क्रोनिक किडनी रोग सीकेडी पूरे विश्व में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, किडनी की विफलता व खराब परिणाम की बढ़ती घटनाएं सबसे अधिक देखी गई है। यब सबसे ज्यादा बुजुर्ग लोगों में देखा जाता है। हालांकि, सीकेडी के युवा रोगियों में इसका आमतौर पर कम अनुभव हुआ है, जिसमें से अधिक के परिणाम खराब ही दिखाई दिये हैं। जबकि 65% से अधिक उम्र के 30% रोगियों में क्रोनिक किडनी रोग सीकेडी में यह स्थिर बीमारी है। “क्रोनिक किडनी रोग के आयुर्वेदिक उपचार”

किडनी क्या करता है?

किडनी शरीर का महत्वपूर्ण अंग हैं जो हमारे ब्लड को साफ करने में मदद करता है। किडनी ब्लड से खराब मेटाबॉलिक व अतिरिक्त पानी को फिल्टर करता हैं। इसके साथ ही यह रेड ब्लड प्रोडक्शन को शुरू करने और शरीर में एसिड को संतुलित करने का कार्य करता है। अगर किडनी इनमें से किसी भी काम को करना बंद कर देता है तो इससे शरीर के अन्य अंग के खराब होने की संभावना बढ़ने लगती है।

क्रोनिक किडनी रोग

किडनी की गंभीर बीमारी लोगों के बीच बहुत आम होती जा रही है। यह रोग जब तक पूरी तरह से बढ़ता तब तक इस बीमारी का पता नहीं लग पाता। यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी है जो की अंतिम चरण तक पहुंचने में समय लेती है।  क्रोनिक किडनी रोग के आयुर्वेदिक उपचार”

क्रानिक किडनी रोग (सीकेडी) की घटना के संभावित कारण क्या हैं?

ज्यादा लंबे समय की किडनी की बीमारी क्रानिक किडनी रोग मुख्य कारणों के कारण होती है जैसे कि यंग आयु के लोगों में हाई ब्लड प्रैशर या डायबिटीज। डायबिटीज के रोगी द्वारा ज्यादा चीनी के इस्तेमाल की वजह से इसकी संभावना बढ़ जाती है। तो वही हाई- ब्लड प्रैशर व हाइपर्टेन्शन का ब्लड वेसेल्स पर अधिक दबाव बनाने की वजह से किडनी की समस्या बढ़ती है। क्रोनिक किडनी रोग भी हाइपर्टेन्शन के कारणों में से एक हो सकता है। क्रोनिक किडनी रोग के आयुर्वेदिक उपचार

क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) के दिखाई देने वाले संकेत और लक्षण क्या हैं?

किडनी के खराब होने के संकेत और लक्षण बीमारी के आखिरी स्टेज पर नज़र आते है। इस बीमारी के आम लक्षण इस प्रकार है- थकान, ज्यादा देर व्यायाम ना कर पाना, दिल की बीमारी, पेट, पीठ,जोड़ों में दर्द होना, कुपोषण, ड्राई स्किन, खुजली, सांस की कमी, झाग के समान व गहरा रंग का पेशाब आना, पेशाब के दौरान दर्द व जलन होना। “क्रोनिक किडनी रोग के आयुर्वेदिक उपचार”

डायग्नोस्टिक

ऊपर दिये हुए लक्षण अगर लंबे समय तक नज़र आए तो ब्लड में प्रोटीन, क्रिएटिनिन व पेशाब का स्तर जांचने के लिए तुरंत एक डायग्नोस्टिक टेस्ट के लिए जाना चाहिए। ब्लड यूरीन टेसट, अल्ट्रासाउंड, और इमेजिंग और किडनी सेम्पल इसमें मुख्य होता है।

क्रोनिक किडनी रोग के इलाज

ज्यादातर लोग जल्दी आराम के लिए डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट जैसे एलोपैथिक इलाज को चुनते है। जब किडनी ठीक से काम नहीं कर पाता है तो डायलिसिस खराब किडनी के लिए वैकल्पिक होता है। किडनी ट्रांसप्लॉट तब किया जाता है जब किडनी पूरी तरह से कार्य करने में असफल हो जाता है व किडनी नई किडनी के साथ बदली होती है।

यह दोनों ही उपचार एक अस्थायी ( कुछ समय तक के लिए) समाधान हैं और जो की किडनी की समस्या को पूरी तरह से ठीक नहीं करती हैं। “क्रोनिक किडनी रोग के आयुर्वेदिक उपचार”

आयुर्वेद कैसे क्रोनिक किडनी रोग सीकेडी के इलाज में मदद कर सकता है?

आयुर्वेद चिकित्सा शरीर, मन और आत्मा का एक प्राचीन विज्ञान है।  इसमें जड़ी बूटियों और ऑरगेनिक का उपयोग होता है। आयुर्वेदिक दवाईयां जैसे की वरुण, कासनी, गोखुर, पुनर्नवा और शिरीष जैसे जड़ी बूटियों से बनता ही। ये जड़ी बूटियां 100% प्राकृतिक होती है व इसका कोई भी दुष्प्रभाव (साइड-इफैक्ट) नहीं होता।

कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल विश्व के सबसे अच्छे कल्याण केंद्र में से एक है। यह पूरे विश्व में लोगों के लिए विफल हुए आयुर्वेदिक किडनी का इलाज करता है। कर्मा आयुर्वेदा ने प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और पूर्व ऐतिहासिक (प्री-हिस्टॉरिक) तकनीकों के उपयोग के साथ हजारों किडनी रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। “क्रोनिक किडनी रोग के आयुर्वेदिक उपचार”