यूरिया वह अपशिष्ट है, जिसे साफ करने में हमारी किडनी मदद करती है। जब खून में यूरिया नामक अपशिष्ट की मात्रा बढ़ जाती है, तो उस स्थिति को यूरिमिया कहा जाता है। यह लंबे समय से चल रही किसी स्वास्थ्य समस्याएं जैसे – डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली गंभीर चोट या इंफेक्शन के कारण हो सकता है। साथ ही लगातार कमजोरी बढ़ना और आसानी से थकान हो जाना, मतली और उल्टी के कारण भूख कम लगना आदि ब्लड यूरिया बढ़ने के सामान्य लक्षण हो सकते हैं। धीरे-धीरे बढ़ने वाले किडनी या किडनी फेल में यह सिंड्रोम बेहद आम है, लेकिन किडनी अचानक खराब होने की वजह भी इस स्थिति को देखा जा सकता है।

किडनी शरीर के अंदर कचरे और संभावित खतरनाक पदार्थों को साफ करके फिल्टर के रूप में कार्य करती है। जब किडनी अच्छी तरह से काम नहीं कर पाती है, तब अपशिष्ट पदार्थ खून में वापस आ जाते हैं। यूरिया किडनी की खराबी का एक साइड इफेक्ट है, इसलिए इस स्थिति का इलाज करने के लिए किडना के इलाज की आवश्यकता होती है। ब्लड यूरिया बढ़ने की स्थिति का निदान डॉक्टर द्वारा आपके लक्षणों और ब्लड टेस्ट के आधार पर करते हैं। यूरिमिया या ब्लड यूरिमिया या ब्लड यूरिया बढ़ना एक आपातकालीन समस्या है, जिसमें तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। ब्लड यूरिया होने पर रोगी को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता हो सकती है। घर पर ब्लड यूरिया का इलाज करना संभव नहीं है। अगर आपकी किडनी खराब हो गई है, तो आपके रक्त में से अपशिष्ट पदार्थ निकालने में मदद की जरूरत हो सकती है। डायलिसिस नामक प्रक्रिया जो शरीर से अपशिष्ट को बाहर करती है, लेकिन यह बेहद दर्द भरी प्रक्रिया है।

ब्लड यूरिया बढ़ने के कारण –

आपकी किडनी ठीक न हो सकने वाली क्षति की वजह से ब्लड यूरिया बढ़ने लगता है। यह क्रोनिक किडनी डिजीज की वजह से होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि आपकी किडनियां अब शरीर से अपशिष्ट को फिल्टर करके यूरिन के माध्यम से बाहर भेजने में सक्षम नहीं रहती है। साथ ही वह अपशिष्ट आपके रक्तप्रवाह में चला जाता है, जिससे संभावित जानलेवा, स्थिति पैदा हो जाती है –

  • हाई ब्लड प्रेशर
  • किडनी के नलिकाओं और उनके आसपास की संरचनाओं में सूजन
  • प्रोस्टेट में वृद्धि
  • पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज
  • डायबिटीज (टाइप 1 और 2)
  • किडनी की फिल्टर करने वाली ग्लोमेरूली नामक यूनिट में सूजन
  • कुछ प्रकार के कैंसर
  • किडनी स्टोन के कारण लंबे समय तक पेशाब पथ अवरूद्ध रहना
  • बार-बार होने वाला किडनी इंफेक्शन आदि

किडनी डिजीज रोग ब्लड यूरिन बढ़ने का प्रमुख जोखिम कारक है। किसी व्यक्ति को अगर किडनी डिजीज हो, तो उसे ब्लड यूरिया बढ़ने का जोखिम अधिक होता है। किडनी की बीमारी के जोखिम निम्नलिखित स्थितियों की वजह से बढ़ सकते हैं –

  • किडनी की बीमारी का पारिवारिक इतिहास
  • डायबिटीज
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • ह्रदय रोग

ब्लड यूरिया बढ़ने के लक्षण –

ब्लड यूरिया नामक सिंड्रोम द्रव, इलेक्ट्रोलाइट और हार्मोन असंतुलन और चयापचय संबंधी असामान्यताओं से जुड़ा हुआ है। यह असामान्यताएं किडनी में खराबी के साथ-साथ विकसित होती है। इससे निम्नलिखित प्रकार के लक्षण प्रकट हो सकते हैं –

  • कमजोरी, थकावट और भ्रम, यह समस्या के साथ बढ़ते जाते हैं और आराम या बेहतर पोषण से भी दूर नहीं होते।
  • उच्च रक्तचाप
  • ह्रदय की समस्याएं, जैसे – दिल की धड़कन अनियमित होना, ह्रदय के चारों ओर की थैली में सूजन और दिल पर दबाव बढ़ना।
  • सूजन, विशेष रूप से पैरों और टखनों के आसपास होना।
  • सूखी और खुजलीदाल त्वचा।
  • बार-बार यूरिन आना, क्योंकि किडनी अपशिष्ट पदार्थ से छुटकारा पाने के लिए अधिक तेजी से काम करते हैं।
  • मतली, उल्टी और भूख न लगना।
  • इन समस्याओं के कारण कुछ लोगों का वजन कम हो सकता है।
  • मानसिक स्थिति में परिवर्तन होना, जैसे भ्रम, जागरूकता में कमी, उत्तेजना, मनोविकृति, दौरे पड़ना और कोमा में चले जाना।
  • ब्लड टेस्ट में परिवर्तन दिखना, यूरिमिया का पहला संकेत नियमित ब्लड टेस्ट के समय खून में यूरिया का पाया जाना होता है।
  • फेफड़ों और छाती के बीच के स्थान में द्रव जमा होने से सांस फूलना।
  • यूरिमिया होने पर व्यक्ति में मेटाबोलिक एसिडोसिस के लक्षण भी दिख सकते हैं। ऐसी स्थिति में शरीर बेहद अधिक एसिड का उत्पादन करने लगता है।


ब्लड यूरिया की जटिलताएं –

ब्लड यूरिया एक संभावित घातक चिकित्सा स्थिति है, जो आमतौर पर एक लंबी बीमारी का संकेत होती है। यदि यूरिमिया का उपचार न किया जाएं, तो यह किडनी फेल होने की वजह बन सकती है। ब्लड यूरिया से ग्रस्त होने पर कुछ लोगों को निम्न जटिलताओं का भी सामना करना पड़ सकता है –

  • दौरे पड़ना
  • होश में न रहना
  • हार्ट अटैक और अन्य जानलेवा लक्षण
  • मस्तिष्क को नुकसान
  • शरीर में खून की कमी
  • यहां तक की प्रभावित व्यक्ति की जान भी जा सकती है।

गंभीर ब्लड यूरिया की वजह से अचानक रक्तस्त्राव हो सकता है और इसमें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (Gastrointestinal) रक्तस्त्राव, किसी भी अंतर्निहित विकार से या ट्रॉमा से जुड़ा रक्त स्त्राव आदि स्थितियां शामिल हो सकती है।

ब्लड यूरिया बढ़ने पर करवाएं जांच –

अगर आपको यूरिमिया है, तो डॉक्टर आपको किसी किडनी विशेषज्ञ से मिलने की सिफारिश कर सकते है, जिसे नेफ्रोलॉजिस्ट कहा जाता है। नेफ्रोलॉजिस्ट आपकी किडनी कितनी अच्छी तरह काम कर रही है या नहीं, यह देखने के लिए कुछ जांच करवाते हैं –

  • सीरम कैल्शियम टेस्ट
  • सीरम फास्फोरस टेस्ट
  • रक्त यूरिया नाइट्रोजन टेस्ट
  • सीरम क्रिएटिनिन टेस्ट
  • सीरम पोटेशियम टेस्ट
  • सीरम फॉस्फेट टेस्ट
  • सीरम सोडियम टेस्ट

साथ ही आपका डॉक्टर यूरिन में खून कोशिकाओं या प्रोटीन जैसी चीजों की तलाश करने के लिए आपके यूरिन का एक नमूना लेगा। अगर आपकी किडनी अच्छी तरह से काम कर रही होगी, तो यूरिन में ये चीजें नहीं मिलेगी।

ब्लड यूरिया का करें आयुर्वेदिक उपचार –

  • कासनी – कासनी एक बारहमासी पौधा है, जिसका वैज्ञानिक नाम सिकोरियम इंटीबस है। भारत में यह औषधि चिकोरी के नाम से जानी जाती है। इसके इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है जैसे कि – कैंसर की बीमारी को रोकने में मदद करना, किडनी खराब होने के कारण पैरों में आनी वाली सूजन, मोटापा कम करने में सहयोग देना, दिल के रोगियों के लिए भी फायदेमंद साबित हुई है।
  • हल्दी – लो यूरिन वॉल्यूम, रीनल फेल्योर और कुछ सामान्य इंफेक्शन के इलाज में हल्दी का इस्तेमाल होती है। इसके कई फायदे हैं जैसे, इंफेक्शन के खतरे को घटाता है, सूजन कम करता है, किडनी की पथरी बनने से बचाव करता है और हल्की किडनी सिस्ट को भी ठीक करता है।
  • गोखरू – गोखरू के वृक्ष की छाल यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) के इलाज, पेशाब के समय होने वाली जलन के लिए अद्भूत जड़ी-बूटी है। यह बार-बार यूरिन होने की इच्छा के समय गोखरू की छाल ठीक तरीके से फ्लो को नियंत्रित करती है। किडनी स्टोन को खत्म करने के लिए गोखरू का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है।
  • गोरखमुंडी – अगर किसी को किडनी का इन्फेक्शन है तो पेशाब के लिए बार जाना पड़ता है, यूरिन में झाग आना, यूरिन पास करते समय जलन या खून आ सकता है। इसके लिए यह जड़ी-बूटी बहुत लाभदायक साबित हुई है।
  • वरुण – यह प्राकृतिक रूप से किडनी के स्टोन की समस्या को ठीक करता है साथ ही अन्य किडनी से जुडी बीमारियों को ठीक करने में मददगार है। यह खून को साफ करता है और यूरिन फंक्शन को मजबूत करता है।
  • पलाश – पलाश एक पेड़ है, जिस पर लाल या नारंगी रंग के फूल होते हैं। यह फूल ठंडक देने वाले होते हैं और यूरिन के फ्लो को नियमित करने में मदद करते हैं। साथ ही यूरिन पास करने के दौरान होने वाली जलन से भी आराम देने में मददगार हैं।
  • गुदुची – गुदुची के एस्ट्रिन्जेंट गुण के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसके कारण यूरिनरी दिक्कतों के इलाज के लिए यह एक बेहतरीन जड़ी-बूटी है। जिन लोगों को यूरिन पास करने में मुश्किल होती है, वो डॉक्टर की सलाह से गुदुची ले सकते हैं।

इन जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल खुद से इलाज के तौर पर न करें। किडनी से जुड़ी दिक्कतों के इलाज के लिए कर्मा आयुर्वेदा में डॉक्टर पुनीत धवन से संपर्क जरूर करें।

दिल्ली के प्रसिद्ध आयुर्वेदिक उपचार केंद्र में से एक है कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल। यह अस्पताल सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसका संचालन डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। यहां आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से किडनी के मरीजों का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है। डॉ. पुनीत धवन ने आयुर्वेद की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके, उन्हें रोग से मुक्त किया है वो भी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। कर्मा आयुर्वेदा में आयुर्वेदिक उपचार के साथ आहार चार्ट और योग करने की सलाह दी जाती है जिससे रोगी जल्द स्वस्थ हो सकें। साथ ही कर्मा आयुर्वेदा भारत के साथ-साथ एशिया के भी प्रसिद्ध आयुर्वेदिक उपचार केंद्रो में आता है।

कर्मा आयुर्वेदा काफी लंबे समय से किडनी की बीमारी से लोगों को मुक्त कर रहा है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का आयुर्वेद द्वारा इलाज किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। आयुर्वेद धीरे-धीरे हर बीमारी को जड़ से खत्म करने में मदद करता है।