मनुष्य का शरीर एक मशीन की तरह ही हैं ये समय के साथ-साथ इसमें भी खराबियां आती हैं। शरीर में बहुत से अंग होते हैं और सबका काम अलग-अलग होता हैं। शरीर का हर अंग बहुत ही खास होता हैं, इन्ही में से एक हैं किडनी।

किडनी शरीर में छननी का काम करती हैं। ये दूषित पदार्थों को छानकर उन्हें बाहर कर देती हैं, लेकिन कभी-कभी किडनी में सिकुड़न भी आ जाती हैं। किडनी की छोटी रचना जिसे हम नेफ्रोंस कहते हैं, उसमें भी इसी वजह से सिकुड़न आ जाती है।

सिकुड़न की वजह से किडनी छानना बंद कर देती हैं:

नेफ्रोंस के दब जाने के कारण ही ये सिकुड़ जाती हैं और ठीक तरह से काम करना बंद कर देती हैं, क्योंकि इसका काम ही है, शरीर के विषैले पदार्थों को छानकर बाहर करना, इस काम को ये ठीक से नहीं कर पाती हैं और शरीर के रक्त में विषैले पदार्थ घुल जाते हैं। इसी वजह से हमारे रक्त में यूरिया और इसके जैसे कई घातक रसायन घुल जाते हैं, जो शरीर के लिए बहुत ही नुकसानदायक होते हैं।

किडनी की सिकुडन के लक्षण:

  • हाथ, पैर, टखना और चेहरा में सूजन
  • पेशाब का रंग गाढ़ा होना
  • पेशाब की मात्रा का बढ़ना या अधिक कम होना
  • बार-बार पेशाब आने का अहसास होना
  • पेशाब में झाग आना
  • शरीर में ऑक्सीजन का कम होना
  • गर्मी में ठंड लगना
  • शरीर में कमजोरी और थकान महसूस होना
  • बुखार
  • त्वचा में रैशेज और खुजली होना
  • मुंह से बदबू आना
  • मतली और उल्टी आना
  • पीठ के नीचले भाग में दर्द होना
  • पेशाब में रक्त का स्तर बढ़ जाना
  • लंग्स में फ्लूइड जम जाना, जिससे सांस लेने में असुविधा होना

सस्ते में किजिए किडनी की सिकुड़न का इलाज

किडनी बीमारी का कोई इलाज नहीं हैं सिर्फ ट्रांसप्लांट के अलावा। इसलिए आप किडनी सिकुड़ने पर इन देसी नुकसकों को अपना सकते हैं। जी हां, जिन लोगों की किडनी सिकुड़ गई है,उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं हैं, इसका इलाज संभव हैं और बहुत ही सस्ते में किया जा सकता हैं।

इन्होंने किडनी की सिकुड़न को ठीक करने के लिए हैं कि इसके इलाज में मकोय बहुत ही लाभकारी हैं। ये पूरे भारत में पाया जाता हैं, इसे आप किसी भी झाड़ी के नजदीक देख सकते हैं। इस फल को हर भाषा में अलग-अलग नामों से जाना जाता हैं। संस्कृत में इसको काकमाची, मराठी में कमोनी, मेको, मलयालम में क्रिन्टाकली, असमिया में पीचकटी, गुड़कमाई, तमिल में मन्टटकल्ली, तेलुगु में गजुरती में पीलूडी, बंगाली में काकमाची, नेपाल में परे गोलभेरा, जंगली बिही, काकमाची, काली गेडी, पंजाबी में काकमाच कहते हैं।

कई जगहों पर बनती है मकोय की सब्जी

इसका फल बहुत छोटा होता हैं और इस फल का रंग हरा होता हैं। पक जाने पर ये बैंगनी रगं का हो जाता हैं। ये खान में मीठा होता है, इसलिए इसे लोग खाते भी हैं। कई जगहों पर इसकी सब्जी भी बनाई जाती हैं। इस फल का वैज्ञानिक नाम “Solanum americanum mill हैं और अंग्रेजी में “common nightshade कहते हैं।

इस तरह भी कर सकते हैं किडनी का इलाज

जिन लोगों में किडनी में सिकुड़न हो, उनको इस फल का पूरा पौधा लेकर उसके फल को तोड़ लेना चाहिए। फल को अच्छी तरह से से धोकर फल के सारे रस को निकालकर रख लेना चाहिए। साथ ही आप हर रोज़ 20ml दिन में दो बार इसका सेवन करें। ऐसा लगातार 3 महीने तक करते रहे, 3 महीने बाद आप जाकर सोनोग्राफी करवाएं, आपकी किडनी की सिकुड़न बिल्कुल सही हो जाएगी।


किडनी की सिकुड़न का आयुर्वेदिक उपचार

भारत के प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्रो में से एक हैं कर्मा आयुर्वेदा। ये 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था जिसके नेतृत्व में 5वीं पीढ़ी यानी डॉ. पुनीत धवन हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार का इस्तेमाल किया जाता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत सफलतापूर्वक अपने सभी मरीजों का इलाज करते हैं और उन्होंने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस और ट्रांसप्लांट की सलाह के बिना।