिक उपचार के द्वारा किडनी मरीजों इलाज किया जाता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग किया हैं। वो भी डायलिसिस या ट्रांसप्लांट के बिना।