किडनी के रोगों में क्रोनिक किडनी डिजीज फेल्योर एक गंभीर रोग हैं, क्योंकि विशेषज्ञ में इस रोग को खत्म करने की कोई दवा उपलब्ध नहीं है। पिछले कई सालों से इस  रोग के मरीजों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही हैं। साथ ही दस में से एक व्यक्ति को किडनी की बीमारी होती हैं। डायबिटीज, उच्च, रक्तचाप, पथरी इत्यादि रोगों की बढ़ती संख्या इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। “क्रोनिक रीनल फेल्योर आयुर्वेदिक उपचार”

क्रोनिक रीनल फेल्योर क्या है

किडनी डिजीज में किडनी खराब होने की प्रक्रिया बहुत धीमी होती है, जो महीनों या सालों तक चलती है। सीरम क्रिएटिनिन का स्तर यदि धीरे-धीरे बढ़ता है तो किडनी की कार्यक्षमता की इस रक्त परीक्षण से गणना की जा सकती हैं। eGFR नामक परीक्षण से क्रोनिक किडनी डिजीज के स्तर को हल्के, मध्यम या गंभीर रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। साथ ही लंबे समय के बाद मरीजों की दोनों किडनी सिकुड़कर एकदम छोटी हो जाती है और काम करना बंद कर देती है। जिसे किसी भी दवा, ऑपरेशन और डायलिसिस से ठीक नहीं किया जा सकता है। सी.के.डी. को पहले क्रोनिक रीनल फेल्योर कहते थे, परन्तु फेल्योर शब्द एक गलत धारण देता है। सी.के.डी. की प्रारंभिक अवस्था में किडनी द्वारा कुछ हद तक कार्य संपादित होता है और अंतिम अवस्था में ही किडनी पूर्ण रूप से कार्य करना बंद कर देती है। क्रोनिक किडनी डिजीज के मरीज का प्राथमिक चरण उचित दवा देकर तथा खाने में परहेज से किया जा सकता है। “क्रोनिक रीनल फेल्योर आयुर्वेदिक उपचार”

क्रोनिक रीनल फेल्योर के कारण

किडनी को स्थायी नुकसान पहचांने के कई कारण और संकेत होते हैं, लेकिन मधुमय और उच्च रक्तचाप इसके दो प्रमुख कारण है। क्रोनिक किडनी डिजीज के दो तिहाई मरीज इन दो बीमारियों से ग्रस्त होते हैं। प्रत्येक तरह के उपचार के बावजूद भी दोनों किडनी ठीक नहीं हो सकती है। इस प्रकार के किडनी डिजीज के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं: “क्रोनिक रीनल फेल्योर आयुर्वेदिक उपचार”

  • डायबिटीज
  • उच्च रक्तचाप
  • क्रोनिक ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस
  • वंशानुगत रोग
  • पथरी की बीमारी।
  • लम्बे समय तक दवाईओं का सेवन करना।
  • बच्चों में किडनी और मूत्रमार्ग में बार-बार इन्फेक्शन होना। “क्रोनिक रीनल फेल्योर आयुर्वेदिक उपचार”

क्रोनिक रीनल फेल्योर के लक्षण

  • उच्च रक्तचाप
  • शरीर में सूजन
  • उल्टी, जी मिचलाना, एसिडिटी
  • खून में फीकापन रक्तअल्पता (एनीमिया ) होना।
  • शरीर में खुजली
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना “क्रोनिक रीनल फेल्योर आयुर्वेदिक उपचार

क्रोनिक रीनल फेल्योर के आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेदिक इलाज शरीर, मन, और आत्मा का एक प्राचीन विज्ञान है जो जड़ी-बूटियों और ऑरगेनिक का इस्तेमाल करते हैं। जी हां, आयुर्वेदिक दवाओं जैसे, वरुण, कासनी, गोखुर, पुनर्नवा और शिरिष जैस जड़ी-बूटियों से बनता है। ये 100 प्रतिशत प्राकृतिक होती है। साथ ही इससे कोई भी दुष्भाव नहीं पड़ता है। बता दें कि, कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल विश्व के सबसे अच्छे कल्याण केंद्र में से एक है। यह पूरे विश्व में लोगों के लिए विफल हुए आयुर्वेदिक किडनी का इलाज करता है। कर्मा आयुर्वेदा ने प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और पूर्व ऐतिहासिक (प्री-हिस्टॉरिक) तकनीकों के उपयोग के साथ हजारों किडनी रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। क्रोनिक रीनल फेल्योर आयुर्वेदिक उपचार”