आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के उपयोग से शारीरिक बीमारियों का इलाज करने का एक बहुत ही पुराना अभ्यास है। लाइफ स्टाइल में बदलाव के कारण ज्यादा उम्र वालें लोगों में क्रोनिक रोग की वृद्धि हुई है। आमतौर पर ज्यादातर डायबीटिज और हाई ब्लड प्रैशर वाले रोगियों को किडनी से जुड़ी समस्याएं होती हैं। एलोपैथिक इलाज के बजाय, लोगों को किडनी रोग के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सों के पास जाना चाहिए।

ज्यादातर डायबीटीज व हाई ब्लड प्रैशर के रोगी किडनी की समस्याओं से घिरे रहते हैं। एलोपैथी के बजाए लोगों को आयुर्वेदिक उपचार लेना चाहिए।

शरीर में इस तरह काम करती है किडनी

  • ब्लड की सफाई व फिल्टर का काम
  • शरीर से तरल पदार्थ को बाहर निकालना

हार्मोन्स का निर्माण करना। जो की ब्लड प्रैशर को कंट्रोल करने का काम करता है। साथ ही किडनी रेड ब्लड की कोशिकाओं व हड्डी को मजबूत रखता हैं।

किडनी रोग के आम लक्षण, संकेत और आयुर्वेदिक दवा

अगर हमारी किडनी स्वस्थ्य नहीं हैं, तो इससे शरीर से गंदगी व तरल पदार्थ निकलने में परेशानी हो सकती है। जो की शरीर में हार्मोन के असंतुलन का परिणाम भी हो सकता है। किडनी की बीमारी के आम लक्षण केवल बाद के चरणों (स्टेज) में दिखाई देते हैं। किडनी की बीमारी के कुछ संकेतों में थकान, पेशाब में जलन व दर्द होना, हाथों और पैरों में सूजन, पीठ दर्द इत्यादि भी शामिल हैं।

यदि आपके शरीर में ऐसे कोई भी लक्षणों हो, तो अपने आपके किडनी के रोग की पहचान करती होगी। एक बार अगर आपने अपने रोग की पहचान कर ले तो किडनी रोग के आगे के चरण (स्टेज) को बढ़ने से इसे धीरे-धीरे रोका जा सकता हैं।

आयुर्वेदिक दवाइयों से किडनी रोग को जड़ से खत्म किया जा सकता हैं। प्रारंभिक चरण में आयुर्वेदिक इलाज इसके लिए सबसे सहीं विकल्प हैं। हालांकि, कई मरीज हेमोडायलिसिस और किडनी ट्रांस्प्लांट का विकल्प चुनते हैं। लेकिन, यह किडनी रोग का स्थायी समाधान नहीं हो सकता है।

किडनी रोग इलाज के लिए स्वस्थ आहार और आयुर्वेदिक चिकित्सा

इलाज के साथ ही एक स्वस्थ लाइफ स्टाइल का होना भी जरूरी है। किडनी रोगियों को अपनी डाइट का खास ख्याल रखना चाहिए। स्वस्थ डाइट का एकमात्र उद्देश्य शरीर में मिनरल व तरल पदार्थ को संतुलित करना हैं। एक स्पेशल डाइट शरीर में खराब प्रोडक्ट के निर्माण को सीमित कर सकता है। कुछ ऐसे ही बेहतरीन फूड होते है जिन्हें अपने रोज के खाने में शामिल करना चाहिए।

फल कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज स्तर को कम करने में मदद करके किडनी की बीमारी के प्रभाव को कम करता हैं।

सभी हरी सब्जियां विटामिन ए, सी,के और फोलेट में उच्च होती हैं। इसके नियमित सेवन से आपको अपने स्वास्थ्य को ठीक करने में मदद मिलती हैं।

मूली और गाजर जैसे फाइबर वाले फूड शरीर में क्रिएटिनिन स्तर को कम करने में मदद करते है।

एलोपैथी से बचें और किडनी रोग इलाज के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा का पालन करें: –

आयुर्वेद प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग करता है। जो रोग को पूरी तरह से ठीक करने के लिए बेहतरीन माना गया हैं। भारत में प्रसिद्ध आयुर्वेद क्लीनिकों में से एक कर्म आयुर्वेद है। यहा 1937 के बाद से दुनिया भर के मरीजों का इलाज हो रहा है। इसका नेतृत्व एक अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सक डॉ.पुनीत धवन करते हैं। वह एलोपैथिक उपचार के अभ्यास में विश्वास नहीं करता है।

यहां मरीजों का जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक तकनीकों के साथ इलाज किया जाता है। साथ ही डॉ. पुनीत.धवन भी किडनी रोग के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा के साथ एक उचित डाइट चार्ट की सलाह देते हैं।